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आठ सदस्य…छह रोटी, बच्चों में कैसे बांटू? … लाचारी ने ली मां की जान! …एटा की घटना ने सभी को रुला दिया

उत्तर प्रदेश के एटा में एक विधवा ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर कीटनाशक की दवा पीकर आत्महत्या कर ली। यह घटना उजागर होने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद विपक्ष ने यूपी सरकार पर निशाना साधा है। दरअसल, एटा जिले के नगला पवल की रहने वाली सुमन (३५) ने सोमवार को कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। मृतका विधवा महिला के ६ बच्चे हैं। पीड़ित परिवार के पास मृतका के अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। स्थानीय लोगों और रिश्तेदारों की मदद से शव का अंतिम संस्कार किया गया। मृतका सुमन के पति की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से फरवरी २०२३ में मौत हो गई। इसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी सुमन पर थी। बुजुर्ग सास ससुर समेत ८ लोगों के भरण-पोषण सुमन मेहनत-मजदूरी करके करती थी।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, रविवार को स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे भूखे थे। घर में आटा कम थे और उसमें महज ६ रोटियां ही बन पार्इं। सभी ८ सदस्यों में ये रोटियां बंटीं तो मां सुमन की बच्चों और परिवार की ये स्थिति देखी नहीं गई। इसके बाद उसने खौफनाक कदम उठाया। इस घटना ने हर किसी को नि:शब्द कर दिया है। सुमन की मौत केवल उसकी व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि उस तंत्र की नाकामी है जो भूख और गरीबी के आगे एक मां को टूटने से नहीं बचा सका। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि विकास के आंकड़ों और बड़े-बड़े नारों के बीच सबसे गरीब और वंचित लोग कहां खड़े हैं। मृतका की बेटी के मुताबिक, पिता की मौत के बाद घर का गुजारा मुश्किल से हो पा रहा था। आलम ये है कि परिवार के सदस्यों को पर्याप्त खाना तक नहीं मिल पा रहा था। इसकी वजह से मां मानसिक रूप से परेशान थी। वह घर पर काम करने के बाद दूसरों के खेतों में मजदूरी करके बच्चों को पालती थी।

इस घटना ने हर किसी को नि:शब्द कर दिया है। सुमन की मौत केवल उसकी व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि उस तंत्र की नाकामी है, जो भूख और गरीबी के आगे एक मां को टूटने से नहीं बचा सका। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि विकास के आंकड़ों और बड़े-बड़े नारों के बीच सबसे गरीब और वंचित लोग कहां खड़े हैं।

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