सामना संवाददाता / मुंबई
कोलकाता रेप और मर्डर केस के बाद डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा गरमा गया है। इसके साथ ही पिछले १० दिनों तक चले मार्ड के रेजिडेंट डॉक्टर और इंटर्न हड़ताल का सबसे ज्यादा असर ओपीडी के बाद सर्जरी करानेवाले मरीजों पर पड़ा है। मनपा अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले १० दिनों में मनपा के चार प्रमुख अस्पतालों में पांच हजार से अधिक छोटी-बड़ी सर्जरी टाल दी गई है। ऐसे में हड़ताल के बाद सर्जरी का बोझ अब रेजिडेंट डॉक्टरों, वरिष्ठ डॉक्टरों और इंटर्न और नर्सों पर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि हड़ताल की अवधि में केईएम को छोड़कर अन्य मनपा अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन ३० सर्जरियां की गई हैं। हालांकि, हड़ताल के दौरान दो से तीन दिनों से सायन अस्पताल में एक भी बड़ी या छोटी सर्जरी नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक, हड़ताल से पहले केईएम में प्रतिदिन २२० से २५० छोटी और बड़ी सर्जरी की जाती थी। हालांकि, अब यह संख्या घटकर औसतन ३० से ६० रह गई है। इसी तरह सायन में प्रतिदिन १२० से १५० सर्जरी होती थी, लेकिन अब प्रतिदिन ५ से १० सर्जरी ही होती है। नायर में भी प्रतिदिन १०० सर्जरी होती है, लेकिन अब यहां १५ से २० सर्जरी हो रही है। कूपर में भी प्रतिदिन ८० से १०० सर्जरी का औसत घटकर १० से १५ पर पहुंच गया है। इस बीच सर्जरी टालने का सबसे ज्यादा असर मरीजों पर पड़ रहा है। जिन मरीजों की सर्जरी पहले से तय थी, उनके टलने से अब मरीज को दोबारा फिटनेस टेस्ट कराना होगा।
१० दिन से चल रही मनपा और सेंट्रल मार्ड के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल कल खत्म हो गई है। हालांकि, कल भी इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंचे मरीजों को घंटों रुकना पड़ा। गुरुवार को ओपीडी में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के मौजूद रहने से मरीजों की परेशानी दूर हो गई। कल कुल २६ सर्जरी की गई। मनपा द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, केईएम में ३,१४६, सायन में २,७४०, नायर में ७६९ और कूपर में १,६९४ मरीज ओपीडी में पहुंचे। केईएम अस्पताल में १०५, सायन में १७, नायर में ७ बड़ी और कूपर में ८ सर्जरी की गई। इसके साथ ही अधिकारियों के अनुरोध पर केईएम में ५७४, सायन में २६१, नायर में ३३६, कूपर में ९६ रेजिडेंट डॉक्टरों ने हाजिरी लगाई। नायर डेंटल कॉलेज के सभी रेजिडेंट डॉक्टर अस्पताल में उपस्थित हुए।