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संपादकीय : मोदी-ट्रंप मुलाकात …दौरा किसके लिए?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दो दिवसीय अमेरिका दौरे के दौरान नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। मोदी के गले मिलते ही ट्रंप का दिल भावविभोर हो उठा। उन्होंने मोदी से कहा, ‘‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, वी मिस यू अ लॉट!” उस पर मोदी ने क्या जवाब दिया, यह तो ट्रंप ही जानें। लेकिन मोदी और ट्रंप ‘मित्र’ हैं और पिछले चार-पांच साल से ट्रंप के सत्ता में नहीं होने से वे एक-दूसरे को मिस कर सकते हैं। ट्रंप के लिए मोदी ‘हाउडी मोदी’ हैं और मोदी के लिए ट्रंप ‘केम छो’ हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इस रिश्ते का अनुभव हुआ था। मोदी के तीसरे और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में दोनों के बीच यह पहली गलभेंट मुलाकात थी। स्वाभाविक रूप से, ट्रंप ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया, जबकि मोदी ने भी ट्रंप पर स्तुति सुमन की बौछार करते हुए कहा, ‘आपको व्हाइट हाउस में वापस देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।’ मोदी अमेरिकी अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के बच्चों के साथ भी रम गए। ट्रंप ने मोदी को ‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, यू आर ग्रेट” नामक अपने हस्ताक्षर वाली एक विशेष पुस्तक उपहार में देकर एक बार फिर मोदी के प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया। मोदी के अमेरिकी दौरे के इस
मुद्दे को भुनाने की
कोशिश मोदी भक्त जरूर करेंगे। मोदी भक्त निश्चित रूप से इस बात का ढिंढोरा पीटेंगे कि वैâसे मोदी की यात्रा भारत के लिए फायदेमंद रही, वैâसे मोदी-ट्रंप मित्रता से भारत को कई लाभ हुए। इसके लिए वे ट्रंप महोदय के इस कथन ‘मोदी इज अ टफ निगोशिएटर’ का हवाला देने में संकोच नहीं करेंगे। सवाल सिर्फ इतना है कि मोदी की ‘टफ निगोशिएशन’ आदि से देश को वास्तव में कितना फायदा हुआ? उसके एवज में भारत को अमेरिकी खजाने में क्या-क्या डालना होगा? और फिर, मोदी का यह टफ निगोशिएशन दरअसल किसके लिए था? देश के लिए या उद्योगपति मित्र के लिए? क्योंकि इस दौरे से पहले ही मोदीमित्र अडानी को अमेरिकी रिश्वत मामले से राहत मिल गई थी। ट्रंप ने वैसा ही निर्णय लिया। ट्रंप ने सोमवार को ही फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट-१९७७ (एफसीपीए) को स्थगित कर दिया। ऐसा लगता है कि यह सब मोदी की यात्रा से पहले हुआ ऐसा दिख रहा है, लेकिन यह यात्रा की पूर्व संध्या पर हुआ, इसे महज संयोग वैâसे कहा जा सकता है? ट्रंप के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी इस संबंध में पूछे गए सवाल को टाल गए। देश में आप जिस सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं, विदेश में उसी सवाल को व्यक्तिगत, निजी कहकर टाल देते हैं!
मोदी के इसी गोलमाल पर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उंगली उठाई है और मोदी की ‘टफ निगोशिएशन’ को खोलकर रख दिया है। क्या अमेरिका में प्रेस कॉन्प्रâेंस में मोदी के जवाब को अमेरिका में अडानी रिश्वत मामले पर पर्दा समझा जाना चाहिए? भले ही अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने उस कानून को स्थगित कर दिया है, लेकिन यह मामला भारत की छवि पर लगे दाग को वैâसे मिटा सकता है? हालांकि, सवाल तो कई हैं, लेकिन हमेशा की तरह मोदी उनका जवाब देना टाल देंगे। बाकी मोदी-ट्रंप की मुलाकात से लेकर २६/११ मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण और व्यापार, रक्षा व अन्य समझौतों तक तो सामान्य रुप से सब ठीक है, लेकिन इन समझौतों में भारत को ‘मिलना’ कितना है और ‘देना’ कितना है? क्या ट्रंप के ‘टैरिफ’ की मार से भारतीय अर्थव्यवस्था पर उभरा गूमड़ कम करने के लिए ट्रंप ने अपने ‘टफ निगोशिएटर मित्र’ मोदी को कोई ‘बाम’ दिया है? मोदी के ‘टफ निगोशिएशन’ से देश को कितना फायदा हुआ और उनके उद्योगपति मित्र को कितना? यह दौरा किसके लिए था? मोदीजी, आपकी अमेरिका यात्रा से ये अनगिनत सवाल उठे हैं। भारतीय जनता को इनका जवाब चाहिए। क्या आप जवाब देने की हिम्मत करेंगे?

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