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संपादकीय : ‘खोकेबाज’ सरकार बेनकाब …करोड़ों की बौछार!

जब से महाराष्ट्र में ‘खोकेबाजी’ के जरिए शिंदें सरकार बनी है, ‘पचास खोके, एकदम ओके’ का नारा लोकप्रियता के चरम पर था। भले ही यह नारा गद्दारों की जान जलाता था, लेकिन यह नारा कितना प्रासंगिक था, इसका जीता-जागता उदाहरण अब सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने देख लिया है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में खोकेबाजों ने प्रति वोट ५ हजार रुपए का भाव रखा है। इसके लिए खोकेबाजों का सरदार एक बार फिर पचास खोकों की रसद बांट रहा है। इस खेप के कुछ खोके पकड़े जाने से खोकेबाजों के साथ-साथ ईमानदारी का कपूर उड़ाने वाले ढोंगियों की इज्जत भी सरेआम निशाने पर आ गई है। पुणे के खेड़-शिवापुर इलाके में टोल बूथ पर नाकाबंदी के दौरान कुछ गाड़ियों को रोका गया। इनमें से एक वाहन से ५ करोड़ रुपए की नकद राशि जब्त की गई। गद्दारों की भाषा में कहें तो इस नाकाबंदी में एक-एक करोड़ रुपए के पांच खोके पकड़े गए। हालांकि, हंगामा हो जाने के बाद कागजी कार्रवाई में ५ करोड़ रुपए कैश जप्त किए जाने की बात लिखी गई है, लेकिन वास्तविक तौर पर कहा जा रहा है कि यह राशि १५ करोड़ रुपए थी, जिसका अर्थ गद्दारों की भाषा में १५ खोके हैं। लेकिन जिस जगह यह कार्रवाई हुई, वहां पर ‘खोकेबाज’ सरकार के गद्दारों के सरदार ने किसी को फोन किया और इस गाड़ी के साथ आई अन्य गाड़ियों को छोड़ दिया गया। इसलिए यदि १५ करोड़ रुपयों में से ५ करोड़ का हिसाब हो भी गया है फिर भी साथ में अन्य गाड़ियों में १० करोड़ रुपयों को भी छोड़ दिया गया। पुणे ग्रामीण पुलिस ने ५ करोड़ रुपए की यह रकम खेड़-शिवापुर टोल बूथ पर जिस गाड़ी से जब्त की है, उस गाड़ी का नंबर एम एच-४५ ए एस २५२६ है और इस गाड़ी में ‘खोकेबाज’ सरकार के एक गद्दार विधायक के कार्यकर्ता यात्रा कर रहे थे। यह गाड़ी मुंबई से सांगोला जा रही थी और इसलिए शक की सुई नहीं बल्कि सुआ का सांगोला के गद्दार विधायक की ओर घूमना स्वाभाविक है। गाड़ी में गद्दार विधायक का एक रिश्तेदार और तीन कार्यकर्ता मौजूद थे। इनमें से एक कार्यकर्ता का नाम रफीक नदाफ है। जब गद्दार विधायक शिवसेना की पीठ पर खंजर घोंपकर सूरत होते हुए गुवाहाटी पहुंचा तो उसी सांगोला के रफीक मियां ने भगोड़े विधायक को फोन कर गुवाहाटी के माहौल और हालचाल के बारे में पूछा था। विधायक ने जवाब दिया, ‘क्या जंगल, क्या पहाड़… सब कुछ ओके है’। शाहजीबापू उस विधायक का नाम है। ‘पचास खोके, एकदम ओके’ नारे की तरह ही गद्दार विधायक का बेशर्म डायलॉग ‘क्या जंगल, क्या पहाड़’ भी महाराष्ट्र में लोकप्रिय हुआ था। उसी ‘जंगल-पहाड़’ फेम विधायक के विधानसभा क्षेत्र में पांच करोड़ की रकम पकड़ी जाती है और गद्दार विधायक का डायलॉग ‘फेमस’ करने वाला रफीक भी इस गाड़ी में पाया जाता है, यह निश्चित रूप से एक संयोग नहीं हो सकता। लेकिन सोमवार देर रात गाड़ी और रकम पकड़े जाने से लेकर सुबह चार बजे कोषागार में नकदी जमा होने तक सरकार के सभी विभागों द्वारा की गई लीपापोती संदेहास्पद है। गृहमंत्री फडणवीस की पुलिस हथकड़ी लगे आरोपी का एनकाउंटर कर बहादुरी का नाटक करती है; लेकिन आचार संहिता के दौरान करोड़ों रुपए नकद लेकर घूमने वाले शिंदे के कार्यकर्ताओं को चुपचाप छोड़ देती है। कार में मिले चारों की मुश्कें कस-कसकर पूछताछ की जाती कि इन पैसों का माईबाप कौन है और ये पैसा किसके लिए ले जाया जा रहा था, तो ‘खोकेबाज’ के सरदार और ‘पहाड़’ फेम निसंदेह विधायक का नाम सामने आ जाता। बहरहाल, पुलिस, चुनाव विभाग और आयकर विभाग के सभी अधिकारियों ने जिस तरह से चुप्पी ओढ़ रखी है उससे शक और भी मजबूत होता जा रहा है। गद्दारी और खोकेबाजी से मिली ‘लाडली कुर्सी’ को बचाने के लिए महाराष्ट्र में एक दफा फिर ‘खोकेबाजी’ उफान पर है। ‘खोकेबाज’ सरकार का सरदार गद्दारों को दोबारा जिताने के लिए ‘करोड़ों की बौछार करते हुए एक बार फिर ‘पचास खोकों’ का प्रयोग कर रहा है। उसमें से पहले सप्ताह में १५ खोकों में से ५ खोके खेड़-शिवापुर में पकड़ा जाना, खोकेबाज सरकार का बेनकाब होना ही है। क्या भाजपा के घर में पानी भरने वाले चुनाव आयोग को महाराष्ट्र चुनाव में पैसों का यह जबरदस्त सैलाब नजर आएगा?

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