सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और निवर्तमान गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस को गांधीवाद और अर्बन नक्सलवाद का अंतर समझ में नहीं आता। शहरी नक्सलवाद की कोई भी संकल्पना नहीं है, ऐसा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखित रूप में स्पष्ट किया है, लेकिन ‘भारत जोड़ो’ अभियान में शामिल संगठनों को फडणवीस नक्सलवादी कह रहे हैं। इसी वजह से ‘भारत जोड़ो’ अभियान में शामिल कौन-कौन से संगठन नक्सलवादी हैं, इसकी सूची फडणवीस को सार्वजनिक करनी चाहिए, ऐसा चुनौतीपूर्ण बयान ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में शामिल रहे योगेंद्र यादव ने पुणे में एक सभा में दिया है।
योगेंद्र यादव ने कांग्रेस भवन में रविवार को प्रेस कॉन्प्रâेंस की। इस दौरान उन्होंने यह बयान दिया। समाज सेविका उल्का महाजन, कांग्रेस शहर अध्यक्ष अरविंद शिंदे, प्रदेश महासचिव एडवोकेट अभय छाजेड भी वहां मौजूद थे।
फडणवीस ने ‘भारत जोड़ो’ अभियान को नक्सलवादी बताया है। मुख्यमंत्री पद पर रह चुके और गृहमंत्री के पद पर कार्यभार संभालने वाले देवेंद्र फडणवीस को गांधीवाद और नक्सलवाद का अंतर समझ में नहीं आता या उन्हें इसे जानने की जरूरत नहीं महसूस होती। शहरी नक्सलवाद जैसा कोई विचार नहीं है, यह बात अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखित में कही है, परंतु भाजपा द्वारा पराजय के डर से शहरी नक्सलवाद का मुद्दा उठाया जा रहा है। यदि ‘भारत जोड़ो’ अभियान में शामिल संगठन नक्सलवादी हैं तो उनके नामों की सूची फडणवीस को सार्वजनिक करनी चाहिए, ऐसी मांग यादव ने की।
योगेंद्र यादव ने कहा कि देश का लोकतंत्र और संविधान खतरे में हैं, इसी कारण ‘भारत जोड़ो’ अभियान की पहल शुरू की गई है। इसके माध्यम से समय-समय पर भाजपा, अजीत पवार गुट और शिंदे गुट का कुछ मुद्दों पर विरोध किया गया है, लेकिन लोकतंत्र को बचाने के लिए महाविकास आघाड़ी को वोट देने का निर्णय किया गया है।यादव ने आगे कहा कि संविधान को बदलने की भाजपा की मंशा को लोकसभा चुनाव के परिणाम ने कुछ हद तक झटका दिया है। हरियाणा की जीत के बाद भाजपा ने लोकसभा की असफलता को छुपाने की कोशिश की थी। अब भी राज्य के संविधान को बदलने की भाजपा की मंशा बरकरार है। फडणवीस का राहुल गांधी पर दिया गया बयान इसी का हिस्सा है। ‘एक देश एक चुनाव’ जैसी संकल्पनाओं को लागू कर राज्य संविधान को बदलने के छुपे प्रयास भाजपा कर रही है। भाजपा को लाल और नीला रंग स्वीकार नहीं है इसलिए इस चुनाव में भाजपा संविधान का मुद्दा छुपाने के लिए योजनाओं के माध्यम से पैसे फेंककर इस मुद्दे को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही है।