धीरेंद्र उपाध्याय / ठाणे
गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा की तरफ जा रहे यात्री बोट हादसे के बाद भी तालाबों के शहर ठाणे में पैडल बोटिंग की सुरक्षा भगवान भरोसे है। तालाबों में मौजूद पैडल बोटिंग की सुरक्षा की अनदेखी न केवल ठेकेदार, बल्कि मनपा प्रशासन की ओर से भी किया जा रहा है। मनपा प्रशासन की ओर से अभी तक ठेकेदारों को किसी तरह की कोई नोटिस नहीं दी गई है। इससे यह साफ हो गया है कि मुंबई में बोट हादसे के बाद भी प्रशासन की आंख नहीं खुली है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार शाम ४ बजे नौसेना की एक स्पीड बोट ने गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा की ओर जा रही एक यात्री नाव ‘नीलकमल’ को टक्कर मार दी। बुधवार को हुए इस भयानक हादसे में १४ लोगों की मौत हो गई। हादसे के समय बोट में ११५ लोग सवार थे। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि आखिरकार इस हादसे का असली जिम्मेदार कौन है? अब इस मामले में मुंबई पुलिस ने स्पीडबोट ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला हादसे में बचे साकीनाका के २२ वर्षीय युवक नथाराम चौधरी की शिकायत पर दर्ज किया गया है। दूसरी तरफ ठाणे के विभिन्न तालाबों में चलाए जा रहे पैडल बोटिंग को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता महेश मोरे ने कहा कि निजी ठेकेदार ठाणे में मासुंदा, उपवन, अंबा घोषाले और खारेगांव तालाबों में नागरिकों को नौकायन सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
नागरिक भी बरतते हैं लापरवाही
एक ठेकेदार ने कहा कि बोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराते समय हम मनपा के सभी नियमों का पालन करते हैं। बहुत छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी को लाइफ जैकेट दिए जाते हैं। हालांकि, नागरिक जैकेट गर्म होने, कपड़े खराब होने, दम घुटने जैसा महसूस होने का कारण बताकर नहीं पहनते हैं। जो नागरिक बोटों में जैकेट पहनते हैं लेकिन बोटिंग के दौरान उतार देते हैं।
पैडल बोट पर ठेकेदार का नियंत्रण नहीं
सभी तालाबों में पैडल बोट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इन बोटों में खुद ही चप्पू चलाकर बोटिंग करनी होती है। इस पर ठेकेदार का कोई नियंत्रण नहीं रहता है। इसलिए यदि कोई हादसा हो जाए तो ठेकेदार तक जानकारी पहुंचाना भी मुश्किल हो जाता है। इसीलिए ये पैडल बोट सबसे खतरनाक पाई गई हैं।