सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। रायगड और नासिक के पालकमंत्री पद को लेकर शिंदे गुट में असंतोष है। इस विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इन दोनों जिलों से संबंधित निर्णयों पर फिलहाल रोक लगा दी है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में भाजपा ने शिंदे की राजनीतिक अवस्था बिगाड़ दी है। फडणवीस इन दिनों शिंदे को झटके पर झटका देते जा रहे हैं। जिसके चलते अब उन्हें भाजपा नेता व सीएम फडणवीस पर विश्वास नहीं रह गया है। अब वे दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क बढ़ाने में लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, शिंदे ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की। नड्डा के कहने पर ही उन्होंने नड्डा को पत्र लिखकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का एलान किया है। राजनीतिज्ञ लोग इसे शिंदे का नड्डा के लिए पत्र टैक्टिस मान रहे हैं। इस पत्र के जरिए शिंदे नड्डा को अपने पक्ष में करने के जुगाड़ में हैं। वहीं अजीत पवार गुट ने दिल्ली में अलग लड़ने का पैâसला किया है।
दिल्ली में भले ही शिंदे गुट का कुछ न हो, लेकिन उन्होंने दावा ऐसे किया है, जैसे कई सीटें शिंदे के लोगों की वजह से भाजपा जीत पाएगी। शिंदे ने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए का हिस्सा होने पर हमें गर्व है। यही वजह है कि हमने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों का समर्थन करने का निर्णय लिया है। मैंने अपने गुट के राज्य पदाधिकारियों को भाजपा प्रदेश कार्यालय से समन्वय स्थापित कर चुनाव प्रचार में सक्रिय भागीदारी के निर्देश दिए हैं।
अजीत गुट की अलग राह
इस चुनाव में उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अलग लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने अजीत पवार गुट से ३० उम्मीदवारों की घोषणा की। भाजपा ने एनडीए के घटक दलों शिंदे गुट, अजीत पवार गुट, जदयू और लोजपा को १-१ सीट देने की पेशकश की थी। लेकिन शिंदे गुट ने भाजपा का समर्थन किया, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस ने स्वतंत्र चुनाव लड़ने का पैâसला किया। एनडीए का हिस्सा रहे रामदास आठवले की आरपीआई (ए) पार्टी भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने दम पर लड़ रही है।