–अनुसूचित जनजाति के लोगों की हत्याओं में भी २२५ प्रतिशत की हुई वृद्धि
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महायुति सरकार के शासन में कानून व्यवस्था इस कदर बिगड़ गई है कि असामाजिक तत्व और अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। ऐसे लोगों पर सरकार का संरक्षण है। इस वजह से महाराष्ट्र में आम से लेकर खास तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। नेताओं की हत्याएं हो रही हैं। अभिनेताओं के घरों में चोरी और हमले हो रहे हैं। इन सबके बीच ‘ईडी’ २.० में आदिवासी समाज के लोग भी असुरक्षित हैं। पिछले चार साल सालों में इस समाज पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं।
अनुसूचित जनजाति के लोगों की हत्याओं में भी २२५ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, आदिवासी महिलाओं व बच्चियों के साथ बलात्कार की वारदातों में भी २९.३८ प्रतिशत बढ़े हैं।
राज्य में वर्ष २०११ में हुई जनगणना के मुताबिक, आदिवासियों की कुल आबादी एक करोड़ पांच लाख १० हजार २१३ है। महाराष्ट्र में एक करोड़ से अधिक आबादी वाले इस समाज को महायुति शासन काल में कई तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है।
वर्ष २०२२ में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार के कुल ७४२ मामले दर्ज हुए हैं। इसी तरह वर्ष २०२१ में ६२८ मामले दर्ज हुए हैं। इस तरह अत्याचार के १८.१५ प्रतिशत मामले बढ़े हैं। इसमें ७४ मामलों यानी ९.९७ प्रतिशत के साथ नगर जिला सबसे आगे हैं। इसी तरह वर्ष २०२१ और वर्ष २०२२ में अनुसूचित जनजाति के क्रमश: २६-२६ लोगों की हत्याएं हुर्इं, वहीं वर्ष २०१७ में इस तरह की महज आठ हत्याएं हुई थीं। इसके मुताबिक, वर्ष २०१७ की तुलना में वर्ष २०२२ में हत्याओं के अपराध में २२५ प्रतिशत वृद्धि हुई है।
रेप के मामलों में २९.३८
प्रतिशत की बढ़ोतरी
समर्थन बजटीय अध्ययन केंद्र द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, महायुति सरकार के शासन में महाराष्ट्र में आदिवासी जनजाति की महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाओं में २९.३८ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बताया गया है कि वर्ष २०२१ में बलात्कार के १४५ मामले दर्ज हुए थे। उसकी तुलना में वर्ष २०२२ में यह आंकड़ा बढ़कर १७६ पर पहुंच गई, वहीं वर्ष २०१७-१८ में ११४ मामले दर्ज हुए थे। इस तरह वर्ष २०१७-१८ की तुलना में वर्ष २०२२ में आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार के मामलों में ५४.३७ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।