महाराष्ट्र के सबसे लाडले देवता विघ्नहर्ता गजानन गणराया का उत्सव आज से शुरू हो रहा है। गृहस्थ या परिवार ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर आनेवाले हर तरह के विघ्न का हरण करनेवाले देवता के रूप में अन्य किसी देवता की अपेक्षा विघ्नहर्ता गणेश के प्रति गणेश भक्तों के मन में थोड़ा अधिक ही प्रेम व विश्वास है। संकट के समय रक्षा के लिए गणराया का ही आह्वान किया जाता है। इसलिए इस साल का गणेशोत्सव कुछ खास है। महाराष्ट्र के हर गांव में, वाडी-कस्बे से लेकर शहरों तक और दुनिया के हर उस कोने में जहां कोई मराठी व्यक्ति है, उन सभी घरों में आज गजानन का आगमन होगा। गणेशोत्सव, उत्साह, चैतन्य और मांगल्य का त्योहार है। घर-घर में पारंपरिक तरीके से आकर्षक साज-सज्जा कर श्री गणेश जी को विधिवत विराजमान किया जाएगा। साथ ही जुलूस में ढोल-नगाड़ों के साथ गाते-बजाते और झूमते सार्वजनिक गणेश मंडलों की गणेश प्रतिमाओं को भी उत्साह से लाकर पंडाल में विराजित किया जाएगा। गणराया की स्थापना के लिए आठ-पंद्रह दिनों से चल रही उत्साहपूर्वक पूर्व तैयारियां गणराया के आगमन के साथ ही थम जाएंगी और तुरंत गणेश मंडल के कार्यकर्ता अन्य गतिविधियों की तैयारियों में जुट जाएंगे। घरों और सार्वजनिक मंडलों में गणेश जी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद १७ सितंबर यानी ११ दिनों तक गणपति बाप्पा भक्तों की श्रद्धा भक्ति और स्तुति स्वीकार करेंगे। श्री गणेश के आगमन के साथ ही गौरी के स्वागत की तैयारी भी शुरू हो गई है। बाजार में रौनक आ गई है। अगले ११ दिनों तक इस पवित्रता से भरे वातावरण में सर्वत्र उल्लास और चैतन्य का संचार बना रहेगा। विद्या, बुद्धि, ज्ञान के देवता और चौसठ कलाओं के अधिपति के रूप में, श्री गणेश का अद्वितीय महत्व है; लेकिन गणराया का भक्तों के मन में दुखों का नाश करने वाले, विपत्तियों से बचाने वाले, अरिष्ट दूर करने वाले विघ्नहर्ता के रूप में एक अटल स्थान है। इसलिए देश और महाराष्ट्र के शासकों ने महाराष्ट्र के सामने, देश के सामने और जनता के सामने जो समस्याएं पैदा की हैं, उन्हें दूर करने के लिए हमें गणराया से प्रार्थना करनी होगी। देश की सारी संपत्ति कुल जमा दो-चार लोगों के हाथों में केंद्रित हो रही है। उन्हीं अमीरों के घर सोने से मढ़े जा रहे हैं और सरकार ८० करोड़ गरीबों को मुफ्त भोजन बांटकर उन पर बड़ा उपकार करने का दिखावा कर रही है। बेरोजगारी सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। देश और महाराष्ट्र में किसानों से लेकर छात्रों तक की आत्महत्या के विश्व रिकॉर्ड दर्ज हो रहे हैं। बार-बार लोकतंत्र की हत्या कर राज्यों में सरकारें गिराई जा रही हैं। ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ का नारा हवा में है और सत्ता पक्ष खाने के लिए कुख्यात भ्रष्टाचार के तमाम प्रतीकों को सत्ता में लाकर सम्मानित कर रहा है। छल, कपट, विश्वासघात, साजिश, गद्दारी, खोके और ब्लैकमेलिंग इन शब्दों के सुनहरे दिन आ गए हैं। पहले पाकिस्तान ही देश का एकमात्र दुश्मन था। लेकिन अब चीन ने भी घुसपैठ करके हिंदुस्थान के बड़े भू-भाग को तोड़ दिया है। धारा ३७० हटने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का तांडव और रक्त रंजित हत्याकांड जारी है। संकट बहुत सारे हैं। पिछले सप्ताह भारी बारिश से मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में लाखों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई। भले ही बारिश की मार से किसान बर्बाद हो गए हों, लेकिन महाराष्ट्र में खोकों के जोर पर राजनीतिक गद्दारी की फसल लहलहा रही है। महाराष्ट्र के उद्योग-धंधे गुजरात ले जाकर मराठी युवाओं की नौकरियां पर डाका डाला जा रहा है। छत्रपति शिवराय के महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की मूर्ति के निर्माण में ही भ्रष्टाचार की मिट्टी खाई जा रही है। करोड़ों के भ्रष्टाचार के कारण सिंधुदुर्ग के राजकोट में छत्रपति की मूर्ति गिर गई, खंडित हो गई और महाराष्ट्र की जनता को नंगी आंखों से अपने राजा का अपमान देखना पड़ा। एक ओर भ्रष्टाचार तो दूसरी ओर बदलापुर जैसे अत्याचार, अनाचार घटनाओं की भरमार है महाराष्ट्र में। गणेश मंडलों को गणेशोत्सव के दौरान इन ज्वलंत मुद्दों पर जागरूकता बढ़ानी चाहिए। इसी पृष्ठभूमि में अगले दो-एक महीनों में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। तीन महीने पहले, केंद्र का विघ्न हटाने का एक मौका थोड़े से चूक गया। इसलिए, महाराष्ट्र में गद्दारी के संकट और खोके शाही से आई शिंदे सरकार के विघ्न को हमेशा के लिए हटाने के लिए महाराष्ट्र की प्रजा को एक बार फिर एकजुट होकर कमर कसनी होगी। हे गणनायक, महाराष्ट्र पर आए इस विघ्न को हमेशा के लिए हटाने के लिए मराठी मानुष को शौर्य दें, तेज दें, शक्ति दें…!