महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आए एक पखवाड़ा बीत चुका है। मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्रियों ने शपथ ले ली, लेकिन मंत्रिमंडल अभी भी तैयार नहीं हो पाया है। गृहमंत्रालय का झगड़ा जारी है। उस झंझट में महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था के रोज बारह बज रहे हैं। हत्या, अपहरण, डकैती जैसे अपराधों ने तहलका मचा दिया है। बीड जिले के केज के मस्साजोगा के सरपंच संतोष देशमुख का अपहरण कर हत्या कर दी गई, यह मामला गंभीर है। देशमुख की हत्या से पूरे मराठवाड़ा में खलबली मच गई और लोग सड़कों पर उतर आए। वहीं मंगलवार को मराठवाड़ा के परभणी में संविधान के अपमान का मामला हुआ। जिसके चलते माहौल तनावपूर्ण हो गया। उसके विरोध में बुधवार को ‘बंद’ ने हिंसक शक्ल अख्तियार कर ली। पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस छोड़ना पड़ा। परभणी कलेक्टर कार्यालय के पास भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति है। किसी अज्ञात हमलावर द्वारा वहां के संविधान की प्रति का अपमान किए जाने की वजह से दो दिनों से माहौल तनावपूर्ण है। भाजपा विधायक योगेश टिलेकर के मामा सतीश वाघ का पुणे में सोमवार सुबह अपहरण कर बेरहमी से हत्या कर दी गई। सुबह टहलने निकले सतीश वाघ का चार लोगों ने अपहरण कर लिया और उनका कत्ल हो गया। पुणे में कोयता गैंग ने पहले ही आतंक मचा रखा है। दिनदहाड़े सड़क पर गोलीबारी हो रही है। कोयता गैंग हाथों में हथियार लेकर सड़कों पर दहशत पैदा करता है और पुलिस यह हॉरर शो खुली आंखों से देखती रहती है। बीड जिले के सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण होते ही बीड के सांसद बजरंग सोनावणे ने जिला पुलिस प्रमुख को फोन किया, लेकिन पुलिस अधीक्षक दो दिनों तक सांसद का फोन उठाने को तैयार नहीं थे। पुलिस प्रशासन या तो
हताश है या फिर दबाव में
है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में कानून और पुलिस प्रशासन की जिस तरह धज्जियां उड़ रही हैं वह चिंताजनक हैं। मुंबई में बेस्ट बस से कुचलकर सात लोगों की मौत हो जाती है। पुणे में अमीरों के बेटे शराब के नशे में महंगी कारों तले निर्दोष लोगों को कुचल देते हैं और सत्ताधारी दल के विधायक अपराधियों को बचाने के लिए थाने में जाकर हंगामा करते हैं। जब मारकडवाड़ी के लोगों ने मतपत्र पर मतदान करने का अपना तरीका चुना, तो सरकार ने गांव में धारा १४४ लगाकर तानाशाही का रास्ता अख्तियार करते हुए सैकड़ों ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज किया इतना ही नहीं सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक मारकडवाड़ी जाकर लोगों को धमकाने लगे। क्या फडणवीस इसी तरह राज्य चलाना चाहते हैं? सत्ताधारी दल के लोग खुलेआम कहते हैं कि उनका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता। अगर गुंडों को खुली छूट मिल जाए और दिनदहाड़े हत्याएं हो जाएं तो कौन जिम्मेदार है? महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री ने शपथ तो ले ली, लेकिन सही अर्थों में अभी तक सरकार का गठन नहीं हो सका है। सत्तारूढ़ दलों में हर कोई अपने गुंडे प्रवृति के लोगों को बचाने के लिए गृह मंत्रालय पाने की आस लगाए बैठे हैं। जनता की सुरक्षा गई चूल्हे में। नागपुर, पुणे, मुंबई, ठाणे, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर जैसे बड़े शहरों में गुंडों का राज जारी है और पुलिस बेबसी से इस गुंडाराज को बर्दाश्त कर रही है। पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की मुंबई में हत्या कर दी गई। पूर्व मंत्री की मौके पर ही मौत हो गई। ये तस्वीर भयानक है। विधायक गणपत गायकवाड़ ने सीधे थाने में घुसकर फायरिंग की। दादर के पूर्व विधायक ने गणपति जुलूस में फायरिंग की। विधायक प्रकाश सुर्वे के चिरंजीव ने एक व्यापारी का
अपहरण कर
लिया। विधायक सुनील कांबले ने एक पुलिसकर्मी पर हमला कर दिया। सत्ताधारी दल में कानून तोड़ने और धमकाने की होड़ मची है। ऐसे वक्त तनाव की मारी बेचारी पुलिस करे भी तो क्या? इस लेख को लिखते समय जालना में एक ट्रक ड्राइवर पर अंधाधुंध गोलीबारी की खबर है। गांव-गांव हिंसक वारदातें हो रही हैं। महाराष्ट्र में बंदूक, छुरी, तलवार और कोयते का राज जारी है। इसी गुंडाशाही ने राज्य के चुनाव तंत्र पर कब्जा कर लिया। परली जैसी जगहों पर मतदाताओं को केंद्र तक जाने की अनुमति नहीं दी गई और मनमाफिक मतदान कराया गया। यह महाराष्ट्र राज्य का अध:पतन है। राज्य में सत्ता में मौजूद तीनों दलों के लोग ठेकेदारों से भारी दलाली उगाहते हैं और उन पैसों से गांव-गांवों में राजनीतिक जुल्म ढहाते हैं। महाराष्ट्र में चल रहा पैसों का यह खेल चिंताजनक है। हर कोई अपने तरीके से महाराष्ट्र को नोंच रहा है। इस नोंच-खसोट से महाराष्ट्र के जान पर आ बनी है, बावजूद इसके हुक्मरानों को इसकी कोई परवाह नहीं है। धमकी और दादागीरी महाराष्ट्र की संस्कृति बन गई है। ‘कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा? देख लेंगे!’ यह भाषा आमतौर पर हुक्मरानों की जुबां पर चढ़ी हुई है। यह महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पर लगा हुआ ग्रहण है। पुलिस अपनी प्रतिष्ठा खो चुकी है। पैसे गिनकर पदों पर आना और उस वसूली के लिए गुंडों के राज को पोसना, महाराष्ट्र में यही चल रहा है। पिछले ५५ वर्षों में महाराष्ट्र ने जो हासिल किया, वह पिछले ढाई वर्षों में नष्ट हो गया है। राज्य में जो चल रहा है उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, लेकिन क्रूर बहुमत महाराष्ट्र को शैतान की मांद में धकेल रहा है। राज्य में लोग सड़क पर चलने से डर रहे हैं। क्योंकि बंदूक की गोली कहां से आएगी और जान ले लेगी इसका कोई ठिकाना नहीं रहा है!