प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को महाराष्ट्र में थे। उसी समय बीड जिले में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हो रही थी। ये एक झलक है कि महाराष्ट्र में किस तरह का राज चल रहा है। पिछले १५-२० दिनों से बीड और परभणी जिले में अराजकता का माहौल है। माना कि परभणी में सोमनाथ सूर्यवंशी और केज में संतोष देशमुख की हत्या के बाद लोगों की भावनाओं का बांध टूट गया, लेकिन जैसे ही संतोष देशमुख मामले में वाल्मीक कराड के खिलाफ ३०२ का मामला दर्ज कर उसे ‘मोक्का’ के तहत जेल में डाल दिया गया, कराड के समर्थक कहे जाने वालों ने परली में हंगामा किया। बाजार बंद किया, गाड़ियों पर पत्थर फेंके। आगजनी कर सड़कें बंद की। क्या यह कानून व्यवस्था की निशानी है कि जमावबंदी के बावजूद परली में यह हंगामा जारी रहा? पहले संतोष देशमुख को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन हुआ और अब हत्याकांड के मुख्य मास्टरमाइंड वाल्मीक कराड को न्याय दिलाने के लिए उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए। बीड जिले का राजनीतिक और सामाजिक गणित बिगड़ गया है और हमें मराठवाड़ा के सामाजिक मानस पर इसके प्रभाव की आशंका है। उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद खुदाई का मामला भड़का और पुलिस ने फायरिंग कर दी। अगले दस दिनों तक संभल मामला देश की मीडिया में छाया रहा। क्योंकि मुद्दा हिंदू-मुस्लिम का था, लेकिन बीड और परभणी का नरसंहार संभल से भी ज्यादा गंभीर है और उस
हत्याकांड को दबाने
व मुख्य आरोपी को बचाने की पुरजोर कोशिश की गई। सरकार वाल्मीक को बचाने की कोशिश करती रही और देशमुख के बाल-बच्चे, भाई, पत्नी जनता के सहयोग से लड़ते रहे। संघर्ष की ये लहर इतनी तेज थी कि आखिरकार वाल्मीक के खिलाफ ३०२ का मामला दर्ज करना पड़ा। यह जनशक्ति की जीत है। लेकिन अब से केज और परली में शांति स्थापित होनी चाहिए। वाल्मीक और उसके लोग अंदर हैं और उनकी मदद करने वाली वृत्ति बाहर तड़फड़ा रही है। बीड में शांति रहे यह प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर कराड समर्थक जमावबंदी के दौरान हंगामा करते हैं तो पुलिस को इस गुंडागर्दी को रोकना चाहिए। कार्यों से यह प्रदर्शित होना चाहिए कि कोई भी कानून से बड़ा नहीं है। संतोष देशमुख मामले में सरकार की खूब किरकिरी हुई। यह एक हत्या को पचाया नहीं जा सका और इसने बीड में अपराध का पिटारा खुल गया। बीड की धरती पर पिछले कुछ वर्षों से वसूली, फिरौती, अपहरण, बलात्कार, लूटपाट की ‘मिर्जापुरी’ फिल्म चल रही थी और सभी प्रमुख पात्र भाजपा के निर्देशन में काम कर रहे थे। ‘सरकार अपनी है। हमें बचाने वाले बॉस कल ‘सागर’ बंगले पर और अब ‘वर्षा’ बंगले पर बैठे हैं’ जब अपराधियों को ऐसा लगने लगता है तो तब उनका कानून का डर खत्म हो जाता है। फडणवीस और उनके जैसे लोगों ने राजनीतिक लाभ के लिए जो बोया, वही काटा, लेकिन उन्हें बीड में कुछ ज्यादा ही फल गई। राजनीति में साधन शुचिता और नैतिकता की बात करने वाली पार्टी का जंगल राज हो गया है। हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली को बलात्कार और गैंग रेप के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। ये जनाब प्रधानमंत्री मोदी के खासमखास शख्स हैं। उन्होंने अपने साथ-साथ भाजपा के चरित्र को भी उजागर कर दिया। इसलिए भाजपा को दूसरों को
नैतिक शिक्षा देना
बंद कर देना चाहिए। भाजपा के पीछे जनता का कोई समर्थन नहीं है। उनकी जीत फर्जी है और भाजपा ने ईवीएम घोटाले से जीत हासिल की है। लोगों को मोदी या भाजपा की विचारधारा मान्य है इसलिए उन पर वोटों की बारिश नहीं हुई है। भाजपा के समर्थक इस वक्त परली की सड़कों पर हंगामा कर रहे हैं और यही हंगामा उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान भी किया था। आज बीड की हालत ऐसी है कि गुंडागर्दी पर शोक मनाना भी अपराध बन चुका है। बीड मामले में फडणवीस और सख्त हो सकते थे। उनके मंत्रिमंडल में कई आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बैठे हैं। पहले उन्हें हटाएं। अजीत पवार की नैतिकता तो बहुत ऊंची कही जानी चाहिए। उन्हें धनंजय मुंडे को कैबिनेट से बर्खास्त करना चाहिए था, लेकिन अजीत पवार ने बीड की राष्ट्रवादी दल की कार्यकारिणी को बर्खास्त कर दिया। ये तो ढोंग है। बीड में बंदूकों का शासन था। इसके अलावा, लोगों को प्रताड़ित कर मार डाला गया। उत्तर प्रदेश और बिहार में अतीक अहमद जैसे अपराधी इसी तरह कृत्य करते थे और उन्हें राजनीतिक आश्रय मिला था। अतीक अहमद की हत्या हुई। बीड में अतीक अहमद से भी खतरनाक लोग राजनीतिक कृपा से हंगामा कर रहे हैं। एक कराड पर ‘मोक्का’ लगा देने से यह हंगामा हमेशा के लिए खत्म नहीं हो जाएगा। असली सांप अभी भी बिल में है!