-आरोपियों को बचाने या आरोप का भय दिखाकर की घूसखोरी
-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने खोली पोल
सामना संवाददाता / मुंबई
रिश्वत के मामले में मुंबई पुलिस हमेशा से अव्वल रही है। घाती सरकार के दौरान फडणवीस की मुंबई पुलिस ने रिश्वतखोरी में रिकॉर्ड बनाया है। तहसीलदार, शिक्षा, डिप्टी कलेक्टर की तुलना में पुलिस विभाग में सबसे ज्यादा रिश्वतखोरी के मामले सामने आए हैं। एंटी करप्शन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में कई चौंका देनेवाली जानकारियां सामने आई हैं। इसके अलावा जीएसटी विभाग में करोड़ों की रिश्वतखोरी की बात सामने आई है।
मिली जानकारी के अनुसार, एंटी करप्शन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में मुंबई पुलिस सबसे भ्रष्ट विभाग बनकर सामने आया है। सभी सरकारी विभागों की तुलना में पुलिस महकमे में सबसे ज्यादा रिश्वतखोरी के मामले सामने आए हैं। साल २०२४ में एंटी करप्शन ब्यूरो ने पुलिस महकमे में १६ रिश्वतखोरी के मामलों में कई पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। कहीं आरोपी को बचाने को लेकर तो कहीं आरोपों का डर दिखाकर रिश्वतखोरी करने के मामले सामने आए हैं। हफ्तावसूली के आरोप में भी कई पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए हैं। भ्रष्टाचार के आंकड़ों में पुलिस सबसे ऊपर है। वहीं जीएसटी विभाग में रिश्वतखोरी के ३ मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन रिश्वत के नाम पर बड़ी रकम की डिमांड सबसे ज्यादा सामने आई है।
जीएसटी बचाने के लिए
व्यापारी से मांगा १ करोड़
रिश्वत लेने में आरटीओ अधिकारी भी पीछे नहीं
जीएसटी बचाने के लिए एक अधिकारी ने व्यापारी से १ करोड़ रुपए की मांग की थी, जिसे २ फरवरी २०२४ को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी तरह जीएसटी को रफा-दफा करने के लिए १ करोड़ ७५ लाख रुपए की मांग की गई थी, जिसके आरोप में जीएसटी अधिकारी को २८ फरवरी २०२४ को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। इसके अलावा एक कंपनी के जीएसटी को कम करने के नाम पर ३१.६९ लाख रुपए की रिश्वत की डिमांड की गई थी। इस मामले में जीएसटी अधिकारी की १४ जून २०२४ को गिरफ्तारी हुई। इसके अलावा आरटीओ में टेंडर के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। वाहन पासिंग और मेंटेनेंस के लिए टेंडर निकाला गया था। टेंडर पास करवाने के लिए आरटीओ अधिकारी ने ४६.७६ लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलने पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई करते हुए ४ सितंबर २०२४ को भ्रष्ट अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया। बीएमसी विभाग में भी करप्शन का मामला सामने आया है। अवैध निर्माण की तोड़क कार्रवाई रोकने के लिए बीएमसी अधिकारी ने ७५ लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलते ही भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते ने ७ अगस्त २०२४ को भ्रष्ट बीएमसी कर्मचारी का एक मामला उजागर किया है। आरोपी के पक्ष में पैâसला दिलवाने के लिए कोर्ट के ट्रांसलेटर कर्मचारी ने २५ लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते ने ट्रांसलेटर को १० सितंबर २०२४ को गिरफ्तार कर लिया।