सामना संवाददाता / मुंबई
बच्चों के लिए मां का दूध अमृत के समान माना जाता है। पूरे पोषण से युक्त मां का दूध खासकर उन बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी है, जो समय से पहले अथवा कम वजन के होते हैं। हालांकि, विभिन्न कारणों के चलते कई माओं में दूध नहीं बन पाता है। ऐसी स्थिति में उनके बच्चों के लिए राज्य में चल रहे २६ मानव यानी ह्यूमन मिल्क बैंक स्वास्थ्यपूर्ण जीवन देने का काम कर रहे हैं। इन ह्यूमन मिल्क बैंकों के जरिए हर साल राज्य में २२८०२ बच्चों को पोषित किया जा रहा है। इस सेवा में हिंदुस्थान में राजस्थान ३५ मिल्क बैंकों के साथ पहले स्थान पर, जबकि महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
उल्लेखनीय है कि राज्य ही नहीं, बल्कि एशिया का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक २७ नवंबर १९८९ को मुंबई के सायन अस्पताल में खोला गया था। इसके बाद राज्य के कई अस्पतालों में यह बैंक खोले गए। आज इनकी संख्या २६ पर पहुंच चुकी है। ह्यूमन मिल्क बैंकों को मजबूत करने के लिए `पाथ’ संस्था के सहयोग से हर महीने पूरे राज्य में `मिल्क बैंक प्रोग्राम फॉर अप्रोप्रिएट टेक्नोलॉजी हेल्थ’ कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। `पाथ’ संस्था सरकारी चिकित्सा सेवाओं को और सशक्त बनाने के लिए सहयोग करती है। `पाथ’ ने दूध बैंकों का नेटवर्क बुनने में प्रमुख भूमिका निभाई है। नागपुर, नासिक, हिंगोली, छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती और वर्धा में दूध बैंक हैं। इसी तरह नंदुरबार, भंडारा और गोंदिया के दूरदराज इलाकों में जल्द ही दूध बैंक शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।