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संपादकीय : संगमनेर का दंगा …मातृत्व का अपमान

शिंदे सरकार ने महिलाओं का वोट पाने के लिए ‘लाडली बहन’ योजना शुरू की। भले ही यह दिखाया जा रहा हो कि वे कैसे महिलाओं के तारणहार हैं और महिलाओं के खाते में १,५०० रुपए जमा कर महिलाओं की किस तरह देखभाल कर रहे हैं, बावजूद इसके भाजपा की ‘संस्कृति’ क्या है, उसके दर्शन हर दिन हो रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात की सुशिक्षित बेटी जयश्री थोरात के बारे में भाजपा नेताओं ने जिस अभद्र और अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया, उसकी जितनी भी निंदा की जाए वो कम है। डॉ. जयश्री संगमनेर युवक कांग्रेस की तालुका अध्यक्ष हैं। संगमनेर की एक सभा में जयश्री थोरात द्वारा ‘मेरा बाप सबका बाप है’ (मेरे पिता श्रेष्ठ हैं’) कहने पर स्थानीय भाजपा नेता वसंत देशमुख ने उन पर बेहद गंदे शब्दों की झड़ी लगा दी। जब देशमुख सार्वजनिक रूप से महाराष्ट्र की संस्कृति की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे थे, तब ‘विखे’ पुत्र मंच पर दुर्योधन की तरह अपनी जांघें बजाते हुए विकट हास्य कर रहा था और भाजपा समर्थक श्रोता विकृत वसंत देशमुख को उकसा रहे थे। जयश्री थोरात कांग्रेस पार्टी की युवा नेतृत्व हैं। उनके भाषण में कुछ भी गलत नहीं था। ‘मेरा बाप सबका बाप है’ इस वक्तव्य के चलते देशमुख को मिर्ची लगने की क्या वजह है? भाजपा वालों के माई-बाप तो मोदी-शाह हैं, लेकिन कई लोग भाजपा में शामिल हो गए और मोदी-शाह को अपना बाप जाहिर कर दिया। जब सत्ता बदलती है तो यही लोग बाप बदलते हैं और नगर जिला भी पीछे नहीं है। नगर जिले में सुजय विखे को लोकसभा में और सुजय के पूज्य पिताश्री को विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा। रणरागिनी प्रभावती घोगरे अपने शिर्डी विधानसभा क्षेत्र में राधाकृष्ण विखे पाटील को हराने के लिए कृतसंकल्प हैं। इस वजह से विखे और उनकी भाजपा, महिलाओं से नाराज हो गई। इसलिए शिर्डी में प्रभावतीताई और संगमनेर में जयश्रीताई पर गंदे शब्दों से हमले हो रहे हैं। जयश्री थोरात के मामले में जब विखे समर्थक देशमुख ने गंदे शब्दों का इस्तेमाल किया तो तीखी प्रतिक्रिया हुई। वसंत देशमुख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हजारों महिलाओं ने पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया। गुस्साए युवाओं ने संगमनेर में आग लगा दी। कई गांवों ने सख्त बंद रखकर देशमुख की इस विकृति का विरोध किया, लेकिन फडणवीस-विखे की पुलिस उस नालायक देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज करने को तैयार नहीं थी। आखिरकार जनता के गुस्से का पारा बहुत चढ़ गया और दो दिन बाद वसंत देशमुख के खिलाफ फडणवीस पुलिस ने मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया। भाजपा की नीति महिलाओं को बदनाम करने वालों और उन पर अत्याचार करने वालों को बचाने की साफतौर पर दिखती है। फडणवीस के गृह मंत्रालय ने दो टके के एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने में इतनी देरी क्यों की? वसंत देशमुख को गिरफ्तार न करने के लिए पुलिस पर किसने दबाव डाला? यह बात नगर जिले के लोग जानते हैं। विखे साम्राज्य में अपने राजनीतिक विरोधियों को जानलेवा हमलों से आतंकित करने का धंधा जारी है। नगर शहर में जगताप की दादागीरी व ताबेदारी और जिले के बाकी हिस्सों में विखे मंडली की दबंगई व्याप्त है। इसी दबंगई के कारण विखे का बेटा लोकसभा चुनाव हार गया। लोगों के क्रोध का विस्फोट हुआ और उन्होंने विखे को हरा दिया। उस हार के पीछे बालासाहेब थोरात हो सकते हैं, ऐसा सोचकर विखे समर्थकों को चिढ़ हो सकती है, लेकिन थोरात की बेटी पर गंदे शब्दों से कीचड़ उछालने का कोई समर्थन नहीं करेगा। वसंत देशमुख विखे का आदमी है। इसलिए जो कुछ हुआ उसके लिए विखे को सभी महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए थी। ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, उन्होंने वसंत देशमुख को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया। क्या लाडली बहनें सिर्फ १,५०० रुपए में वोट खरीदने के लिए ही हैं? यह सवाल उठता है। भाजपा महिला मोर्चा की नकली बाघिन ऐसी घटनाओं पर दांत बिचकाते हुए खूब बोलती रहती हैं, लेकिन भाजपा की एक भी महिला नेता इस बात पर बात नहीं कर रही हैं कि भाजपा के एक नालायक ने सुशिक्षित बहन के बारे में क्या-क्या सुवचन कहे। यदि ये भाजपाई महिलाएं, महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के प्रति सचमुच इतनी सजग होतीं तो देशमुख की गिरफ्तारी के लिए संगमनेर पुलिस स्टेशन तक मोर्चा निकालतीं, लेकिन महिलाओं पर अत्याचार करने वाले और उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले लोग फडणवीस के मंत्रिमंडल में बैठे हैं। और यही है भाजपा का असली चेहरा। बदलापुर मामले में असली आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई। संगमनेर के देशमुख के मामले में भी ऐसा ही हुआ। यह महाराष्ट्र की छवि पर कालिख पोतने वाला मामला है। क्या डॉ. जयश्री थोरात के बारे में इस्तेमाल की गई भाषा देवेंद्र फडणवीस को स्वीकार्य है? महाराष्ट्र की परंपरा में महिलाओं का अपमान करने का कोई स्थान नहीं है। भारतीय संस्कृति सर्वत्र मातृवंदना करती है। महाराष्ट्र उन माताओं-बहनों का अपमान सहन नहीं करेगा!

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