मुख्यपृष्ठस्तंभसब मसाला है : गंदा है पर धंधा है!

सब मसाला है : गंदा है पर धंधा है!

श्रीकिशोर शाही

इस दुनिया में ऐसे अजीब-अजीब धंधे हैं कि सुन लो तो बड़ा अजीब सा महसूस होता है। मसलन हर शुक्रवार को फिल्में रिलीज होती हैं और समीक्षक फिल्मों को रेटिंग देते हैं। इन रेटिंग को देखकर बहुत से दर्शक तय करते हैं कि फलां फिल्म देखनी है या नहीं देखनी। इन दिनों एक पैâशन है कि अखबारों में फिल्म के बड़े विज्ञापन दिए जाते हैं, जिसमें किसने कितना स्टार दिया, उसका जिक्र रहता है। इसी तरह बॉलीवुड के कुछ इनफ्ल्युंसर फिल्म की कमाई के आंकड़े ट्वीट करते हैं, जो तुरंत ही वायरल भी हो जाते हैं। ओपनिंग इत्यादि १०० करोड़ का क्लब ३००, ४०० करोड़ वगैरह। अब कतर के चर्चित मीडिया समूह ‘अलजजीरा’ ने बॉलीवुड के इस गोरखधंधे की पोल खोल दी है।
असल में ये सारा खेल फिल्म प्रमोशन का हिस्सा है। एक मार्वेâटिंग गिमिक्स है। इसके लिए निर्माता बाकायदा पैसा खर्च करता है। यहां तक तो ठीक है, पर अलजजीरा ने बॉलीवुड के कुछ क्रिटिक्स और कुछ मीडिया हाउस के नाम और रेट भी छाप दिए हैं। बस हलचल मच गई। लिस्ट में जिनका नाम नहीं है, वे कॉलर टाइट किए इस चैनल से उस पॉडकास्ट में उछल रहे हैं। बोले तो मैं ऐसा नहीं हूं टाइप। फिल्मों के कलेक्शन ट्वीट करने के पैसे दिए जाते हैं। फिल्मों के टीजर को दमदार बताने के लिए भी पैसे दिए जाते हैं। हैसियत के अनुसार, यह २० हजार से लेकर लाखों तक में हैं। जिसके जितने फॉलोवर उसका ट्वीट उतना महंगा। बॉलीवुड के एक इनसाइडर का कहना है कि इसमें बुरा क्या है? भले ही कुछ लोगों को ये गंदा लगे, पर यह तो धंधा है। फिल्मों के फेक कलेक्शन बताने पर अगर लोग फिल्म देखने आते हैं तो इससे बिजनेस बढ़ता है। इसके लिए कुछ रकम इन लोगों को दे दी गई तो क्या हो गया? आज बड़ी कॉस्मेटिक या ब्रेवरीज कंपनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन पर कितना ज्यादा खर्च करती हैं। उन्हें तो कोई बुरा नहीं कहते। बड़े-बड़े सितारे पैसे लेकर टीवी पर विज्ञापन करते हैं। भले ही प्रोडक्ट में दम हो या न हो। बस यही यहां हो रहा है। कुछ साल पहले एक बड़े क्रिकेटर का ट्वीट खूब वायरल होता था। बंदा खेल के अलावा कुछ अन्य मामले में भी ट्वीट कर देता था। बाद में इस बारे में एक बिजनेस अखबार में जब कुछ हस्तियों के ट्वीट करने के रेट छपे तो उसमें उस क्रिकेटर का भी नाम था। तब उस क्रिकेटर ने साफ कहा था कि मुझे कोई ट्वीट करने के पैसे देता है तो इसमें बुरा क्या है। जनाब इसे ही तो इनफ्ल्युंस और इनफ्लुयंसर कहा जाता है।

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