लोग केंद्रीय बजट का मजा ले रहे हैं। यह ‘हम दो, हमारे दो’ तरह वाली सरकार है। यानी मोदी-शाह सिर्फ अपने दो खास उद्योगपतियों के लिए सरकार चला रहे हैं। अब बजट ‘हम दो’ यानी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के लिए ही बना है। यानी सरकार की ‘हमारे दो’ की नीति बनी हुई है। अब इस बजट को ‘लोकसभा नतीजे से पीड़ित बजट’ कहना ही सही होगा। कल का बजट यानी अस्थिर मोदी सरकार के लिए छह महीने का एक्सटेंशन है और उस एक्सटेंशन के लिए केंद्रीय खजाने से गुजरात व्यापार मंडल ने कम से कम सवा करोड़ लुटा दिया। पिछला बजट ‘अयोध्या’ और ‘राममय’ था। गौरतलब है कि इस बजट में अयोध्या और राम का साधारण जिक्र तक नहीं है। बिहार को सड़क और पुल निर्माण के लिए २६ हजार करोड़ रुपए दिए गए। ऐसे में मिट्टी और रेत में मिलावट कर सड़क और पुल बनाने वाले ठेकेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। बिहार में पिछले दो महीने में १८ पुल टूटकर नदी में बह गए और जिसकी वजह से हजारों करोड़ रुपए बह गए। अब उन्हीं रेत ठेकेदारों को २६ हजार करोड़ रुपए मिले हैं। अत: सर्वत्र आनंद ही आनंद कहना पड़ेगा। आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष दर्जा तो नहीं मिला, लेकिन पैसा मिल गया। मोदी मित्रों की यह धारणा कायम है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है और लोगों को बेचा जा सकता है। बिहार में बाढ़ नियंत्रण के लिए करीब १८ हजार करोड़ रुपए दिए गए, लेकिन वित्तमंत्री निर्मलाबाई को महाराष्ट्र में बाढ़ की स्थिति और उससे बर्बाद हुआ जनजीवन और खेती नजर नहीं आई। महाराष्ट्र के प्रति नफरत कांटे की भांति किस तरह केंद्र की नजरों में चुभता जा रहा है यह उसका नतीजा है। जब निर्मला ताई ‘बजट’ पेश कर रही थीं, तब देवेंद्रभाऊ फडणवीस हाथ में कागज और पेंसिल लेकर नोट्स ले रहे थे (उनकी तस्वीर जारी हुई है) और सब खत्म होने पर चिल्लाने लगे, ‘महाराष्ट्र के साथ अन्याय नहीं हुआऽऽऽ।’ फिर उनकी चिल्लाहट में दूसरे लोग भी शामिल हो गए। महाराष्ट्र के साथ खुले तौर पर अन्याय हुआ… ऐसे वक्त में जब महाराष्ट्र के साथ बेईमानी हो रही है, उस बेईमानी का समर्थन करना महाराष्ट्र धर्म नहीं है। सबसे ज्यादा किसानों ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की है। उन अन्नदाता किसानों के लिए क्या दान मिला? सरकार को तो बचा लिया, लेकिन गुजरात व्यापारी मंडल किसानों की जान बचाने के लिए तैयार नहीं है। आंध्र, बिहार में लाखों करोड़ के काम और ठेके, जिसका कमीशन अंतत: गुजरात की ओर ही जाएगा और यह सब निबटने के बाद अमित शाह महाराष्ट्र आएंगे और भ्रष्टाचार व नैतिकता पर प्रवचन झाड़ेंगे। केंद्र को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले महाराष्ट्र को क्या मिला? ये बात कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। महाराष्ट्र का खजाना खाली है। अजीत पवार और देवेंद्र भाऊ के ‘लाडले भाई’ गिरीश महाजन के बीच निधि आवंटन को लेकर गजब की जंग छिड़ गई। अब क्या पैसा इकट्ठा करने के लिए जमीन बेचें? वित्तमंत्री अजीत पवार ने इतना हंगामा किया, लेकिन उपमुख्यमंत्री फडणवीस केंद्रीय बजट का हिसाब-किताब लगाकर बैठे हैं। महाराष्ट्र के मुंह से पत्तियां तक भी छिन गर्इं लेकिन वे गुजरात की लौंग, इलायची, कतरी सुपारी पान के पत्ते चबाकर पिचकारियां मार रहे हैं। महाराष्ट्र के हिस्से में क्या आया? कौन से उद्योग, कौन से प्रोजेक्ट, कौन से फंड आए? अगर सौ-दो सौ करोड़ का चना-मूंगफली फेंक दिया गया है और उसी से महाराष्ट्र के चमचे खुशी से फूल रहे हैं तो उन्हें अपनी होली-दिवाली खुशी से मनानी चाहिए। महाराष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र खींचकर गुजरात ले जाया गया। बुलेट ट्रेन के नाम पर महाराष्ट्र की जमीनें ले ली गर्इं। उद्योग ले गए और बदले में उन्होंने मराठी माणुस को क्या दिया, दिल्ली में पांव पोंछने का काम करने वाली एक लाचार-भिखमंगी सरकार! महाराष्ट्र सदैव देश को देता रहा है। महाराष्ट्र दानवीर है। प्रकृति ने महाराष्ट्र को इसी उद्देश्य से बनाया था, लेकिन गुजरात व्यापार मंडल ने महाराष्ट्र की इस दानवीर स्थिति को नष्ट करने के लिए अफजलखानी बीड़ा उठाया है। औरंगजेब का जन्म गुजरात के दाहोद में हुआ था। मौजूदा गुजरात व्यापार मंडल पर उस मिट्टी का असर हुआ और उस गुणधर्म के चलते उसने महाराष्ट्र को लूटना शुरू कर दिया। गुजरात व्यापार मंडल ने स्वतंत्रता-पूर्व काल में ईस्ट इंडिया कंपनी को जबरन वसूली देकर अपने व्यापार और उद्योग को बचाया था। आज वैसी ही वसूली देकर दिल्ली में डगमगाती कुर्सी को बचाया जा रहा है। इस वसूली के खेल से देश को क्या मिला? महाराष्ट्र को क्या मिला? जनता ने गुजरात व्यापार मंडल का बहुमत छीन लिया, लेकिन न दुख, न खेद! इतिहास में उनका उल्लेख सत्ता बनाए रखने के लिए देश के बजट का इस्तेमाल करने वाले मूर्ख व्यापारी मंडल के तौर पर किया जाएगा। लोकसभा नतीजों से पीड़ित बजट पेश कर व्यापार मंडल ने खुद को ईस्ट इंडिया कंपनी का उत्तराधिकारी साबित कर दिया। देवेंद्र भाऊ, अपना हिसाब-किताब चूल्हे में डाल दो!