हमारे देश के लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है। लेकिन सत्ता पक्ष समेत विपक्षी दल पहले ही बिगुल फूंक चुके हैं। वहीं अमेरिका में भी राष्ट्रपति चुनाव के ढोल-नगाड़े बजने शुरू हो चुके हैं। यह चुनाव मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ही लड़ा जाएगा, यह लगभग तय है। अमेरिका के २६ राज्यों और एक क्षेत्र में मतदाताओं के कौल के मुताबिक बाइडेन की १४ राज्यों में और ट्रंप की ११ राज्यों में जीत दर्ज की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इस साल ५ नवंबर को होगा। इसमें अमेरिका के ४७वें राष्ट्रपति का चुनाव किया जाएगा। अमेरिकी मतदाताओं द्वारा बाइडेन को बढ़त मिलती है या महाशय ट्रंप पिछली बार की हार से उबरकर दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, यह उस वक्त ही साफ हो पाएगा। लेकिन इतना तय है कि हिंदुस्थान की तरह अमेरिका में भी चुनावी माहौल गर्माने लगा है। वास्तविक चुनाव अभी आठ महीने दूर हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच पहली सार्वजनिक बहस १६ सितंबर को होगी। यहीं से प्रचार की असली लड़ाई शुरू होगी। हालांकि, इस बार स्थिति अलग दिख रही है। बाइडेन और ट्रंप के बीच प्रतिद्वंद्विता की हुड़दंग शुरू हो चुकी है। उनमें आरोप-प्रत्यारोपों के पटाखे जोरों से फूटने लगे हैं। ट्रंप महाशय कभी भी अपने विचारशील और संयमित व्यवहार और बोली के लिए नहीं जाने जाते। उनके करियर में समय-समय पर उनका प्रत्यय आता रहा है। २०२० में बाइडेन द्वारा हराया जाना भी ट्रंप को रास नहीं आया और न ही वह इसे पचा पाए। इसीलिए ट्रंप के समर्थकों ने ‘वैâपिटॉल’ पर भयानक हमला किया। अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था। इसके अलावा, उस समय ट्रंप पर राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में हेरफेर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था। इसके अतिरिक्त कई अन्य मामलों में बाइडेन सरकार द्वारा ट्रंप की जांच की जा रही है। उनके खिलाफ कुछ मामले भी दर्ज किए गए हैं। यह सारा गुस्सा ट्रंप द्वारा बाइडेन के खिलाफ निम्न-स्तरीय आलोचनाओं में नजर आता है। ट्रंप ने हाल ही में बाइडेन का उल्लेख ‘पागल’ के तौर पर किया। उन्होंने बाइडेन को गूंगा और बेकार कहते हुए संभावना व्यक्त की कि वे अमेरिका को नरक में ले जाएंगे। बाइडेन ने भी ट्रंप पर निशाना साधते हुए यह कहा कि वह सिर्फ बदला लेने के लिए काम करते हैं, लोगों के लिए नहीं। बाइडेन ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर ट्रंप व्हाइट हाउस में लौटे तो अमेरिका फिर से खतरे में पड़ जाएगा। यह अमेरिका दुनियाभर में सभी मामलों में ज्ञान को बांटता रहता है, सयानेपन की खुराक देता रहता है। लेकिन अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों के बीच जो प्रतिद्वंद्विता की हुड़दंग चल रही है उसे देखते हुए लगता है कि राजनीतिक स्तर पर अमेरिका ‘हिंदुस्थान’ बन गया है। ट्रंप की अभद्र वाकपटुता भाजपा मंडली को अपनी लग सकती है। इसमें ट्रंप हमारे प्रधानमंत्री के ‘केम छो’ मित्र हैं। इसलिए जुबान पर लगाम दो, ऐसा कहनेवाले प्रधानमंत्री मोदी को कल यही वाचालवीर ट्रंप ने बाइडेन को पागल और मूर्ख कहा इसकी गवाही देंगे। इतना ही नहीं, वह यह बताने से भी नहीं हिचकिचाएंगे कि वैâसे मोदी शासन ने अमेरिका को भारत के बराबर ला खड़ा किया। भारत में लोकसभा चुनाव सिर पर हैं इसलिए यहां की सत्ताधारी पार्टी ने जोर-शोर से राजनीतिक की हुड़दंग जोर-शोर से शुरू कर दी है। हालांकि, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव आठ महीने दूर है, फिर भी उसके लिए तय उम्मीदवार, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच प्रतिद्वंद्विता की हुड़दंग अभी से ही शुरू हो चुकी है। खुद को ‘विश्वगुरु’ आदि कहलाने वालों के हिंदुस्थान में भी और खुद को दुनिया के ‘परिपक्व लोकतंत्र’ के तौर पर खुद की पीठ थपथपाने वाले अमेरिका में भी यही हाल है। भारत में होली की हुड़दंग तो अमेरिका में प्रतिद्वंद्विता की हुड़दंग, क्या है अंतर! बेशक, राजनीति के गजकर्ण हो जाने के बाद और क्या होगा!