भाजपा और उसके ‘एसेंशी’ अजीत पवार और अन्य चोर मंडली ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जीता, लेकिन उनकी जीत वास्तविक नहीं थी। हर दिन अनेक सबूत सामने आ रहे हैं, जिससे पता चलता है कि लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। सातारा जिले के सह्याद्रि सहकारी साखर कारखाना (चीनी पैâक्ट्री) चुनाव में भाजपा पैनल की दारुण हार हुई। राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता बालासाहेब पाटील ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने इन्हीं बालासाहेब पाटील को ४४ हजार वोटों से हराया था। ये वोटिंग ईवीएम पर हुई थी और अब उसी पंचक्रोशी सह्याद्रि पैâक्ट्री चुनाव में बैलेट पेपर पर वोटिंग हुई। खूब पैसा बहाने के बावजूद भाजपा को आधे वोट भी नहीं मिल सके। महज चार महीने में यह चमत्कार बहुत कुछ कहता है। भाजपा विधायक मनोज घोरपड़े के सभी २१ उम्मीदवार हार गए। सह्याद्रि पैâक्ट्री का परिचालन क्षेत्र सातारा जिले के पांच तालुकों कराड, कोरेगांव, सातारा, खटाव और कडेगांव में है और यहां के मतदाताओं ने भाजपा को धूल चटा दी है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई भी चुनाव बैलेट पेपर पर होता है तो भाजपा हार जाती है और ईवीएम पर भाजपा गारंटेड जीत जाती है। मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव, स्नातक, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव मतपत्र पर हुए, इसमें भाजपा की हार हुई। ईवीएम के बिना भाजपा और उसके लोग सत्ता पर काबिज नहीं हो सकते। ‘सह्याद्रि’ के नतीजे से साफ हो गया कि वोटर लिस्ट घोटाला और ईवीएम ही भाजपा को जीत दिलानेवाली चीजें हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकानेवाले रहे। अब चार महीने बाद भी लोग नतीजे को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बीजेपी और उसके दो मित्रदलों के बारे में
जनता के मन में भारी गुस्सा
था। फिर भी उन सभी को २४० के लगभग सीटें मिलीं। लोकसभा चुनाव में अजीत पवार को सिर्फ एक सीट मिली, लेकिन विधानसभा में उन्होंने ४० का आंकड़ा पार कर महान गद्दार ‘एसेंशी’ का हाथ साठ पर थमा। फडणवीस को छप्पर फाड़ १३० विधायक मिल गए। ये नतीजे किसी को भी पागल करनेवाले थे और सत्ता में आने के बाद इनका व्यवहार ऐसा है कि ये तीनों पगला गए हैं। विधानसभा चुनाव में धन और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया। इससे भी बड़ी सच्चाई यह है कि लोगों द्वारा दिए गए वोट ‘गायब’ हो गए। यानी मशाल, तुतारी (बिगुल) बजानेवाला आदमी और हाथ के पंजे पर बटन दबाने के बावजूद वो वोट वहां नहीं गए जहां उन्हें जाना था। सीधे तौर पर वोट चुराए गए और मोदी राज्य में इस तरह की चीजें खुलेआम लगातार हो रही हैं। भारत में लोकतंत्र पर ईवीएम के चलते ग्रहण लग गया है। अमेरिका जैसे देश को भी भारत के ‘ईवीएम’ नतीजों पर संदेह था। एलन मस्क ने प्रत्यक्ष दिखाया कि ईवीएम को हैक या हाईजैक किया जा सकता है। इससे ईवीएम के अंधभक्तों को झटका लगा। नरेंद्र मोदी की जीत सच नहीं है। इसके पीछे ईवीएम के कारनामे हैं। भारत की सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग के दरवाजे पर जाकर ‘बैलेट पेपर’ पर चुनाव कराने की गुहार लगा रही हैं, लेकिन चुनाव आयोग विपक्ष की बात सुनने को तैयार नहीं है। यह लोकतंत्र का दुर्भाग्य है। एक मतदाता को यह जानने का अधिकार है कि उसका वोट कहां गया है। भारत में उस अधिकार को ही दबाया जा रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव निष्पक्ष नहीं थे। जहां एक बूथ पर १५८ वोट पड़ने का आंकड़ा दर्ज होता है, वहीं उसी बूथ पर वोटों की गिनती में यह आंकड़ा ३०० से ज्यादा हो जाता है और ये सभी वोट भाजपा या उसके सहयोगियों को जाते हैं। महाराष्ट्र के अधिकांश मतदान केंद्रों पर ‘ईवीएम’ की सील खोलने के बाद इस तरह के
विरोधाभासी आंकड़े
सामने आए। इस पर चुनाव आयोग कोई समाधानकारक स्पष्टीकरण नहीं दे सका। यही घोटाला है। वोटिंग के दो-चार दिन बाद काउंटिंग होती है और उसके बाद ‘ईवीएम’ की बैटरी पूरी तरह चार्ज रहती है, ऐसा सभी जगह दिखाई दिया। इस पर चुनाव आयोग का कहना है, ‘यह सामान्य है। आप इस पर वैâसे संदेह कर सकते हैं?’ विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर लोगों के मन में संदेह है और इनका निराकरण किया जाना चाहिए। भारत में संदेह दूर करने और लोकतंत्र को बचाने का एकमात्र तरीका मतपत्र पर चुनाव है। अगर मोदी यह रास्ता अपनाएंगे तो लोकतंत्र जीतेगा और भाजपा हारेगी। मुंबई के सीनेट, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र और अब सह्याद्रि सहकारी चीनी पैâक्ट्री चुनाव इसके उदाहरण हैं। सह्याद्रि सहकारी साखर कारखाना चुनाव हारने के बाद भाजपा सहकारी कारखाना चुनाव भी ईवीएम से कराने की मांग करेगी। सरकार मुंबई समेत १४ महानगरपालिकाओं के चुनाव नहीं करा रही है। हर जगह प्रशासकों के जरिए लूट मची हुई है। सरकार को मुंबई सहित १४ महानगरपालिकाओं के चुनाव ‘बैलेट पेपर’ पर कराकर लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखना चाहिए। लोकतंत्र का सत्यानाश हो गया है। अमेरिका में लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोग सड़कों पर उतरे और प्रेसिडेंट ट्रंप को ही चुनौती दे डाली। ईवीएम को दुनिया से तड़ीपार कर दिया गया है, लेकिन वह केवल हमारे महान देश भारत में है, क्योंकि भाजपा सत्य मार्ग से चुनाव नहीं जीत पाएगी। ‘सह्याद्रि’ की चुनावी जीत लोकतंत्र के लिए आशा की किरण दिखाती है। ये किरणें महाराष्ट्र की घाटियों और कोनों-कोनों तक पहुंचें। ‘हमारा वोट भाजपा के लिए नहीं था, तो वे वैâसे जीत गए?’ ऐसा सवाल विधानसभा चुनाव के चौंकानेवाले नतीजे के बाद राज्य के मतदाताओं के मन में था। ‘सह्याद्रि’ के नतीजों से इसका जवाब मिल गया।