यह महंगाई क्यूं बार-बार आयी
बस दुःखत समाचार लायी
हर दिन बढ़ जाती हो
सब को इतना सताती हो
गरीबों पर ही क्यूं बरस जाती हो
इसको सब दूर भगाते हैं
फिर भी पीछे पड़ जाती हो
महंगाई का ही बोल-बाला है
गरीबों के मुंह पर ही लगा दिया ताला है
कभी कोई कुछ खरीदने जाएं
तुम्हे देख कर सब घबरा जाएं
अमीरों का जमाना है
उनको कोई फर्क न पड़ना है
उनके घर जम कर बैठ जाओ
कभी तुम छोटी हो जाती हो
कभी आस्मां छूने लगती हो
जब तुम जाओगी, सब प्रसन्न हो जाएंगे
अपने मन का खरीद लाएंगे
अपने मेहनत की कमाई बचाएंगे
तब तुम रोती रह जाओगी
अपनी मनमानी नहीं कर पाओगी।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा