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इलेक्टोरल बॉन्ड का बवंडर … चुनाव बाद होगा चंदे का खुलासा! …सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एसबीआई की टालमटोल

भाजपा सरकार के ढीले रवैये पर भड़का विपक्ष
चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा वसूलने में भाजपा काफी आगे है। पर उसे यह चंदा किस-किसने दिया, वह देनेवालों का नाम नहीं बताना चाहती। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनावी बॉन्ड का मसला फिर गरम हो उठा है। मगर एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) दान देनेवालों की लिस्ट अभी तक तैयार नहीं कर पाई है। अब उसे और समय चाहिए। अब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से ३० जून तक का समय मांगा है, ताकि बाद में इस पैâसले का पालन किया जा सके, जिसमें बैंक को अप्रैल २०१९ से भुनाए गए सभी चुनावी बॉन्ड का विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। बैंक के इस पैंतरे के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। आज बुधवार ६ मार्च को अदालत द्वारा अनिवार्य समय सीमा तय की गई है, पर एसबीआई इसके लिए तैयार ही नहीं है। चंद दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। अब अगर चुनाव पहले दानदाताओं के नामों का खुलासा होता है तो वह एक बड़ा मुद्दा बन जाता, शायद इसी पचड़े से भाजपा बचना चाहती है। यही वजह है कि इस मामले को चुनाव के बाद धकेलने की कवायद की जा रही है।
इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार चुनावी बॉन्ड के जरिए अपने संदिग्ध लेन-देन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘देश के सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड की मोदी सरकार की ‘काला धन रूपांतरण’ योजना को ‘असंवैधानिक’, ‘आरटीआई का उल्लंघन’ और ‘अवैध’ करार देते हुए रद्द कर दिया था और एसबीआई को ६ मार्च तक डाटा विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। लेकिन भाजपा चाहती है कि इसे लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘इस लोकसभा का कार्यकाल १६ जून को खत्म होगा और एसबीआई ३० जून तक डेटा साझा करना चाहता है। भाजपा इस फर्जी योजना की मुख्य लाभार्थी है।’

चुनावी बॉन्ड के खुलासे का समय बढ़ाने को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बचाने की आखिरी कोशिश करार दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर राहुल ने पोस्ट करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने चंदा कारोबार को छिपाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के बारे में सच जानने का अधिकार पूरे देश के लोगों का है तो फिर एसबीआई क्यों नहीं चाहता कि यह सच चुनाव से पहले सार्वजनिक हो। उनका दावा है कि एक क्लिक में जानकारी प्राप्त की जा सकती है तो किसलिए ३० जून तक का समय मांगा जा रहा है? एसबीआई की यह मांग बताती है कि मामला गड़बड़ है। गांधी का आरोप है कि देश का हर स्वतंत्र संगठन भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए मोदानी परिवार का हिस्सा बन रहा है। यह पीएम मोदी के असली चेहरे को छिपाने की कोशिश है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने एक्स पर कहा कि आप क्रोनोलॉजी समझिए कि पहले चुनाव और फिर चुनावी बॉन्ड का खुलासा। भाजपा को अपने वित्त खजाने के स्रोत का खुलासा करने में इतनी घबराहट क्यों हो रही है? कांग्रेस के अलावा, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि एसबीआई का कदम आशंकाएं पैदा कर रहा है। यह न्याय का मजाक है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि यह डिजिटल युग है। एक क्लिक पर जारी जानकारी मिलती है। समय की मोहलत मांगना आशंकाएं पैदा करती हैं।

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