नागपुर के दंगाइयों को नहीं छोड़ेंगे और उनसे ही नुकसान की भरपाई वसूल करेंगे, ऐसा मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है। लेकिन दंगाइयों पर कार्रवाई करेंगे, मतलब स्पष्ट करें कि करेंगे क्या? असली दंगाई तो फडणवीस के मंत्रिमंडल में बैठे हैं और कार्रवाई का झटका तो सबसे पहले उन्हीं पर पड़ना चाहिए। औरंगजेब की कब्र तोड़ने के लिए उकसाने वाले मंत्री महाराष्ट्र की सरकार में मौजूद हैं। ये मंत्री, भाजपा के विधायक और घाती गुट के ढोंगी हिंदुत्ववादियों ने महाराष्ट्र का माहौल खराब किया है, जिसकी वजह से नागपुर में दंगे की चिंगारी सुलग उठी। झूठी कहानियां गढ़ना और लोगों में भ्रम पैâलाना, यह भाजपा और उनके लोगों की रणनीति है। पांच साल पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी। इस आत्महत्या को ‘हत्या’, ‘खून’ जैसे शब्दों से मढ़ करके भाजपा समर्थकों ने मृतक के दुख का जमकर फायदा उठाने की कोशिश की। इस मामले में रिया चक्रवर्ती प्रताड़ित हुई। उन पर झूठे आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। अब सीबीआई ने सुशांत सिंह मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश की है। सीबीआई ने कहा है कि इस मामले में कुछ भी संदेहास्पद नहीं मिला और रिया चक्रवर्ती को क्लीन चिट दे दी। लेकिन जिस तरह से रिया चक्रवर्ती को आरोपी के कटघरे में लाकर बदनाम किया गया, उन्हें जेल भेजा गया, उसकी भरपाई कौन करेगा? यहां तक कि सुशांत के पिता ने भी रिया चक्रवर्ती के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए, याचिकाएं दायर कीं, लेकिन उससे भी ज्यादा घिनौना काम
भाजपा और उसके भाड़े के टट्टुओं
ने किया। कंगना रनौत जैसे लोगों को तो मुंबई में रहना पाकिस्तान में रहने जैसा लगता था। तो अब सीबीआई द्वारा सुशांत सिंह मामले में ली गई भूमिका पर उनकी क्या राय है? मुख्यमंत्री कहते हैं कि दंगाइयों को नहीं छोड़ेंगे। ठीक उसी तरह, इन ‘झूठे’ लोगों को भी नहीं छोड़ना चाहिए। महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन को नष्ट करने का काम इन्हीं लोगों ने किया है। औरंगजेब, सुशांत सिंह राजपूत, दिशा सालियन जैसे मृतकों के नाम बाजार गर्म करके राजनीति करने की निर्लज्जता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री चिंता व्यक्त करते हैं कि नागपुर के दंगों पर राजनीति हो रही है? मुख्यमंत्री महोदय, असली राजनीति कौन कर रहा है और दंगों की आग में तेल कौन डाल रहा है? अगर इसकी सच्चाई से पड़ताल की जाए तो सच सामने आ जाएगा। मुख्यमंत्री ने आगे घोषणा की है कि किसी देशभक्त पर यदि हाथ उठाया गया तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो उपद्रवी लोग कानून अपने हाथ में लेंगे, पुलिस पर हाथ उठाएंगे, उन्हें नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री की भूमिका कठोर है, लेकिन देशभक्त कौन और देशद्रोही कौन, यह तय करेगा कौन? औरंगजेब की कब्र तोड़ने को उकसाने वाले तुम्हारे ही मंत्रिमंडल में हैं। देशभक्ति का प्रमाणपत्र यही लोग देंगे और दंगों को प्रोत्साहन भी यही लोग, यह वैâसे चलेगा? नागपुर की हिंसा यह महाराष्ट्र में बड़े दंगे करवाने की एक पूर्व तैयारी है। लोगों को भड़काना और हिंसा करवाना संभव है, इसकी राजनीतिक टेस्टिंग नागपुर में हो चुकी है। दंगों का रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च हो जाने के बाद मुख्यमंत्री कहते हैं, दंगाइयों को नहीं छोड़ेंगे। लेकिन
जो दंगाई मंत्रिमंडल में
बैठकर मुख्यमंत्री और कानून को चुनौती देते हुए खुलकर कहते हैं कि हमें मुख्यमंत्री का समर्थन है। हम जैसा चाहे वैसा करेंगे, आग लगाएंगे, हमारा कौन क्या बिगाड़ सकता है? ऐसा खुले रूप से बोलने वालों का क्या? इन्हें नजरअंदाज करके मुख्यमंत्री महोदय होशियारी से घोषणा करते हैं कि दंगाइयों को नहीं छोड़ेंगे। असल में दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत मुख्यमंत्री को अपने ही वैâबिनेट से करनी चाहिए। धनंजय मुंडे के समर्थकों ने बीड जिले में गुंडागर्दी और दमनशाही का उत्पात मचाया, उससे हत्याएं और वसूली के मामले बढ़ गए। जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से मुंडे के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछा, तो उनका जवाब क्या था? ‘बिना वजह हवा में तीर मत छोड़ो। अगर धनंजय मुंडे के खिलाफ कोई सबूत है तो लेकर आओ, हम कार्रवाई करेंगे।’ यानी पुलिस कुछ नहीं करेगी! हत्याएं होने के बाद जनता को ही आवाज उठानी होगी और सबूत भी जनता को ही जुटाकर देना होगा। फिर तुम कुर्सी क्यों गर्म कर रहे हो? अडानी जैसे की दौलत बढ़ाने के लिए? राज्य में सरकार के अंदर और बाहर पैâले दंगाई तत्वों पर कार्रवाई करने की बजाय, सरकार उन पर आंखें मूंदे बैठी है। यही सरकारी नीति है। भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई नहीं, दंगाइयों पर भी कोई कार्रवाई नहीं, सब दिखावा है। राज्य के मुख्यमंत्री दंगाई अपराधियों को कोख में लेकर घूम रहे हैं। और फिर मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि दंगाइयों पर कार्रवाई करेंगे। चोर घर के अंदर ही है और मालिक बाहर हायतौबा कर रहा है। अगर दंगा भड़काने वाले मंत्रियों पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो आपकी यह ‘नहीं छोड़ेंगे’ की भाषा निरर्थक है।