-ढेर सारी मुसीबत
सामना संवाददाता / मुंबई
नए साल की खुशियां दूर। बीते साल २०२४ के आखिरी दिन मुंबई के ट्रांसपोर्ट सिस्टम ने गजब का ड्रामा किया, जिसे देख हर कोई हैरान रह गया। ट्रेनें लेट हो गईं, बसें टकराई। इस तरह से घटनाओं का सिलसिला खत्म ही नहीं हुआ। यात्रियों को नसीब हुई देरी और अराजकता। लगता है जैसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को नए साल का जश्न कुछ रास नहीं आया। घटनाओं का सिलसिला यूं ही चलता रहा। आइए नजर डालते हैं ट्रांसपोर्ट के रातभर चलने वाले हिट शो पर।
पहले हिट वेस्टर्न रेलवे का ‘बक्लिंग’ (पटरियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना। ३१ दिसंबर २०२४ को दोपहर १.०८ बजे, विरार और नालासोपारा के बीच ट्रैक पर बक्लिंग हो गई। नतीजा ३० मिनट तक सभी ट्रेन सेवाएं रुक गर्इं। इस घटनाक्रम ने यात्रियों को खासा परेशान किया। एक रिटायर्ड रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘मुंबई में मौसम सामान्य था, तो यह घटिया कामकाजी गुणवत्ता का संकेत है। हालांकि, रेलवे अधिकारियों ने फौरन ट्रैक बदलकर सेवाएं फिर से शुरू कर दीं। इस घटना से सवाल तो उठ ही गए- क्या ये तकनीकी लापरवाही नहीं?
दूसरा हिट शो था सेंट्रल रेलवे का ट्रक ड्रामा। ३१ दिसंबर २०२४ को दोपहर २.४५ बजे दिवा स्टेशन के लेवल क्रासिंग पर एक ट्रक जो कंस्ट्रक्शन रेत से भरा था, फंस गया। ड्राइवर की स्टीrयरिंग जाम हो गई और वह क्रॉसिंग के बीच में ही फंस गया। नतीजतन १० मिनट तक ट्रेनों की सेवाएं बंद रही। वाह! ऐसे ट्रक ड्राइवर और प्रशासन के काम की तरह उनके जाम होते स्टीयरिंग को धन्यवाद!
तीसरा और आखिरी हिट शो बेस्ट की बैटरी की कहानी है। दरअसल, ३१ दिसंबर २०२४ को शाम ५.३० बजे बस भायखला ब्रिज के खंभे से टकरा गई। यह घटना तब हुई, जब बस ट्राइवर ने बाइक को बचाने के चक्कर में अचानक स्टीयरिंग घुमा लिया। परिणाम स्वरूप बस की बैटरी से काले धुएं का निकलना शुरू हो गया। हालांकि, ड्राइवर ने फायर एक्सटिंग्विशर का इस्तेमाल करते हुए आग लगने से पहले ही उसे बुझा लिया। सौभाग्यवश, कोई यात्री घायल नहीं हुआ। मुंबई की सड़कों पर इस तरह के मास्टरस्ट्रोक के बाद भी सवाल उठता है कि क्या यह एक गलती थी या बस की डिजाइन की खामी थी। अब सवाल यह भी उठता है कि क्या यही है मुंबई के ट्रांसपोर्ट सिस्टम की ‘आधुनिकता’? क्या यह सरकार के बेहतरीन काम का नतीजा है या किसी के काम में ‘साहसिक’ बेवकूफी की मिसाल?