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ईडी २.० की नाकामी! … सरकार कैसे सृजित करेगी रोजगार? …अगले साल होंगे ८.७० करोड़ बेरोजगार

चरम पर पहुंच जाएगी बेरोजगारी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महायुति सरकार ने हाल ही में अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट में सरकार चुनाव से पहले किए गए वादों को भूलती हुई दिखाई दी। इतना ही नहीं लाडली बहनों के साथ भी सरकार ने छल कर दिया है। इन सबके चलते बजट में महायुति सरकार की नाकामी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। अब यह जानकारी सामने आई है कि राज्य में वर्ष २०२६ तक कामकाजी लोगों की संख्या ८.७० करोड़ तक पहुंच जाएगी। इससे आगामी साल में बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाएगी। ऐसे में इस सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार पैदा करने की होगी। हालांकि, अभी से सवाल उठने लगे हैं कि यह सरकार आखिरकार कैसे रोजगार के अवसर सृजित करेगी।
उल्लेखनीय है कि एक ओर तो राज्य से बड़े-बड़े उद्योग धंधों को दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। इससे पिछली और मौजूदा सरकार के शासन में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है। चुनाव के समय महायुति ने वादा किया था कि राज्य में लाखों रोजगार सृजित किए जाएंगे, लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। इसी बीच सरकार की ओर से फिर से दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ है, लेकिन दूसरी ओर चौंकाने वाली वास्तविकता कुछ और ही सामने आई है।

२४ लाख से अधिक बेरोजगारों ने कराया पंजीकरण
महाराष्ट्र में एक साल में २४ लाख से अधिक बेरोजगारों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया है। इसलिए वास्तविकता बहुत गंभीर नजर आती है। राज्य में रोजगार सृजन अथवा नौकरी के लिए भर्तियां कम हो रही हैं। कुल मिलाकर बेरोजगारी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ रही है और उनमें असंतोष की भावना बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

 

भर्ती के प्रति सरकार उदासीन
-विभिन्न विभागों में २.४५ लाख पद रिक्त

महाराष्ट्र में मौजूदा आबादी १२.८६ करोड़ तक पहुंच गई है। इसमें पुरुषों की संख्या ६.६८ करोड़, जबकि महिलाओं की आबादी ६.१५ करोड़ है। इसे देखते हुए बताया गया है कि वर्ष २०२६ तक राज्य में १५ से ५९ साल आयु वर्ग की श्रेणी में आने वाले कामकाजियों की संख्या ८.७० करोड़ पहुंच जाएगी। इसलिए बड़े स्तर पर रोजगार सृजित करना इस सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी। बताया गया है कि ६० साल से अधिक उम्र वालों की आबादी भी ४.२३ करोड़ तक पहुंच जाएगी, जो जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर रहेंगे।
वर्तमान में राज्य में महायुति सरकार है। अभी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में २.४५ लाख पद रिक्त हैं। वहीं विभिन्न विभागों में कुल पदों में से लगभग ४.७८ लाख यानी ६६ प्रतिशत पद भरे गए हैं। इसमें महिला कर्मियों की संख्या केवल १.१२ लाख यानी २३.५ फीसदी है, जो पुरुषों की तुलना में कम ही है। इसी के साथ ही १.५ फीसदी यानी ७११४ दिव्यांगों की संख्या है। सरकार के १२६१९ कार्यालयों पर सालाना करीब १०५.६२ करोड़ रुपए खर्च हो रहा है।
रोजगार में पैदा हो रही बाधा
विपक्ष का आरोप है कि महायुति सरकार में राज्य का नियोजित फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट और सेमीकंडक्टर जैसे कई प्रोजेक्ट गुजरात चले गए है। इससे राज्य में होने वाले रोजगार सृजन में बाधा आ रही है। साथ ही भर्ती के प्रति सरकार की उदासीनता दिखाई दे रही है। राज्य सरकार ने विश्वास जताया है कि दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम सम्मेलन में राज्य में १५.७० लाख करोड़ का निवेश आने से १५.९५ लाख रोजगार सृजन होगा, लेकिन दिन-प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी को कम करने और रोजगार सृजन के लिए राज्य सरकार को ठोस नीति और उचित निर्णय लेना आवश्यक है।

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