प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए और प्रेसिडेंट ट्रंप से मुलाकात कर लौटे। इसलिए मोदी के भक्त खुश हैं। जब मोदी मातृभूमि लौटे तो विमान से उतरते समय उनके चेहरे पर उत्साह नहीं, बल्कि एक तरह की निराशा थी। हमेशा की तरह, अमेरिका जीत कर लौटने और प्रेसिडेंट ट्रंप को अपनी जेब में लेकर लौटने का आत्मविश्वास इस बार उनके चेहरे पर बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था। अमेरिकी दौरे से मोदी को निजी तौर पर और भारत को कुछ नहीं मिला। इसके विपरीत प्रधानमंत्री अपमान का घूंट पीकर लौट आए। ट्रंप प्रशासन ने अवैध भारतीयों को बेड़ियों में जकड़कर भारत भेजा। ऐसा लगा था कि मोदी अमेरिका में जाकर प्रेसिडेंट ट्रंप से इस बाबत सवाल करेंगे, लेकिन मोदी ने भारतीयों के अपमान के मसले पर ‘व्हाइट हाउस’ में एक भी शब्द नहीं कहा। जैसे ही मोदी भारत लौटे, अमेरिका ने भारतीयों से भरा एक और सैन्य विमान भेज दिया। उन ११६ भारतीयों को भी जंजीरों से बांधा गया था। जो सिख थे उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए मजबूर किया गया। अगर यह सब कांग्रेस के राज में होता तो भाजपा पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करती और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करती, संसद रोक दी जाती, लेकिन भाजपा के प्रधानमंत्री मोदी ‘व्हाइट हाउस’ से अपमान का कड़वा घूंट पचाकर आ गए। उस पर किसी का राष्ट्रवाद नहीं जागा। कल तक अमेरिकी सैन्य विमान अफगानिस्तान की धरती पर उतर रहे थे। अब वे बेड़ियों में जकड़े भारतीयों के साथ भारत की धरती पर उतर रहे हैं। कहां गया आपका स्वाभिमान और
भारत की संप्रभुता
वगैरह। उनके भक्तों का कहना है कि मोदी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने में सक्षम थे, लेकिन वह अमेरिका में भारतीयों के हाथ-पांव की बेड़ियां नहीं तोड़ पाए। आगे भी अमेरिकी सैन्य विमान भारतीय धरती पर उतरेंगे और बेड़ियों में जकड़े भारतीयों को छोड़कर चले जाएंगे। अमेरिकी सैन्य विमानों की लैंडिंग के लिए अमृतसर हवाई अड्डे को ही क्यों चुना जाना चाहिए? मुंबई, चंडीगढ़, अमदाबाद, दिल्ली जैसे कई हवाई अड्डे हैं। अमेरिका में अवैध भारतीयों में गुजरात के लोग भी बड़ी संख्या में हैं। तो क्या गुजराती यात्रियों को लेकर कोई अमेरिकी सैन्य विमान अमदाबाद हवाई अड्डे पर भी उतरने वाला है? मोदी और ट्रंप की मुलाकात में भारत के अपमान का मुद्दा उठा ही नहीं। मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए था, लेकिन जैसा कि विदेश मंत्री कहते हैं, ‘क्या करें? वे अमेरिकी कानून के अनुसार काम कर रहे हैं।’ चलो ठीक है, लेकिन यह भारत एक संप्रभु देश है। क्या अमेरिकी कानून भारतीय धरती पर लागू होता है? मोदी सरकार में अमेरिका से कठोरता से यह कहने की हिम्मत नहीं दिखती है कि कम से कम भारतीय सीमा में घुसने पर भारतीयों के हाथ-पैरों से बेड़ियां हटा दो, नहीं तो हम तुम्हारे सैन्य विमान को हमारी धरती पर उतरने नहीं देंगे। यहां राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के नाम पर गुर्राना और प्रेसिडेंट ट्रंप द्वारा हिंदुओं को बेड़ियों में जकड़कर भारत भेजे जाने पर मौन रहना। तो सवाल यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका जाकर क्या हासिल किया? भारत में एक कमजोर और
झुकने वाली सरकार
विराजमान है। रूस के पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को बता दिया कि वह कितने पानी में है। अमेरिकी प्रेस कॉन्प्रâेंस में जब प्रधानमंत्री मोदी से उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर सवाल पूछा गया तो मोदी ने निर्देश दिया कि अमेरिका में ऐसे निजी मुद्दों पर चर्चा करना उचित नहीं है। अडानी का भ्रष्टाचार मोदी का निजी मुद्दा हो सकता है, लेकिन जब भारतीयों को बेड़ियों में जकड़ कर लाया जाता है तो भारतीय प्रधानमंत्री का निजी मुद्दा तो दूर, वह राष्ट्रीय मुद्दा भी नहीं होता। इसीलिए हम कहते हैं कि भाजपा और उसकी सरकार की देशभक्ति एक ढोंग है। बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता पैâल गई और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोदी के राज में शरण ली। प्रेसिडेंट ट्रंप ने बांग्लादेश में शांति बनाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी पर डाल दी है, इसे एक अंतरराष्ट्रीय मजाक ही कहा जा सकता है। जिस भारत में सांप्रदायिक और धार्मिक हिंसा को राजनीतिक रूप से प्रोत्साहित किया जाता है और उसके अपराधियों को मोदी सरकार द्वारा सम्मानित किया जाता है, वो अन्य देशों की सांप्रदायिक हिंसा को वैâसे रोकेगी? प्रेसिडेंट ट्रंप को इतना भद्दा मजाक नहीं करना चाहिए था, लेकिन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत की हंसी होने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी को उनके भक्त विश्वगुरु मानते हैं। लेकिन प्रेसिडेंट ट्रंप ने भारतीयों पर उपकार करने का जो एक काम किया वो ये कि उन्होंने ‘ईवीएम’ के बाबत प्रधानमंत्री के कान खींचे हैं। अगर हमें लोकतंत्र को बचाए रखना है, अगर हमें लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखना है तो हमें मतपत्र पर चुनाव कराना होगा। अब क्या करेंगे मोदी? निश्चित तौर पर प्रेसिडेंट ने एक बढ़िया अड़ंगा डाल रखा है!