सामना संवाददाता / नागपुर
विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन विपक्ष ने राज्य में नकली दवाइयों के वितरण को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया। विपक्ष के अनुसार, राज्य में डेढ़ साल पहले चिकित्सा महाविद्यालय और सरकारी अस्पतालों में नकली दवाएं मरीजों को दी गई थीं। इस मामले में अब तक किसी भी मंत्री या अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके खिलाफ कल महाविकास आघाडी के विधायकों ने विधानमंडल की सीढ़ियों पर ‘नकली बहुमत, नकली दवाइयां, नकली सरकार, नकली दवाइयां’ जैसे नारे लगाते हुए आंदोलन किया।
बता दें कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में नकली दवाएं मिलने का मामला कुछ समय पहले सामने आया था, लेकिन इस मामले में अभी तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। खुलेआम कुछ कंपनियों ने सरकारी अस्पतालों को नकली दवाइयां सप्लाई कीं और अस्पताल प्रशासन ने भी मरीजों को भी वही नकली और घटिया गुणवत्ता की दवाएं दीं, जिससे कइयों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह घटना एक गंभीर मुद्दा बन गई, क्योंकि इससे न केवल मरीजों के जीवन से संबंधित जोखिम बढ़े, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सरकारी अस्पतालों पर भी सवाल उठे। इसे लेकर विपक्ष ने विधान भवन की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के नेतृत्व में कांग्रेस और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) गुट के कई नेता शामिल थे।