मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : अमेरिका में जनता की बगावत ...भारत में क्या?

संपादकीय : अमेरिका में जनता की बगावत …भारत में क्या?

प्रेसिडेंट ट्रंप और एलन मस्क की नीतियों से अमेरिकी जनता तंग है। जिस तरह भारतीय जनता प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के गठबंधन और नीतियों से तंग आ चुकी है, उसी तरह अमेरिकी जनता ट्रंप की नीतियों से तंग आ चुकी है। डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के विरोध में अमेरिका के ५० राज्यों में १५० से ज्यादा संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। देशभर में १,२०० स्थानों पर भव्य मार्च आयोजित किए गए। ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बने अभी छह महीने भी नहीं हुए और उनके खिलाफ ये आक्रोश शुरू हो गया। अमेरिका में लोकतंत्र जिंदा है और इसीलिए लोग सड़कों पर आकर ट्रंप-मस्क की देश को डुबोने वाली नीतियों के खिलाफ खड़े हो गए हैं। अमेरिका के लोगों में क्यों है असंतोष? लोगों को लगता है कि ट्रंप के राज में उनका स्वाभिमान नष्ट हो गया है। ट्रंप के चुनाव प्रचार का पूरा बोझ बिजनेसमैन मस्क ने उठाया था और मस्क ही इसका पूरा खर्च वसूल रहे हैं। मस्क ट्रंप की वैâबिनेट में हैं। इसके अलावा, मस्क को डीओजीई के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रशासनिक क्षमता में सुधार के लिए स्थापित किया गया। जब किसी पूंजीपति को बागडोर सौंपी जाती है तो और क्या होता है? मस्क ने सरकारी विभागों से कर्मचारियों की कटौती शुरू कर दी है। अमेरिका में रहने वाले अन्य देशों के नागरिकों को अपमानित कर भेजा गया। ट्रंप ने कई देशों के व्यापार पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है। इसका असर अमेरिकी व्यापार और उद्योग पर पड़ रहा है। परिणामस्वरूप, महंगाई और बेरोजगारी भड़क उठी। अमेरिका की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था चरमरा गई है और कानून-व्यवस्था खराब हो गई है। ट्रंप ने सामाजिक सुरक्षा विभाग को बंद कर दिया इसलिए लोग डर के साये में जी रहे हैं। ट्रंप एक बिजनेसमैन हैं और उनके दोस्त एलन मस्क भी एक बड़े बिजनेसमैन हैं। दोनों ने मिलकर अमेरिका को लूटने की ठान ली है और उस
लूटतंत्र के खिलाफ
अमेरिका के लोगों ने ‘हैंड्स ऑफ’ आंदोलन का आह्वान किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एलन मस्क ने ट्रंप के कई पैâसलों में दखल दिया है। ये पैâसले मस्क के वित्तीय फायदे के लिए लादे गए हैं इसलिए लोग नाराज हैं। हमें ऐसा अमेरिका नहीं चाहिए। हम अपनी सुरक्षा, स्वाभिमान और आजादी चाहते हैं। इसलिए सरकार को हमारे लोकतंत्र और सुरक्षा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, प्रदर्शनकारियों ने ‘हैंड्स ऑफ’ रुख अख्तियार किया है। अमेरिका के लोग ट्रंप को नहीं चाहते। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप और मस्क को बर्खास्त किया जाना चाहिए। अमेरिका के नागरिक अधिकार संगठन, मजदूर संघ और कई दिग्गज ट्रंप के खिलाफ खड़े हैं। ट्रंप की नीतियां न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया को दिवालियापन की ओर धकेल रही हैं। ट्रंप द्वारा लगाए गए २६ फीसदी टैरिफ के खिलाफ चीन और कनाडा जैसे देशों ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि वह अमेरिका के सामने नहीं झुकेंगे। ट्रंप ने कहा कि वह कनाडा को निगल जाएंगे और कनाडा ने ट्रंप को पलटकर करारा जवाब दिया। पुतिन के साथ डील कर यूक्रेन को कुचलने की कोशिश की, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ‘व्हाइट हाउस’ में ही प्रेसिडेंट ट्रंप को हड़का दिया। एक ओर जहां इजराइल गाजा पट्टी में अत्याचार कर रहा है, वहीं प्रेसिडेंट ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका गाजा पट्टी पर कब्जा कर लेगा। यह मूर्खता है। यह मूर्खता अमेरिका के लोगों को नागवार गुजरी और लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। हर जगह हजारों लोग मार्च और प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं। भारत के हुक्मरानों को इससे सबक लेना चाहिए। जब अमेरिका में आंदोलन चल रहा था तब भारत का शेयर बाजार धराशायी हो गया। सोमवार को शेयर बाजार ऐसा गिरा कि लोगों के १९ लाख करोड़ डूब गए और वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री आदि की टीम कुछ नहीं कर सकी। जिन कारणों से अमेरिका की जनता सड़कों पर उतरी है।
वे सभी सवाल भारत में
हैं। इसके उलट अधिक तीव्र होते हैं। मोदी के भी एक एलन मस्क हैं। भारत की सार्वजनिक संपत्ति उनकी जेब में चली गई है। इस ‘मस्क’ को खनन उद्योग दिए जाने के चलते छत्तीसगढ़, झारखंड के जंगलों को काटा जा रहा है और जंगल में आंदोलन करनेवाले आदिवासियों को नक्सली बताकर गोली मार दी जा रही है या गिरफ्तार किया जा रहा है। महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलनों को दबाया जा रहा है। किसानों की जमीन पर कब्जा शुरू हो गया है। पंजाब के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने के कारण १५० दिनों तक सड़कों पर थे। सरकार ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया। देश में एक प्रकार की सामाजिक एवं धार्मिक अराजकता पैदा हो गई है। होली के दिन मस्जिदों को ढकने का आदेश दिया जाता है। मुसलमानों की धर्मदाय जमीन खरीदी जा सके इसलिए वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का दांव चला जाता है। यह दो लाख करोड़ की जमीन भारतीय ‘मस्क’ की जेब में डालने का प्रावधान है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं बची है। साफ बोलनेवालों का गला काटा जा रहा है या उनके परिवारों पर क्रूर हमले किए जा रहे हैं। जनता की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म करने के लिए उन्हें धर्मांध बनाया जा रहा है और उसी मदहोशी में देश में सरकार चल रही है। अमेरिका में जहां जनता आजादी और महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर उतरी थी, वहीं भारत की जनता रामनवमी का जुलूस निकालकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रही थी। शासकों ने तय कर लिया है कि ‘जय श्रीराम’ ही सभी समस्याओं का रामबाण इलाज है। फिर भी हमें आशा है कि अमेरिका की तरह भारतीय जनता के मन में भी असंतोष की चिंगारी फूटेगी। अमेरिका में आत्मसम्मान की लड़ाई चल रही है। जनता ने ट्रंप के घटिया, जोकरी हरकतों और उद्योगपति मस्क के साथ उनकी साझेदारी के खिलाफ बगावत कर दी है। भारतीय जनता को अब कायरों की तरह ठंडा रहना मुफीद नहीं होगा।

अन्य समाचार

अनजान शहर

कन्यादान

बुढ़ापा