गुजरात की कठपुतली… बोल्ड
विधानसभा के नतीजे आने के करीब बारह दिन बाद महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है। मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस की वापसी हुई। फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का सीधा-सीधा मतलब है कि गुजरात की कठपुतली शिंदे उड़ गए। फिर भी उन्हीं शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजीत पवार का उपमुख्यमंत्री पद बालध्रुव की तरह अटल है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फडणवीस संघर्ष, अपमान और तिरस्कार का जहर पचाकर मुख्यमंत्री बने। अब उन्हें मुख्यमंत्री बनने के लिए रात-रात भर भेष बदलने, अंधेरे में लुक-छिपकर बैठकें नहीं लेनी पड़ीं। विधानसभा का जनादेश भाजपा और उसके सहयोगियों के पक्ष में रहा। पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। इतने सारे ‘धुंआधार’ वोटों से हम वैâसे जीत गए? ये सवाल फडणवीस समेत पूरी भाजपा को है। उसी अचंभित चेहरे के साथ फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
क्यों लगे १२ दिन?
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पर बधाइयों की वर्षा हो रही है। समाचार चैनलों पर ‘शपथ ग्रहण समारोह के लिए आजाद मैदान चलें’ जैसे विज्ञापन प्रसारित किए गए। ऐसे वक्त में जब महाराष्ट्र का दिवाला निकल रहा है, शपथ ग्रहण समारोह की दिवाली मनाई गई। भारतीय जनता पार्टी ने १३२ सीटें जीतीं। दोनों सहयोगियों के प्रचंड बहुमत के बावजूद सरकार बनाने में १२ दिन क्यों लगे? इस अवधि के दौरान, महाराष्ट्र ने अस्त होते मुख्यमंत्री का रूठना-मनाना देखा। उनका दावा था कि मैं दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा और ये दिल्ली का वादा है। वे कहते रहे कि भाजपा को ये जीत इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने काम किया। वे इस बात पर अड़े थे कि मुख्यमंत्री पद के अलावा वे कुछ भी नहीं लेंगे। उस जिद को नजरअंदाज करते हुए फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
लोकतंत्र का घोंटा गला
महाराष्ट्र में फडणवीस की सरकार आने से ज्यादा खुशी का माहौल नहीं दिख रहा है, क्योंकि लोग भाजपा की जीत को लेकर सशंकित हैं। लोग सड़कों पर उतरकर कहने लगे हैं कि ये जीत असली नहीं है। गांव-गांव में दोबारा वोटिंग की मांग चल रही है। मारकडवाडी जैसी जगहों पर लोगों ने बैलेट पेपर पर दोबारा मतदान की कोशिश की, लेकिन धारा-१४४ लगाकर पुलिसिया दमन ने वहां लोकतंत्र का गला घोंट दिया। यदि मारकडवाडी की यह आग राज्य के गांव-गांव में पैâल गई तो कानून व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाएगा। सवाल ये है कि ऐसे वक्त में नए मुख्यमंत्री दमन का रास्ता अख्तियार करेंगे या संयम रखेंगे? देवेंद्र फडणवीस इस आरोप को वैâसे मिटाएंगे कि वे सांप्रदायिक और प्रतिशोधी हैं? सिस्टम का दुरुपयोग और उससे आतंक पैदा करके फडणवीस ने पार्टी के भीतर और बाहर विरोधियों को हटाया। अगर फडणवीस ने दोबारा ऐसा व्यवहार किया तो बहुमत प्रभावहीन हो जाएगा। उनके प्रशंसक बेशक सोच रहे होंगे कि उन्हें विनम्रतापूर्वक बहुमत को स्वीकार करना चाहिए और महाराष्ट्र के हित में इसका उपयोग किया जाए।
कैसे निपटोगे?
राज्य में कई समस्याएं हैं। मराठा आरक्षण से लेकर रोजगार तक, किसानों की आत्महत्या से लेकर फसलों की कीमतों तक। भाजपा की जीत के बाद से ही मुंबई जैसे शहरों में मराठी द्वेषी सांप फुफकारने लगे हैं। ये लोग मुंबई में मराठी मानुस को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने का डंका बजाया गया, लेकिन मुंबई में मराठी बोलने और मराठी जीने वालों पर आतंक के गिद्ध फड़फड़ा रहे हैं और अगर ये गिद्ध खुद को भाजपा समर्थक कहते हैं तो क्या मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस इन गिद्धों का बंदोबस्त करने का साहस करेंगे? नई सरकार को याद रखना चाहिए कि यह राज्य मराठी भाषी है और मराठी लोगों ने इसके लिए अपना खून बहाया है। राज्य की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठकर देवेंद्र फडणवीस किस दिशा में जाएंगे?
कर्ज का बोझ और कांटों का ताज
लाडली बहन योजना से राज्य पर ४४ हजार करोड़ का बोझ है। चुनाव प्रचार में इन मंडलियों ने बहनों को १,५०० की जगह २,१०० रुपए देने का वादा किया था, जिसके चलते बोझ बढ़ेगा। किसानों की कर्ज माफी का भी वादा है। इन वादों को पूरा करने के लिए उन्हें वित्तीय योजना और अनुशासन रखना होगा। लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि शिंदे काल में होनेवाली लूटपाट को खत्म करके यह राज्य चोरों और लुटेरों के हाथ से बच गया है। मराठा आरक्षण का क्या करेंगे? फडणवीस के आसपास जरांगे नामक तूफान मंडरा रहा है। अगर वे शांत नहीं हुए तो राज्य में कई नए मुद्दे खड़े हो जाएंगे और सरकार के भीतर नए विरोधी आग लगाने का काम करेंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर बैठना अब कांटों पर बैठने जैसा है। देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर उस महान कुर्सी पर बैठे हैं। यह उनकी जिद थी। उन्होंने दिन में शपथ ली। शासन बहुमत का है, लेकिन बहुमत फर्जी होने के कारण गांव-गांव में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। कोर्ट, चुनाव आयोग और ईवीएम के त्रिवेणी संगम से महाराष्ट्र में एक नया राज आया है। फिर भी देवेंद्र फडणवीस को बधाई!!