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संपादकीय : ‘असत्य’ के वारिस

प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप का परिचय कभी भी एक विचारशील राजनेता के तौर पर नहीं रहा है। उनकी छवि एक अकेले और सनकी राजनेता की है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद के पहले कार्यकाल के दौरान इस बात की वाकिफियत हो गई थी। अब दूसरे कार्यकाल में उनकी अविवेकपूर्ण नीतियों ने हंगामा बरपा रखा है। इसके खिलाफ दुनिया भर में आक्रोश है। अमेरिका में ही ट्रंप के खिलाफ वहां की जनता सड़कों पर उतर आई। लेकिन इन सबके बावजूद श्रीमान ट्रंप अपनी आर्थिक नीतियों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। वे शेखियां बघार रहे हैं कि उनके द्वारा शुरू किए गए ‘टैरिफ युद्ध’ में अमेरिका वैâसे बढ़त हासिल कर रहा है, अमेरिकी सरकार के खजाने में पहले से कहीं ज्यादा भारी पैसा आ रहा है। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि टैरिफ नीति के कारण हर दिन २ अरब अमेरिकी डॉलर की कमाई हो रही है। जो पहले कभी नहीं हुई थी। हालांकि, ट्रंप ने इस बढ़ी हुई आय का ब्योरा नहीं दिया और यह भी नहीं बताया कि किस टैरिफ के कारण कितनी आय बढ़ी। लेकिन यह साफ है कि वे सड़कों पर उतरे अमेरिकी जनता को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी नीतियां अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं, बल्कि उन्हें फायदा पहुंचा रही हैं। जाहिर सी बात है कुछ हद तक ट्रंप के टैरिफ युद्ध और अन्य आर्थिक नीतियों के कारण अमेरिका को
आर्थिक फायदा
होगा। क्योंकि इस सज्जन ने ६० से अधिक देशों के खिलाफ टैरिफ लादा है। इसलिए जाहिर सी बात है कि अमेरिका की आमदनी उतनी ही बढ़ेगी। लेकिन टैरिफ युद्ध में उलझे देशों द्वारा अपनी आयात कर नीतियों में बदलाव के कारण अमेरिका को भी हर दिन अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है। सच तो यह है कि जो लाखों डॉलर्स अमेरिका को आसानी से मिल सकते थे वह उसके हाथों से निकला जा रहा है। लेकिन श्रीमान ट्रंप इस पर ‘मुंह में दही’ जमाए बैठे रहेंगे। क्योंकि इसे स्वीकार करना अपनी गलती को स्वीकार करने जैसा है। इसलिए वे प्रतिदिन दो अरब डॉलर का कमाई का राग अलाप रहे हैं। चीन समेत कई अन्य देशों ने अमेरिका को निर्यात कम कर दिया है या बंद कर दिया है। अमेरिका के लिए भी इसकी कीमत अरबों डॉलर है। टैरिफ वॉर से अमेरिकी शेयर बाजार भी प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिका की विकास दर में गिरावट आएगी। अमेरिका में महंगाई की खबरें हमें वहां के आर्थिक और सामाजिक संकट से वाकिफ करा रही हैं। यह तय है कि आने वाले समय में अंडे से लेकर सोयाबीन तक, कई खाद्य पदार्थों और वस्तुओं की कीमतों में जबर्दस्त बढोतरी होगी। लेकिन श्रीमान ट्रंप इसे कानों में रूई ठूंस कर अपने ही ‘नंदनवन’ में मस्त हैं। हर
एकल शासक
ऐसी बातों का गुणगान करता रहता है कि उसकी नीतियां देश के लिए किस तरह अच्छी हैं। वे इस नीति के दुष्प्रभावों, देश में सामाजिक-आर्थिक व्यवधान की जोखिम को या तो स्वीकार नहीं करते हैं या जानबूझकर अनदेखा करते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अभी यही कर रहे हैं। दुनिया पर थोपे गए टैरिफ युद्ध से अमेरिका की दैनिक आय वैâसे दो अरब डॉलर बढ़ गई, यह ‘अर्धसत्य’ प्रेसिडेंट ट्रंप बता रहे हैं। बहरहाल, टैरिफ वॉर की आंच से प्रभावित चीन समेत अन्य देशों द्वारा दिए गए ‘ईंट का जवाब पत्थर’ के चलते अमेरिका की लागत कितने अरब बढ़ी, अमेरिका को कितनी संभावित आय से हाथ धोना पड़ा, इसका अमेरिकी उद्योग – व्यवसाय और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, विकास दर में गिरावट की खतरे की घंटी… ये ‘सत्य’ वे अमेरिकी जनता से छिपा रहे हैं। क्योंकि यह कहना उनके लिए असुविधाजनक है। प्रधानमंत्री मोदी भारत में यही काम कर रहे हैं। ट्रंप अमेरिका में ऐसा कर रहे हैं।’ उतना ही बोलना जितना सुविधाजनक हो और असुविधाजनक को छिपा कर रखना यानी ऐसे मामले में ‘मौनी बाबा’ बन जाना। वैसे देखा जाए तो इस अर्थ में दोनों ही ‘असत्य’ के वारिस हैं। शायद इसीलिए मोदी ट्रंप के ‘घनिष्ठ मित्र’ हों और मोदी भी ट्रंप द्वारा भारत को हड़काए जाने पर चूं तक नहीं कर रहे हों!

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