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संपादकीय : तड़प रही है प्रजा!

महाराष्ट्र में विधानसभा में जीत के बाद भाजपा और उसकी महायुति में आनंद ही आनंद है। सभी ने महाराष्ट्र में जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया है। इसमें शिंदे सेना और अजीत पवार की राष्ट्रवादी भी है। इस मंडली का कहना है कि लोगों ने मोदी को देखकर वोट दिया है। इस खुशी का जश्न दिल्ली में मोदी समर्थकों ने भी मनाया, लेकिन क्या वाकई प्रधानमंत्री मोदी देश के युवाओं और किसानों के जीवन में आनंद लाने में सफल रहे हैं? आज देश पर रोजगार का महासंकट आ गया है। देश की आबादी १४० करोड़ है, उनमें से चालीस प्रतिशत हताश-निराश बेरोजगार हैं। मोदी ने ८१ करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त सरकारी राशन देकर पेट भरने की व्यवस्था की है। इसका मतलब है कि देश में ८१ से ८५ करोड़ लोग बेरोजगार हैं। मोदी ने उन्हें मुफ्त राशन देने का उपाय निकाला है। जो आंकड़े सामने आए हैं वो चौंकानेवाले हैं। १४ प्रमुख राज्यों में बेरोजगारी चरम पर है, इसमें पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं। महाराष्ट्र में केवल ५६ प्रतिशत लोगों के पास रोजगार है और बाकी लोग खाली हैं। सरकारी नौकरियों में भर्ती, सार्वजनिक उपक्रमों में भर्ती बंद है। लगभग २५ लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं और पेपर लीक घोटाले के चलते लाखों नौकरियां अटकी पडी हैं। जब भर्ती निकलती है तो हर पद के लिए हजारों आवेदन आते हैं। भर्ती स्थल पर बेरोजगारों की भगदड़ मच जाती है। शिक्षक, पुलिस, होम गार्ड की भर्ती के दौरान पुलिस को ला’ियां भांजनी पड़ती हैं। युवाओं को रोजगार देने के नाम पर मोदी ‘अग्निवीर’ जैसी एक खोकली योजना लाये जो विफल रही। भारतीय सेना में कांट्रैक्ट पर लोगों को नियुक्त करने की उनकी योजना वाकई अनोखी ही थी। मोदी सरकार ने अकुशल श्रमिकों को इजरायल में काम करने के लिए भेजने की योजना की घोषणा की, लेकिन ये नौकरियां भारतीय युवाओं को मौत की खाई में धकेलने वाली साबित हुर्इं। इजरायल में नौकरी देना अमानवीय था। वह भी असफल रही। सरकार का कहना है, देश में बेरोजगारी कम हुई है और लोगों का बढ़िया चल रहा है। जिनके पास रोजगार है, उनमें से ७८ फीसदी १५ हजार प्रति माह से कम कमाते हैं। स्वरोजगार करनेवालों की आय ८ हजार से कम है। क्या अब मोदी सरकार इन सभी को भी मुफ्त सरकारी राशन देगी? देश में अब रोजगार, नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। क्योंकि देश में उद्योग के लिए अनुकूल माहौल नहीं है। ईडी, सीबीआई, भाजपा और इनकम टैक्स के आतंक से देश के ५ लाख से ज्यादा मझोले उद्यमी पलायन कर गए और उन्होंने दूसरे देशों में जाकर निवेश किया है। इससे बहुत सारी नौकरियां बाहर चली गर्इं। गौतम अडानी नामक एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द देश की अर्थव्यवस्था और उद्योग क्षेत्र घूम रहा है, लेकिन पूरे अडानी समूह में देश में दो हजार लोगों को भी रोजगार नहीं मिला है और अडानी को देश की सार्वजनिक संपत्ति का मालिक बना दिया गया है। आजादी के बाद टाटा, बिड़ला, बजाज, प्रेमजी, वाडिया, नारायण मूर्ति जैसे कई लोगों ने देश में निवेश किया और इससे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हुआ। पंडित नेहरू ने कई सार्वजनिक उद्यमों की नींव रखी और उनके माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया। मोदी काल में ये सभी सरकारी उपक्रम ध्वस्त हो रहे हैं। मुंबई जैसे सर्वाधिक रोजगार देनेवाले औद्योगिक शहर के महत्व को कम कर दिया गया है। ऐसा दिख रहा है कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में उद्योगों को आने से ही रोकने के लिए लोग अथक प्रयास कर रहे हैं। आज बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल में नौकरियों की कमी है और मुंबई समेत महाराष्ट्र भी नौकरियों के नाम पर ‘न-‘न गोपाल है। प्रधानमंत्री मोदी और उनके लोग कभी गरीबी, रोजगार और महंगाई पर बात करते नहीं दिखते। क्योंकि सभी क्षेत्रों का रोजगार खत्म हो गया है। मोदी काल में जिस तरह का विस्फोटक और भयावह माहौल बना है, उसका पर्यटन उद्योग पर गहरा असर पड़ा है। इसमें मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, उत्तर और उत्तर पूर्वी राज्य शामिल हैं। मोदी बुलेट ट्रेन का सपना देखते हैं। हवाई चप्पल पहनने वाला भी अब से ‘हवाई’ यात्रा करेगा। इस तरह के भाषण ‘ोकते हैं, लेकिन हकीकत में जमीनी हालात जुदा और खौफनाक हैं। यूक्रेन, इराक, ईरान, अफगानिस्तान जैसे देश युद्ध की स्थिति के कारण बेरोजगारी और भुखमरी से पीड़ित हैं। भारत में ऐसी कोई बात नहीं है फिर भी ‘बेरोजगारी’ का ज्वालामुखी फूट पड़ा है और शासक चुनावी जीत के जश्न में डूबे हुए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र जीत लिया। पिछले ढाई साल में महाराष्ट्र में पांच हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। बेरोजगारों ने निराशा में आकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। महाराष्ट्र समेत पूरे देश की मौजूदा स्थिति वैâसी है? इस पर मरा’ी में कुछ पंक्तियां हैं…
तळमळे अवघी प्रजा, उत्सवी मग्न राजा साधितो शकुनि काजा।
वैरी घर भरिती स्वैरगति रमिति। प्रजानन फिरती रानी।
(अर्थात राजा खुश है उत्सव में मग्न है और प्रजा परेशान है, तड़प रही है।)
बोलो, जय श्रीराम !

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