मुख्यपृष्ठग्लैमर‘कोशिशें जारी रहनी चाहिए!’ -प्राची बंसल

‘कोशिशें जारी रहनी चाहिए!’ -प्राची बंसल

आध्यात्मिक टीवी शो ‘श्रीमद रामायण’ में सीता का रोल निभानेवाली दिल्ली निवासी प्राची बंसल के इस शो की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जा रही है। कलर्स चैनल के शो ‘शिव शक्ति तप त्याग तांडव’ में गंगा की भूमिका निभा चुकी प्राची बंसल की लोकप्रियता शो के साथ बढ़ती ही चली जा रही है। पेश है, प्राची बंसल से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 शो ‘श्रीमद रामायण’ से पहले आपने किन फिल्मों और शोज में काम किया?
शो ‘बकुला बुआ का भूत’ से मैंने २०१७ में डेब्यू किया। हल्के-फुल्के कॉमेडी जॉनर के इस शो को ४० एपिसोड्स के बाद बंद कर दिया गया। इसके बाद मैंने अभिनय से ब्रेक ले लिया और मेरे पैरेंट्स भी अभिनय के खिलाफ थे। जैसे-तैसे उन्हें मनाने के बाद मैंने २०२२ में शो ‘थपकी प्यार की’ से वापसी की और २०२३ में ‘शिव शक्ति तप त्याग तांडव’ से मुझे सराहना मिलने लगी। २०२४ में मैंने फिल्म ‘लॉस्ट गर्ल’ में काम किया। इसके बाद शो ‘श्रीमद रामायण’ में मुझे सीता का किरदार निभाने का मौका मिला, जो बदस्तूर जारी है।

आपका झुकाव फिल्मों की ओर कैसे हुआ?
मैं बचपन से अभिनय में आना चाहती थी। जब भी कोई मुझसे पूछता कि तुम बड़ी होकर क्या बनोगी मैं झट से जवाब देते हुए कहती एक्ट्रेस बनूंगी, जबकि मेरे माता-पिता मेरी इस ख्वाहिश के खिलाफ थे। उनका कहना था कि पढ़ाई-लिखाई में करियर बनाओ। उनके विरोध के बावजूद मैं अपना सपना पूरा करना चाहती थी। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद मैं मां के साथ मुंबई आई और डेढ़ वर्ष में ५०० से अधिक ऑडिशन देने के बाद मेरे पैरेंट्स को लगा कि मैं अभिनय के भूत को राम-राम कह दूंगी।

ऑडिशन के दौरान क्या आपको ऐसा कोई दोस्त नहीं मिला जो काम दिलाने में आपकी मदद कर सके?
मेरा जो अनुभव है उससे मैं इतना ही कहूंगी कि यहां दोस्ती-यारी किसी मतलब की नहीं है। किसी भी रोल के लिए मुझे किसी ने भी कोई संपर्क नहीं बताया। जब मेरे पास कोई ऑफर नहीं था तो मैं घर बैठी रही। कोई स्ट्रगलिंग एक्टर दूसरे का नाम नहीं सुझाता, यह मेरा अनुभव है।

क्या आप वापस दिल्ली चली गईं?
‘बकुला बुआ’ और ‘थपकी’ शो के बाद ‘शिव शक्ति तप त्याग तांडव’ में मेरा देवी का किरदार पसंद आने पर शो ‘श्रीमद रामायण’ के लिए मेरा ऑडिशन हुआ और मैं सिलेक्ट हो गई।

 क्या आप सीता से किसी तरह रिलेट करती हैं?
सीता तो देवी थीं। मां लक्ष्मी का रूप थीं। उनसे मेरी तुलना हो ही नहीं सकती, लेकिन उनकी सादगी, दृढ़ता की तरह मैं भी निडर और अपने इरादों की पक्की हूं। मेरे लिए सीता का किरदार निभाना जीवन की खास उपलब्धि है, जिसे मैं भुला नहीं पाऊंगी। सीता में एक आदर्श पत्नी, मां, बेटी, बहू, भाभी जैसे अनगिनत गुण थे, जिसे लोगों ने पीढ़ियों तक याद रखा और सीता दुनिया के लिए मिसाल बन गईं।

 क्या आपको नहीं लगता कि अगर आप सीता के किरदार में टाइपकास्ट हो गईं तो?
आपकी बातों में सच्चाई है, लेकिन ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ जैसे शो के कलाकारों को फिल्मों या टीवी शोज में ज्यादा देखा नहीं गया। इसकी मुख्य वजह यह थी कि इन कलाकारों पर भगवान वाली इमेज हावी हो गई थी। उनके भीतर के कलाकारों को उन्होंने पहचाना नहीं। अब समय बदल गया है और दर्शक इस बात को समझते हैं कि जो ऑनस्क्रीन किरदार दिखते हैं उनके भीतर भी एक कलाकार है। अब ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है।

नए वर्ष में आपके क्या संकल्प हैं?
इस वर्ष फरवरी-मार्च तक ‘उत्तर रामायण’ चलेगा। तब तक मैं कुछ नया साइन नहीं कर सकती, लेकिन मैं ओटीटी के लिए काम करना चाहूंगी, जहां परफॉर्मेंस के लिए भरपूर मौके हैं। मैं ये मानती हूं कि जिंदगी चाहे जैसे भी हो, उसे स्वीकार करें। संकल्पों का क्या है पूरे नहीं हुए तो कोशिशें जारी रहनी चाहिए।

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