मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : मदांध वेदांत अग्रवाल! ...पुणे पुलिस और अदालत इतनी मुर्दार कैसे?

संपादकीय : मदांध वेदांत अग्रवाल! …पुणे पुलिस और अदालत इतनी मुर्दार कैसे?

कानून और पुलिस धन्नासेठों की कोठी पर किस तरह नाचती है, यह पुणे में वेदांत अग्रवाल मामले में दिख गया है। पुणे के एक रईस बिल्डर विशाल अग्रवाल के बेटे वेदांत अग्रवाल ने शराब के नशे में तेज रफ्तार गाड़ी चलाकर दो मासूमों की जान ले ली। अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा नाम के पच्चीस साल के युवाओं की इस शराबी लड़के ने सरेआम पुणे की सड़कों पर हत्या कर दी। इन युवाओं की जिंदगी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई। ये मामला सिर्फ ‘हिट एंड रन’ का नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि पुणे जैसा सांस्कृतिक शहर किस तरह विकृति की ओर बढ़ रहा है। वेदांत अग्रवाल की उम्र १७ साल बताई जा रही है। १९ मई को वह पुणे के एक बार में गया और खूब शराब पी। उसी अवस्था में हिचकोले खाते अपने पिता की पोर्शे चलाई। कल्याणी नगर इलाके में उसने अनीश और अश्विनी की बाइक को टक्कर मार दी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर बात यह है कि वेदांत अग्रवाल की कार पर कोई नंबर प्लेट नहीं थी, लेकिन इस शराबी लड़के (उम्र १७ वर्ष) को नाबालिग बताया गया और अदालत ने उसे त्वरित जमानत पर रिहा भी कर दिया। पुलिस ने कोर्ट के सामने जो मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की, उसमें कहा गया कि इस युवक ने शराब आदि नहीं पी थी। दरअसल, एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें हादसे से पहले एक पब में शराब गटक रहा है। इसलिए पुणे पुलिस द्वारा अदालत के समक्ष पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट संदिग्ध है। आरोपी तड़के करीब सवा दो बजे २०० किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला रहा था, इसे क्या कहें! दुर्घटना के बाद वह भाग रहा था लेकिन लोगों ने उसे पकड़ लिया। लेकिन अदालत ने छोटी-मोटी सजा देकर उसे छोड़ दिया। दो लोगों की हत्या के बाद भी पुलिस ने एफआईआर में ‘बेलेबल सेक्शन्स’ यानी ‘जमानती धाराएं’ लगाकर आरोपी की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया। आरोप है कि नशे में धुत होकर दो लोगों की हत्या करने वाले आरोपी को छुड़ाने के लिए स्थानीय विधायक सुनील टिंगरे थाने गए और उनके दबाव के कारण ही एफआईआर को कमजोर कर दिया गया। पुणे की सड़कों पर इस अमानवीय कृत्य को दबाने की कोशिश की गई। क्योंकि सभी पुणेवासी उन युवक और युवती के तड़पने से परेशान नहीं थे। लोग मुर्दार बैठे रहे और कसबा के विधायक रवींद्र धांगेकर इस अन्याय-अत्याचार-दबावतंत्र के खिलाफ आवाज उठाते रहे। क्या दो जिंदगियों की हत्या करने वाले शराबी मदांध वेदांत अग्रवाल को पुणे पुलिस और कोर्ट साधु-संत समझ रही थी? शराब के नशे में लापरवाही से गाड़ी चलाकर दो लोगों की मौत का कारण बने वेदांत को जमानत देते हुए कोर्ट ने जो शर्तें लगार्इं, वे हास्यास्पद हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि शराबी आरोपी वेदांत को १५ दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ चौक पर खड़े होकर काम करना होगा, वेदांत अग्रवाल को भविष्य में कोई दुर्घटना देखने पर दुर्घटना पीड़ितों की मदद करनी होगी और वेदांत को मनोचिकित्सक से इलाज कराना होगा। न्यायालय की यह सजा मृत युवक-युवती और उनके परिजनों का क्रूर उपहास है। मनोचिकित्सक से इलाज कराने की जरूरत संबंधित अदालत और पुणे पुलिस बल को है। पुलिस कमिश्नर ने पुणे आते ही कई कुख्यात गैंगस्टर की परेड करवाने की नौटंकी की और फेमस हो गए। उन्होंने वादा किया था कि जब तक वे वहां पर हैं, गुंडागर्दी नहीं चलेगी, लेकिन पुणे की सड़कों पर दो युवकों की हत्या करने के बाद अमीर शराबी वेदांत अग्रवाल बाहर है। ये पुणे के पुलिस कमिश्नर की वर्दी पर दाग है। पुणे में गैंगस्टरों और ड्रग माफियाओं का राज जारी है। अजीत पवार जैसे राजनेताओं ने चुनाव जीतने के लिए गुंडों की टोलियां तैयार की हैं और अजीत पवार के विधायक टिंगरे उन्मत्त वेदांत की वकालत करने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे। विशाल अग्रवाल का एक बड़ा फाइनेंशियल एंपायर है और उस एंपायर में कई राजनेता शामिल हैं। इसलिए वेदांता के सियासी खैरख्वाहों के दिमाग में यह विचार भी नहीं आया कि उसके शराबी बेटे ने दो निर्दोषों को कुचल कर मार डाला। वेदांत अग्रवाल को बचाने की कोशिश करने वाले अमानवीय और समाज के अपराधी हैं। जो लोग ऐसे अपराधियों का बचाव का आग्रह करते हैं, वे इंसान के तौर पर जीने लायक नहीं हैं। अश्विनी का शव देखकर उसकी मां अस्पताल में बिलख पड़ीं। उस मां की चीखों से अस्पताल की दीवारें रो पड़ीं, लेकिन पुणेकर शांत बैठे यह भयावहता देखते रहे। इस पर विधायक रवींद्र धांगेकर ने आवाज उठाई। पुलिस को झिंझोड़ा। अब पुलिस कमिश्नर काम पर लगे हैं। वेदांत को शराब परोसने वाले बार मालिक को गिरफ्तार किया है। बिना नंबर प्लेट की करोड़ों की पॉर्श कार अपने शराबी लड़के को देने वाले बिल्डर विशाल अग्रवाल को भी छत्रपति संभाजीनगर से हिरासत में लिया गया है। इन सबके बावजूद दोनों को कुचलने वाले वेदांत को जेल भेजा जाना चाहिए। पुणेकरों, आपको इसके लिए सड़क पर उतरना होगा!

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