मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : लेबनान पर अजीब हमले... जंग की परिभाषा ही बदल गई!

संपादकीय : लेबनान पर अजीब हमले… जंग की परिभाषा ही बदल गई!

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच पिछले एक साल से चल रहे जंग ने खतरनाक मोड़ ले लिया है। जंग में फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े लेबनान में पिछले दो दिनों में ऐसे धमाके हुए जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। इन विस्फोटों में जिस तरह से पेजर और वॉकी-टॉकी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जो आधुनिक युग की तुलना में पुराने हो चुके हैं का इस्तेमाल किया गया, इससे दुनियाभर की सुरक्षा प्रणालियों में हड़कंप मच गया है। लेबनान में एक सौर ऊर्जा यंत्र में भी विस्फोट किया गया। इन तीन तरह के धमाकों में कम से कम ४० लोगों की मौत हो गई और ३,५०० लोग जख्मी हो गए। कई जख्मियों की हालत नाजुक है, जिसके चलते मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। धमाकों में मरने वालों और घायलों की संख्या से ज्यादा पूरी दुनिया, जिस तरह से दूर बैठकर इन धमाकों को अंजाम दिया गया, इस बात से हैरान है। लेबनान पर हमलों ने साबित कर दिया कि युद्ध के लिए न केवल मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, तोप, पनडुब्बियों और लाखों सैनिकों की जरूरत है, बल्कि हमारी जेब में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी शस्त्र में बदल सकते हैं और हमारे खिलाफ हो सकते हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि इस सिलसिलेवार धमाकों के पीछे इजराइल का हाथ है। कहा जा रहा है कि इजराइल ने ये धमाके आतंकी संगठन हिजबुल्लाह को सबक सिखाने के लिए किए थे, जिसने ईरान के समर्थन से लेबनान से इजराइल पर हमला किया था। रहस्यमय हमलों के लिए मशहूर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ही ऐसे सुनियोजित हमलों को अंजाम दे सकती है। हिजबुल्लाह, ईरान और फिलिस्तीनी नेताओं ने इजराइल पर इन हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए बदला लेने की धमकी दी है। इसके अलावा इजराइल ने पिछले तीन दिनों में न तो हमलों की जिम्मेदारी से इनकार किया और न ही इस संबंध में लगाए गए आरोपों को खारिज किया। इसलिए अब यह साफ हो गया है कि इन हमलों के पीछे इजराइल का हाथ है। जो जानकारी सामने आती है, वह इस रहस्य को उजागर करती है कि इजराइल ने एक भी इंसान का उपयोग किए बिना हमलों की इस योजना को वैâसे अंजाम दिया वह अचंभित करनेवाली है। दरअसल, बिना किसी बाहरी तौर पर हमले को अंजाम दिए बिना लेबनान के पेजर और वॉकी-टॉकी में धमाकों का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसने न सिर्फ लेबनान, बल्कि सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। आज लेबनान में जो हो रहा है वह कल हमारे देश में भी हो सकता है, यह सभी देशों की चिंता है और इसीलिए युद्ध के इस नए रूप को देखकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भयभीत है। इससे पहले मंगलवार को लेबनान से सीरिया तक एक साथ ३,००० पेजर धमाकों को अंजाम दिया गया। जब मृतकों का अंतिम संस्कार चल रहा था, तो हिजबुल्लाह के सदस्यों के वॉकी-टॉकी में धमाकों का दौर शुरू हो गया। जिन पेजर्स के कारण पहला विस्फोट हुआ, वे सभी ताइवान की एक कंपनी गोल्ड अपोलो द्वारा बनाए गए थे। हिजबुल्लाह ने ही इस ताइवानी कंपनी को पांच हजार पेजर बनाने का ऑर्डर दिया था। इजराइल और उसकी मोसाद जासूसी एजेंसी मोबाइल फोन हैक करके खतरा पैदा कर सकती थी इसलिए हिजबुल्लाह ने अपने सभी सदस्यों को मोबाइल फोन के बजाय केवल पेजर और वॉकी-टॉकी का उपयोग करने की सख्त ताकीद दी थी। कहा जा रहा है कि ताइवान से जब यह पेजर निकले उसके बाद मोसाद ने उनकी बैटरी पर केवल ३ ग्राम का विस्फोटक लगा दिया था और हैकिंग के जरिए बैटरी का तापमान बढ़कर इन धमाकों को अंजाम दिया। पहले पेजर पर एक मैसेज आया और फिर पेजर में विस्फोटक सक्रिय हो गया। कुछ सेकंड के लिए बीप की आवाज आई और कुछ सेकंड के भीतर, एक साथ तीन हजार पेजरों में विस्फोट हो गया, जिससे हिजबुल्लाह के सदस्य और आम नागरिक खून से लथपथ हो गए। बुधवार को ‘वॉकी-टॉकी’ में जो धमाके हुए, वे जापान की एक कंपनी में बनाए गए थे, लेकिन संबंधित कंपनी का कहना है कि वॉकी-टॉकी का उत्पादन दस साल पहले बंद कर दिया गया था। इसलिए ये वॉकी-टॉकी नकली हैं या फिर मोसाद ने इन्हें पुराने स्टॉक से लेकर हिजबुल्लाह तक पहुंचाया है यह भी एक रहस्य है। लेबनान में लगातार दो दिनों में हुए अजीब और अप्रत्याशित धमाकों के सीरीज ने जंग की अवधारणा की परिभाषा ही बदल दी है। जिस तरह से पेजर, वॉकी-टॉकी और छत पर सौर ऊर्जा तंत्र में धमाकेदार इन धमाकों को अंजाम दिया गया; इससे दुनिया के तमाम देश सदमे में हैं। यदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग युद्ध के हथियार के रूप में किया जाता है तो पूरी दुनिया की सुरक्षा खतरे में है। हिंदुस्थान में मोबाइल समेत कई उपकरणों में चीनी उत्पादों की भरमार है और उल्टे कलेजा वाला चीन क्या कर सकता है, इसका अनुभव दुनिया ने कोविड काल में किया है। केवल आत्मनिर्भर हिंदुस्थान के खोखले नारों से कुछ नहीं हासिल होगा। यदि कल को ऐसी कोई मुश्किल आ ही जाती है तो क्या हम गुरिल्ला युद्ध की इस अकल्पनीय पद्धति का सामना करने के लिए तैयार हैं, यह प्रश्न हमारे देशवासियों को शासकों से अवश्य पूछना चाहिए!

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