मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : बंटेंगे-कटेंगे का तड़का ...अंग-अंग भड़का!

संपादकीय : बंटेंगे-कटेंगे का तड़का …अंग-अंग भड़का!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। अब तक के प्रचार में यह साफ हो गया है कि महाराष्ट्र की जनता भाजपा समेत सत्तारूढ़ महागठबंधन को ‘एक दिल से’ घर बैठा देगी। इसलिए, भाजपा ने हमेशा की तरह प्रचार का फोकस जाति-धार्मिक मुद्दों पर केंद्रित करना शुरू कर दिया है। यह मंडली उनकी पसंदीदा हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर उठते-बैठते ‘तड़का’ लगा रहे हैं। वे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’ आदि जहरीले नारों का तड़का लगाकर माहौल को भड़काने की कोशिश कर रही है। इन नारों के पीछे भाजपा की छिपी मंशा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के तवे को गर्म कर उस पर वोटों की रोटियां सेंकने की है। तभी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री मोदी का ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे का ढोल सभी जगह पीटा जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी भाजपा और संघ परिवार की साइबर टीम इन नारों के पूरक पोस्ट वायरल कर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का एजेंडा चला रही है। हालांकि ये सब जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के तड़के की ठांस सिर्फ भाजपा के मित्रदलों को ही नहीं, बल्कि पार्टी के कुछ सदस्यों को भी लग रही है। अजीत पवार ने इस नारे के प्रति सीधा विरोध प्रकट किया है। इतना ही नहीं, ‘यह उत्तर प्रदेश नहीं, महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र शिवाजी महाराज, फुले-शाहू-आंबेडकर की विचारधारा पर चलता है। हमें ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ स्वीकार नहीं है,’ ऐसा उपदेशामृत मोदी, योगी और फडणवीस की भाजपा को पिलाया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, जो वर्तमान में भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं और जिन्होंने बेटी को ‘कमल’ निशान पर विधानसभा चुनाव में उतारा, उन्होंने भी खुद को ‘बंटेंगे-कटेंगे’ के ‘आदर्श’ से दूर रखा है। अशोक चव्हाण की जुबां पर मूल सच्चाई फूट पड़ी, ‘हम सेक्युलर हिंदू हैं और हमारा एजेंडा सभी को साथ लेकर चलना है।’ नगर जिले के राधाकृष्ण विखे पाटील ने भी इस घोषणा का विरोध किया है। वहां पंकजा मुंडे ने सार्वजनिक रूप से इस नारे को अस्वीकार कर दिया। हालांकि बाद में उन्होंने यू टर्न ले लिया लेकिन सच्चाई तो सामने आ ही गई। श्री फडणवीस अब महागठबंधन के एक घटक दल और स्वदल के कुछ घटकों के इस ‘सत्य’ कथन को ‘व्हाइट वाश’ करने की कोशिश कर रहे हैं। कहते हैं, ‘इन्हें जनता के मिजाज समझने में वक्त लगेगा।’ हे फडणवीस, पहले अपनी और अपनी पार्टी की ओर देखिए। आपके पैरों तले क्या जल रहा है उसे देखिए। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे भड़काऊ नारों से भी महाराष्ट्र की जनता बिल्कुल नहीं भड़केगी और आपके हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के भ्रम में नहीं आएगी। ये है महाराष्ट्र की जनता का मौजूदा ‘मिजाज’ और यही है सच्चाई। आपके मित्रदलों और स्वदल के कुछ लोगों ने इस ‘मिजाज’ को समझ लिया है। इसीलिए वे इस नारे से असहज हैं और खुद को इससे दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं। वे मोदी की जनसभाओं से भी खुद को दूर रख रहे हैं। महायुति और भाजपा में कुछ मंडलियों की हालत ‘बंटेंगे-कटेंगे का तड़का, अंग-अंग भड़का’ जैसी हो गई है। यही बेचैनी इन नारों के प्रति उनके सार्वजनिक विरोध में भी झलकती है। यह सच है कि भाजपा ने यह तड़का देकर महाराष्ट्र में हिंदू-मुस्लिम विभाजन को भड़काने की कोशिश की है, लेकिन इस तड़के से महागठबंधन और भाजपा के भीतर ही ठांस लग गई है और वे भड़क गए हैं। महाराष्ट्र की जनता ने भी इस पर पानी फेरने का फैसला कर लिया है। महाराष्ट्र की जनता ने तय कर लिया है कि भाजपा के लोग अपने ‘नारों के जन्नत’ में ही खुश रहें, वे महाराष्ट्र में आपका तड़का और भड़का नहीं चलने देंगे। यानी हमारा महाराष्ट्र ‘बंटेंगे-कटेंगे’ के तड़के से बिल्कुल नहीं भड़केगा। श्रीमान फडणवीस जी राज्य की जनता का यही ‘मिजाज’ है!

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