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संपादकीय : ट्रंप राज की आंच!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि उनका दूसरा कार्यकाल पहले से भी ज्यादा विवादास्पद होगा। ट्रंप ने जो पहला ही फैसला लिया वह उन विदेशी नागरिकों के खिलाफ था जो अवैध रूप से अमेरिका में आकर बस गए थे। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन हिंदुस्थानी नागरिकों पर पड़ा है, जो कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं और अमेरिका का बड़ा हिंदुस्थानी वर्ग जो ट्रंप और मोदी की गले पड़े गहरी मित्रता की तारीफ के पुल बांध रहा था, वह ट्रंप का यह नया रूप देखकर बुरी तरह घबराया हुआ है। ट्रंप और मोदी की गहरी दोस्ती में प्रगाढ श्रद्धा रखनेवाले इस तबके को भरोसा था कि अप्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकालने के पैâसले पर मोदी कोई रास्ता जरूर निकालेंगे। लेकिन जहां ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मोदी को ही आमंत्रित नहीं किया, वहां हमारी दाल क्या गलेगी, इस डर से अमेरिका में माइग्रेट हजारों हिंदुस्थानी नागरिक अब सहमे हुए हैं। ट्रंप ने घोषणा की है कि जो लोग कानूनी दस्तावेज पूरे किए बिना अमेरिका में आकर बस गए हैं, उन्हें ढूंढ़कर अमेरिका से निर्वासित किया जाएगा। ट्रंप केवल घोषणा तक ही नहीं रुके, बल्कि उनके शपथ समारोह के तुरंत बाद, पूरे अमेरिका में अवैध अप्रवासियों की खोज का अभियान शुरू हो गया। पिछले ११ दिनों में २५ हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को अमेरिकी प्रशासन ने हिरासत में लिया है। इमीग्रेशन और कस्टम डिपार्टमेंट की टीमों ने १२ अमेरिकी राज्यों में छापेमारी कर बड़े पैमाने में
गैर-अमेरिकियों की धरपकड़
शुरू की है। बताया जाता है कि इस ऑपरेशन में अमेरिकी प्रशासन ने करीब १,७०० अवैध हिंदुस्थानी अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़ दिया है। चौंकानेवाली बात यह है कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा निर्वासन के लिए तैयार की गई फेहरिस्त में १८,००० हिंदुस्थानी व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए हैं। इस पैâसले की गाज वहां बसे उन हजारों अनिवासी हिंदुस्थानियों पर पड़ेगी, जो कई साल पहले नौकरी, व्यापार, व्यवसाय और आजीविका के लिए अमेरिका गए थे। आज अमेरिका में लगभग ५४ लाख हिंदुस्थानी नागरिक रहते हैं। अमेरिकी जनसंख्या की तुलना में हिंदुस्थानी मूल का अनुपात १.४७ फीसद है। इनमें से दो-तिहाई लोगों की पहली पीढ़ी अमेरिका में आकर बस गई थी। बाकी सभी लोग जन्म से अमेरिकी बने। हालांकि, अमेरिका के नए फैसले के मुताबिक, अमेरिका में जन्म लेनेवाले हर बच्चे को अमेरिकी नागरिकता मिलेगी ही ऐसा नहीं है। नागरिकता प्रदान करने से पहले परिवार की पूरी पृष्ठभूमि और कानूनी दस्तावेज की जांच की जाएगी। बच्चे की अमेरिकी नागरिकता तभी बहाल की जाएगी जब माता-पिता दोनों कानूनी रूप से अमेरिकी नागरिक होंगे। नौकरी, बिजनेस या करियर के लिए अमेरिका जा रहे युवाओं पर इस फैसले का बड़ा असर पड़ेगा। एच-१बी वीजा धारकों पर इस कानून का कितना असर पड़ेगा यह भविष्य में साफ होगा। लेकिन
ट्रंप प्रशासन के
इस फैसले से अमेरिका में युवा कामकाजी वर्ग और हिंदुस्थान में उनके माता-पिता निश्चित तौर पर डरे हुए हैं। हिंदुस्थान ही नहीं, अन्य देशों से भी लोग अवैध रूप से घुसपैठिए के रूप में अमेरिका में घुस आए हैं; ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में एलान किया था कि वह इन सभी को बाहर का रास्ता दिखा देंगे। ‘अमेरिका फर्स्ट’ यानी अमेरिका के हित सर्वोपरि ट्रंप के चुनाव अभियान की मुख्य टैगलाइन थी और उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि अमेरिका में अवैध निवासियों के लिए कोई जगह नहीं होगी। ट्रंप ने उसी घोषणा पर सख्ती से अमल शुरू कर दिया है। ट्रंप ने हिंदुस्थान के साथ-साथ मैक्सिको और अन्य पड़ोसी देशों से आनेवाले अप्रवासियों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके बाद ट्रंप ने तीन देशों चीन, कनाडा और मैक्सिको पर २५ व १० फीसदी आयात शुल्क लादने के फैसले की घोषणा की। इसके चलते दुनियाभर के तमाम शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आई। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति बनने के बाद से उन्होंने फैसलों की झड़ी लगा दी। खैर, ये सभी फैसले केवल उनके देश तक ही सीमित होते तो विश्व समुदाय या अन्य देशों के लिए इसमें नाक घुसाने की कोई वजह नहीं थी, लेकिन जब ट्रंप के फैसलों के रिएक्शन कहें या दुष्प्रभाव विश्व स्तर पर सामने आने लगे तो हिंदुस्थान समेत दुनियाभर के सारे देश ट्रंप के दूसरे शासनकाल को संदेह की नजर से देखने लगे हैं। अगर ट्रंप शासन की आंच इसी तरह जारी रही तो महाशक्ति के खिलाफ एक नया अंतरराष्ट्रीय मोर्चा खड़ा हो सकता है।

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