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संपादकीय : जम्मू-कश्मीर चुनाव, नगाड़े और धमाके!

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद ३७० हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान दो दिन में है। बाकी मतदान २५ सितंबर और १ अक्टूबर को होगा। इस चुनाव का प्रचार चरम पर पहुंच गया है। लेकिन साथ ही दिख रहा है कि आतंकी हमलों के धमाके भी तेज होते जा रहे हैं। एक तरफ प्रचार का ढोल तो दूसरी तरफ आतंकियों की बंदूकों से निकलती गोलियां, बम धमाके, भारतीय जवानों और आतंकियों के बीच बढ़ती झड़पें इस समय ऐसी भयंकर तस्वीर जम्मू-कश्मीर में देखने को मिल रही हैं। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी अपना राग आलाप रहे हैं कि कश्मीर में आतंकवाद कम हुआ है। दो दिन पहले मोदी ने कश्मीर के डोडा में चुनावी सभा की थी। मोदी भक्तों और भाजपा मंडली ने खूब माहौल तैयार किया कि ४० साल बाद भारत के प्रधानमंत्री ने इस जगह पर सभा की। लेकिन जब मोदी की सभा हो रही थी, तभी कश्मीर में दो आतंकी हमले हुए। आतंकियों की फायरिंग में नायब सूबेदार विपनकुमार और सिपाही अरविंद सिंह शहीद हो गए। बारामूला जिले में भी भारतीय फौज और आतंकवादियों के बीच जबरदस्त मुठभेड हुई। हालांकि इसमें तीन आतंकी मारे गए, लेकिन उसके बाद भी मुठभेड़ जारी रही। सोमवार को एक आतंकी मारा गया। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर हमारी सेना के जवान बहादुरी से आतंकी हमलों की बाधाओं को दूर कर रहे हैं, लेकिन मोदी-शाह का क्या जो दावा कर रहे हैं कि कश्मीर से आतंकवाद खत्म हो गया है? जब मोदी डोडा में प्रचार कर रहे थे तो आतंकी हमले में दो जवान शहीद हो गए। फिर भी ‘कश्मीर में आतंकवाद आखिरी सांसें गिन रहा है’, ऐसा दावा करते हुए मोदी प्रचार रैली में अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में न तो आतंकी हमले कम हुए हैं, न सीमा पर झड़पें और न ही घुसपैठ। इसके उलट, जम्मू प्रांत जो आतंकवादी हमलों से काफी हद तक मुक्त था, उसी जम्मू में हमले बढ़ गए हैं। कश्मीर घाटी पहले से ही आतंकवादग्रस्त है; लेकिन अब जम्मू भी आतंकी हमलों की जद में आ गया है। हालांकि सालभर में कश्मीर में हुए हमलों में ४१ आतंकी मारे गए, लेकिन सुरक्षा दल के २० जवान भी शहीद हुए। १८ निर्दोष नागरिक मारे गए। जम्मू-कश्मीर में पिछले ७५ दिनों में १३ आतंकी हमले हुए। इसमें १४ जवान शहीद हुए, ७ आतंकी मारे गए और फिर भी मोदी किस मुंह से कह रहे हैं कि ‘आतंकवाद शून्य पर ले आए’? यदि आतंकवाद वास्तव में कम हो गया है, जैसा कि आप कहते हैं, तो आपको चुनाव के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में हजारों अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी क्यों तैनात करने पड़ रहे हैं? बढ़िया सीन रच कर और जबरदस्त लफ्फाजी से लोगों को भूलभुलैया में मस्त करने की कला में प्रधानमंत्री मोदी का हाथ कोई नहीं पकड़ सकता। वे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान में भी ऐसा ही कर रहे हैं। अन्यथा, वे डोडा की चुनावी सभा में ‘आतंकवाद को शून्य’ पर लाने का बेतुका दावा नहीं करते। मोदी-शाह भले ही कितने भी दावे कर रहे हों, लेकिन जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले उनके दावों को दिन-ब-दिन खोखला साबित कर रहे हैं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के नगाड़े तेज होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे वहां आतंकी हमलों के धमाके भी बढ़ते जा रहे हैं। ये है जम्मू-कश्मीर की दर्दनाक हकीकत। भले ही मोदी-शाह इससे सहमत नहीं हैं, लेकिन कश्मीर के लोग मोदी की लफ्फाजी और हकीकत में अंतर पहचान चुके हैं।

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