सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की ‘ईडी’ २.० सरकार ने शपथ लेने के १० दिनों बाद कल कैबिनेट का विस्तार किया। मंत्रिमंडल विस्तार के पहले शिंदे गुट के विधायकों की देवगिरी बंगले पर बैठक हुई थी। इस बैठक में शिंदे की तानाशाही नजर आई। शिंदे ने अपने सभी मंत्रियों से एक एग्रीमेंट पेपर पर हस्ताक्षर कराया है। इसके अनुसार, शिंदे अपने किसी भी मंत्री को किसी भी समय हटा सकते हैं, उसका इस्तीफा मांग सकते हैं। इस एग्रीमेंट के अनुसार, कोई भी मंत्री अधिकतम ढाई साल तक ही मंत्री रह सकेगा। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि शायद शिंदे को अपने मंत्रियों पर भरोसा नहीं है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने मंत्रियों को ढाई साल का कार्यकाल देने का फॉर्मूला अपनाया है, जिसके तहत सभी मंत्रियों से यह शपथपत्र लिया गया है। सभी विधायकों के मंत्री पद की शपथ लेने से पहले उप मुख्यमंत्री शिंदे के बंगले में उक्त फॉर्मूले के तहत एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो शिंदे को अपने मंत्रियों पर भरोसा नहीं है इसलिए उनसे समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया है।
फूंक-फूंककर कदम रख रही है ‘ईडी’ २.० सरकार!
कल नागपुर में ‘ईडी’ २.० सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत दादा पवार के शपथ लेने के १० दिनों बाद यह विस्तार हुआ है। असल में विभिन्न मंत्रालयों के बंटवारों को लेकर महायुति के घटक दलों के बीच पेंच फंसा हुआ था, जबकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार यह सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। इसीलिए इस बार एकनाथ शिंदे ने अपने मंत्रियों से एक एग्रीमेंट पर साइन करा लिया है ताकि गंभीर आरोप लगने और भ्रष्टाचार में शामिल होने की स्थिति में बिना कहे उन्हें पद से हटाया जा सके।
पद से हटाए जानेवाले मंत्री आनाकानी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि पार्टी के एग्रीमेंट पर उन्होंने पहले से हस्ताक्षर किए हैं। दूसरी तरफ इस एग्रीमेंट के अनुसार, शिंदे अपने मंत्रियों पर अपनी पकड़ भी मजबूत कर सकेंगे। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए इस बार शिंदे गुट ने यह फैसला लिया है। इस बैठक में मंत्री पदों के साथ विभागों के आवंटन पर भी चर्चा हुई। शिंदे गुट को गृहनिर्माण, पर्यटन, शालेय शिक्षण और उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिलने की पूरी संभावना थी। बैठक में यह भी तय किया गया कि कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री के बंटवारे पर भी फैसला किया जाए। बता दें शिंदे गुट ने इस बार नए और पुराने चेहरों का संतुलन बनाए रखा है। कैबिनेट में कुछ नए चेहरों को जगह दी गई है। कई वरिष्ठ नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है, जिससे नाराजगी की स्थिति बन रही है।
भोंडेकर भड़के
महायुति में शामिल तीनों दलों के बीच मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक घमासान मचा रहा। बड़ी संख्या में विधायक, मंत्री बनने के लिए इच्छुक थे। मंत्री न बनाए जाने से शिंदे गुट के विधायक नरेंद्र भोंडेकर भड़क उठे और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शिंदे गुट के उपनेता और विदर्भ समन्वयक पद से इस्तीफा दे दिया है।
शिंदे गुट में निष्ठावंतों के लिए न्याय नहीं है!
भोंडेकर भड़के
महायुति में शामिल तीनों दलों के बीच मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक घमासान मचा रहा। बड़ी संख्या में विधायक, मंत्री बनने के लिए इच्छुक थे। मंत्री न बनाए जाने से शिंदे गुट के विधायक नरेंद्र भोंडेकर भड़क उठे और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शिंदे गुट के उपनेता और विदर्भ समन्वयक पद से इस्तीफा दे दिया है।
शिंदे गुट में निष्ठावंतों के लिए न्याय नहीं है!
कल देर शाम फडणवीस मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। मंत्री बनने का जिन विधायकों को मौका नहीं मिला, उनमें भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। इसी क्रम में शिंदे गुट के एक विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने पार्टी के अपने पद और विभिन्न जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया है। भोंडेकर का कहना है कि शिंदे गुट में निष्ठावंतों के लिए न्याय नहीं है। बता दें कि शिवसेना के भंडारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्री पद न मिलने से नाराज होकर शिवसेना के उपनेता पद और पूर्व विदर्भ समन्वयक पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, अभी तक उन्होंने अपने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। भोंडेकर ने चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे से मंत्री पद का आश्वासन मिलने का दावा किया था। लेकिन मंत्री पद न मिलने से नाराज होकर उन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शिंदे गुट के उपनेता और विदर्भ समन्वयक पद से इस्तीफा दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिंदे गुट के १२ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है, जिनमें भोंडेकर का नाम शामिल नहीं था। शिंदे गुट के दीपक केसरकर, तानाजी सावंत और अब्दुल सत्तार को मंत्री पद से हटा दिया गया है।