भारतीय जनता पार्टी जिन नरेंद्र मोदी को हिंदू हितरक्षक आदि मानती है, उनके कार्यकाल में ही हिंदू सबसे ज्यादा असुरक्षित हो गए हैं। देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए हैं। मंदिर में घुसकर भक्तों को मारा जा रहा है। कल कनाडा के ब्रैम्पटन शहर के एक हिंदू मंदिर में खालिस्तानी घुस गए और उन्होंने सशस्त्र उत्पात मचाया। मंदिर में भक्तों को जमकर पीटा गया। इससे कनाडा के हिंदुओं में दहशत पैâल गई है। भारत के मोदी सरकार के लिए ये एक चुनौती है। हालांकि, इन हालातों के चलते कनाडा में हिंदू खतरे में आ गए हैं लेकिन भाजपा के हिंदू रक्षक महाराष्ट्र-गुजरात चुनाव प्रचार में मुस्लिम विरोधी गतिविधियों में मशगूल हैं। कनाडा में हिंदुओं का संघर्ष मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। ‘लव जिहाद’, ‘वोट जिहाद’ के लिए कोई जगह नहीं है। वहां सिख भाई हिंदुओं के खिलाफ उठ खड़े हैं और उसकी वजह है मोदी सरकार की विफल विदेश नीति। भारत सरकार ने जेल में बंद एक अपराधी की मदद से कनाडा में कुछ सिख नागरिकों की हत्या कर दी। आरोप है कि ये सिख कनाडा के नागरिक थे। ‘भारत की जानकारी के मुताबिक ये सिख नेता भले ही कनाडा के नागरिक हों, लेकिन कनाडा में बैठकर ये भारत में खत्म हो चुके खालिस्तानी आंदोलन को हवा दे रहे थे। इसलिए भारत ने कनाडा की धरती पर उनका निपटारा किया और इसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह हैं’ ऐसा आरोप कनाडा सरकार द्वारा लगाया गया है। अब इस पर कितना विश्वास किया जाए? अगर अमित शाह कनाडा की धरती पर भारत के दुश्मनों का खात्मा कर सकते हैं, तो पिछले ११ वर्षों में हमारे गृहमंत्री पाकिस्तान में छिपे दाऊद इब्राहिम, शकील, टाइगर मेमन का बाल भी बांका क्यों नहीं कर सके? कनाडा बहुत दूर है। इसके उलट, पाकिस्तान भारत के बगल में है। इसलिए हम इस अफवाह पर यकीन नहीं करते कि अमित शाह ने कनाडा जाकर भारत के हित के लिए लड़ाई लड़ी। पड़ोसी बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर हमले जारी हैं। वहां मंदिर भी तोड़े गए, हिंदुओं को भगाया गया। नेपाल में भी हिंदू खतरे में हैं। अफगानिस्तान में हिंदुओं का रहना भी मुश्किल हो गया है। इसका मतलब है कि मोदी के कार्यकाल में दुनियाभर के हिंदू खतरे में आ गए हैं। खुद अपने भारत देश में मोदी-शाह कश्मीरी पंडितों की घर वापसी नहीं कर पाए हैं। कश्मीर में होने वाले प्रत्येक आतंकवादी हमले में हिंदू समाज का कत्लेआम जारी है। मणिपुर में भी हिंदू ही मारे जा रहे हैं और भाजपा वाले पश्चिम बंगाल जाकर ममता के खिलाफ ‘हिंदू खतरे में’ का चिल्ल-पों मचा रहे हैं। इसे खुले तौर पर पूरी तरह से पाखंड कहा जा सकता है। कांग्रेस के शासनकाल में ‘इस्लाम खतरे में’ के नारे लगते थे। अब मोदी युग में यदि ‘हिंदू खतरे में’ जैसे नारे लगाए जा रहे हैं तो मोदी और उनके लोगों को हिंदू हितरक्षक वैâसे कहा जा सकता है? भारत और कनाडा के रिश्ते अब साफतौर पर बिगड़ चुके हैं और जिसकी मार कनाडा में हिंदुओं पर पड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के मंदिर में श्रद्धालुओं की पिटाई की निंदा की, लेकिन कार्रवाई बिलकुल शून्य! हम उम्मीद करते हैं कि कनाडाई सरकार न्याय करेगी और कानून का शासन कायम रखेगी, ऐसा मोदी ने कहा है। मोदी ने कनाडा में कानून के शासन के बाबत मार्गदर्शन किया, लेकिन उनकी भूमिका इस तरह से है ताकि राजनीतिक लाभ के लिए स्वदेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़े और उसे बढ़ावा मिले। ‘मुसलमान आपके मंगलसूत्र चुरा लेंगे’ से लेकर ‘मुस्लिम घुसपैठिये आपकी बच्चियों का अपहरण कर लेंगे’, जैसे घटिया बयान देने तक प्रधानमंत्री का स्तर गिर गया है। जिनकी वजह से देश में कानून का शासन नहीं बचा है, वे कनाडा को इस बारे में मार्गदर्शन दे रहे हैं कि कानून का शासन वैâसा होना चाहिए। देश में कानून का राज नहीं है और ये लोग समान नागरिक संहिता लाने निकले हैं। यानी इसका अर्थ यही हुआ कि इस बहाने फिर से सांप्रदायिक तनाव बढ़ाया जाए, हिंदू-मुसलमान विवाद बढ़ाया जाए और विवाद बिगड़ जाने पर ‘हिंदू खतरे में’, ‘हिंदू खतरे में’ कहकर खुद की छाती पीटी जाए। ऐन दिवाली कनाडा में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और मोदी सरकार चुप है। भाजपा और केंद्र को कनाडा में हिंदुओं को साहस देने और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का संजीवनी मंत्र देने के लिए योगी आदित्यनाथ को कनाडा भेजना चाहिए। भारत में हिंदू रक्षा की गर्जना करने की बजाय वहां कनाडा में खतरे में फंसे हिंदुओं को योगी व अमित शाह की ज्यादा जरूरत है!