-महासचिव खुर्शीद सिद्दीकी ने कहा, ‘गैर मुस्लिमों को इसलिए बुलाया गया, ताकि उन्हें भी पता चले कि हम मस्जिदों में क्या करते हैं?
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की एक मस्जिद में अचानक बड़ी संख्या में हिंदू पहुंच गए। यह मस्जिद विक्रोली में स्थित है। यह मोहम्मदिया मस्जिद के नाम से मशहूर है। असल में इस मस्जिद के द्वारा गैर मुसलमानों को आमंत्रित किया गया था।
गत शुक्रवार को इस मस्जिद का नजारा देखकर हर कोई हैरान था। यहां का नजारा बिल्कुल अलग था। गैर मुसलमानों को ईद-ए-मिलाद के जुलूस को लेकर की जा रही बैठक में शामिल किया गया था। मदरसा और मस्जिद मोहम्मदिया के महासचिव खुर्शीद सिद्दीकी के नेतृत्व में इस बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें गैर मुस्लिम समूह ने नमाज के रीति-रिवाजों, मस्जिद, इस्लाम और इमाम के तौर-तरीकों को जाना। हिंदुओं ने करीब एक घंटा मस्जिद में बिताया। खुर्शीद सिद्दीकी ने कहा कि खुदा या भगवान के घर में ताला-चाबी नहीं होना चाहिए। ये सभी के लिए खुला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर मुस्लिम लोगों को इसलिए यहां बुलाया गया है, ताकि उन्हें भी पता चले कि हम मस्जिदों में क्या करते हैं? मस्जिदों को लेकर जो गलतफहमी पैâलाई गई है, उसे दूर करने का एक प्रयास किया गया है। बता दें कि आमतौर पर मस्जिदों में कुर्सियां नहीं रखी जातीं, लेकिन हिंदू लोगों के मस्जिद में आने पर उन्हें कुर्सियों पर बैठाया गया था। मस्जिद का दौरा करनेवाले एक हिंदू शख्स ने कहा कि वहां जाकर मुझे बहुत खुशी मिली। मस्जिद के बारे में अक्सर कई अलग बातें कही जाती हैं, लेकिन मस्जिद एक प्रार्थना कक्ष के अलावा कुछ नहीं है, जहां मुस्लिम सामूहिक रूप से नमाज अदा करते हैं। एक शख्स ने पूछा कि क्या अल्लाह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का दूसरा रूप है, जिस पर उन्हें बताया गया कि मुस्लिम मान्यता के अनुसार अल्लाह एक निराकार शक्ति है जो स्वशासित है और इस दुनिया को चलाती है। इमाम मुफ्ती मोहम्मद शारफे आलम कासमी ने कहा कि मस्जिद में हिंदू लोगों की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य यही था कि उन्हें भी वास्तव में पता चल सके कि मस्जिदों में होता क्या है?
हिंदुओं ने करीब एक घंटा मस्जिद में बिताया। खुर्शीद सिद्दीकी ने कहा कि खुदा या भगवान के घर में ताला-चाबी नहीं होना चाहिए। ये सभी के लिए खुला होना चाहिए।