सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर कई अटकलें लगाई गई थीं। पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस पद के लिए इच्छुक होने की चर्चा थी, लेकिन भाजपा ने इस पर सहमति नहीं दी। इस संदर्भ में नाराजगी की अफवाहें भी उड़ीं। नागपुर में जिव्हाला पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक साक्षात्कार में इन सभी मुद्दों पर बोलते हुए गजब का दावा किया है।
एक साक्षत्कार में फडणवीस ने बताया कि चुनाव बाद भाजपा नेतृत्व ने शिंदे से चर्चा की, जिसके बाद शिंदे ने एक मिनट में कहा कि भाजपा बड़ा दल है और मुख्यमंत्री भाजपा का ही बनना चाहिए। उन्होंने खुद मुख्यमंत्री न बनने की बात कहते हुए कहा कि भाजपा का सीएम होगा तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। फडणवीस का यह दावा शिंदे के घाव पर नमक रगड़ने जैसा ही है। क्योंकि सीएम पद के लिए शिंदे खासा नाराज थे। शायद वही वजह थी कि वे अपने पैतृक गांव चले गए थे। केंद्रीय भाजपा नेताओं के फोन के बाद लौटे थे। सीएम पद के लिए उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नाराजगी जग जाहिर हो गई थी। अब फडणवीस का उस पर यह लेप लगाने का मतलब है कि शिंदे के घाव को और दुखाना।
मुख्यमंत्री पद पर सवाल पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद स्वाभाविक था कि शिंदे साहब को लगा होगा कि वे मुख्यमंत्री बनेंगे, क्योंकि वे पहले भी मुख्यमंत्री थे और हमारा गठबंधन सरकार में था और मुझे भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, लेकिन जनता ने भाजपा को १३२ सीटें देकर स्पष्ट जनादेश दिया। ऐसे में भाजपा का मुख्यमंत्री न बनाना न पार्टी कार्यकर्ताओं को और न ही जनता को उचित लगता। फडणवीस ने शिंदे की नाराजगी की खबरों को भी खारिज करते हुए कहा कि मेरे चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है, लेकिन शिंदे के चेहरे पर गंभीरता रहती है।