आज महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। क्या नतीजों से पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लगेगा? ऐसी शंका उत्पन्न हो गई है। शिंदे-फडणवीस की जोड़ी और उनकी जोड़ी के साथ अमित शाह की झुंडशाही ताकत होने से देश में कुछ भी हो सकता है। इस मंडली ने मनमाफिक ‘एग्जिट’ पोल लगा रखे हैं और उसी ताकत के बल पर वे अपनी जीत की शेखी बघारते हुए निर्दलियों और छोटे दलों पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन जनता ने तय कर लिया है कि महाविकास आघाड़ी ही जीतेगी! महाविकास आघाड़ी की जीत और जीत के बाद सत्ता स्थापित करने की राह में बाधा डालने की साजिश रची गई है। महाराष्ट्र की जनता का कौल यानी जनादेश नहीं मानना है और लोकतंत्र की हत्या कर भले अल्पमत में ही क्यों न हों राज भवन के भाजपा कार्यालय में जाकर सरकार बनाने का दावा करना है। चल रही बैठकों के दौर में जो सड़े विचार आकार ले रहे हैं वे इस प्रकार हैं कि उसके बाद असमंजस की स्थिति में राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर महाराष्ट्र में राजनीतिक अराजकता पैदा कर दी जाए। राजभवन में संविधान के आधार पर फैसले होने चाहिए, लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा ने राजभवन जैसी संवैधानिक संस्थाओं का भी मटियामेट कर रखा है। इन लोगों ने महाराष्ट्र के राजभवन की प्रतिष्ठा को रसातल में पहुंचा दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के दौरान पर्दे के पीछे की हलचलें अहम होती हैं। यह डर लोकतंत्र के लिए खतरनाक है कि एक-दूसरे के विधायकों को हैक कर लिया जाएगा या तोड़ा जाएगा; लेकिन राज्य में इस तरह की चीजें बार-बार हो रही हैं। २०१९ में, शिवसेना और राष्ट्रवादी के चिह्न पर चुने गए विधायकों में से चालीस-चालीस विधायक एक रात में मोदी-शाह के ‘ढोकला’ कैंप में भाग गए और महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार को गिरा दिया गया। हमारे बोलबच्चन मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ भी विधायक अयोग्यता पर स्पष्ट फैसला दिए बिना सेवानिवृत्त हो गए। इसलिए, दलबदल से संबंधित संविधान की १०वीं अनुसूची को सुप्रीम कोर्ट ने बरबाद कर दिया। हालांकि, यह सच है, विश्वासघात की सारी गंदगी दूर हो चुकी है और आज जो भी लोग चुने जाएंगे वे सभी पवित्र होंगे। वे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से प्रभावित नहीं होंगे। फिर भी महाविकास आघाड़ी के तौर पर ‘जागते रहो’ की भूमिका निभानी होगी। महाविकास आघाड़ी को सरकार बनाने के लिए जरूरी पूर्ण बहुमत मिल रहा है। इसलिए बहुमत के आंकडे और ‘परेड’ के साथ राजभवन पहुंचने और उनकी साजिशों को रोकने के लिए एकता का प्रदर्शन करना होगा। मतदान के बाद जब चुनाव आयोग वोटों के प्रतिशत की घोषणा करता है, तो अगले ७२ घंटे में उस प्रतिशत में बढोतरी हो जाती है और उस बढ़े प्रतिशत का कोई हिसाब किताब मालूम नहीं पड़ता। चुनाव आयोग कह रहा है इसलिए उस पर विश्वास करना चाहिए, इस पर भरोसा करना संदिग्ध है। लोकसभा, हरियाणा विधानसभा चुनावों में ऐसे संदिग्ध और रहस्यमय प्रयोग हुए। अब महाराष्ट्र विधानसभा परिणाम में भी ऐसा हो रहा है, लेकिन हमें संकट का सामना करना होगा और सच्चाई की लड़ाई लड़नी होगी, हमारे हाथ में इतना ही है। निश्चित रूप से मतदान प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन इससे वास्तव में लाभ किसे हो रहा है? इसे देखने के बजाय इस पर शोध करना जरूरी है कि यह ‘बढोतरी’ वास्तविक है या कृत्रिम सूजन। मूलत: सरकार गठन के लिए दिया गया बेहद सीमित समय एक व्यापक साजिश का हिस्सा है। २६ तारीख को राज्य में नई सरकार का गठन होना अनिवार्य है। राज्यपाल कई तकनीकी चीजें पेश करके भाजपा और उसके अल्प मत वाले (चेले-चपाटों) की मदद करेंगे। क्योंकि राजभवन में क्या होता है और किसकी नियुक्ति होती है, यह जगजाहिर है। भले ही राज्य में अस्थिरता और अराजकता हो, भले ही लोकतांत्रिक आजादी को खत्म करके संविधान को नष्ट कर दिया जाए, लेकिन यह अवैध तरीकों से सत्ता में आने का भाजपा का ब्लूप्रिंट है। भाजपा और उसकी शिंदे मंडली ने महाराष्ट्र को बेचने के लिए रख दिया है। शिवसेना समेत महाविकास आघाड़ी ने इस बाजार को खत्म किया है। महाराष्ट्र में एक ईमानदार और महाराष्ट्र धर्म का पालन करने वाली सरकार आ रही है। महाविकास आघाड़ी इसमें बाधा डालने वालों को धूल चटाकर विजयी होगी। महाराष्ट्र धर्म की जीत होगी! जीतना ही होगा! जीत अवश्यंभावी है!