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स्वचालित प्रक्रिया से होगा झोपु योजना की पात्रता का निर्धारण! …राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक आदेश जारी

– नकली दस्तावेज नहीं हो सकेंगे पेश
सामना संवाददाता / मुंबई
स्लम पुनर्वास योजना के तहत झुग्गीवासियों की पात्रता निर्धारित करने के लिए प्राधिकरण द्वारा विकसित स्वचालित प्रक्रिया को अब सभी सक्षम एजेंसियों के लिए उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है इसलिए पात्रता का निर्धारण मानवीय हस्तक्षेप के बिना किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस संबंध में १८ मार्च को आदेश जारी किया। इस निर्णय से झुग्गीवासियों की पात्रता तुरंत निर्धारित हो जाएगी, ऐसा स्लम प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेंद्र कल्याणकर ने कहा है। इस प्रक्रिया का उपयोग नहीं करने वाले सक्षम अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि इस प्रक्रिया का उपयोग नहीं करने वाले सक्षम प्राधिकारी से लागत भी वसूल की जाएगी।
झुग्गीवासियों की पात्रता निर्धारित करने के लिए मतदाता सूची, बिजली बिल, आधार कार्ड आदि की आवश्यकता थी। हालांकि, पात्रता निर्धारित करने के लिए ये दस्तावेज कभी-कभी नकली रूप से प्रस्तुत किए जाते थे। सक्षम अधिकारी की पात्रता निर्धारण हेतु दर भी निर्धारित की गई। यह दर दी गई तो पात्रता सूची भी बढ़ती जा रही थी।
पात्रता का निर्धारण शीघ्र एवं पारदर्शी ढंग से हो, इसके लिए तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी सतीश लोखंडे ने प्रयास प्रारंभ किए थे। उनके प्रयासों की सफलता से झुग्गीवासियों की पात्रता एक क्लिक से निर्धारित हो रही है। एक अधिकारी ने कहा कि डेटा की उपलब्धता से मानवीय हस्तक्षेप के बिना झुग्गीवासियों की जानकारी की दोबारा खरीदारी न हो
हाई कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई थी। हाई कोर्ट ने आश्चर्य जताया था कि स्लम पुनर्वास योजना में अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से संबंधित कानून में कोई शक्ति नहीं है। हालांकि, अधिकारी ने यह भी दावा किया कि चूंकि पात्रता सूची आधार कार्ड से जुड़ी हुई है इसलिए यदि झोपू योजना में एक बार घर खरीदा जाता है तो इसे दोबारा खरीदने पर प्रतिबंध होगा।

 

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