-आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मिलने वाली मदद भी रुकी
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार राज्य की कई योजनाओं और विभागों के फंड रोककर उसको लाडली बहन योजना की ओर मोड़ रही है। इस तरह का आरोप शुरुआत से ही विपक्ष की ओर से लगाया जा रहा है। हालांकि, इसे लेकर कुछ दिन पहले मंत्रियों ने भी सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताते हुए सरकार को चेतावनी दी है। इसी में अब चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है कि किसानों के लिए भी आवंटित निधि को लाडली बहन योजना में मोड़ा जा रहा है। ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मिलने वाली मदद भी रुक गई है। आलम यह है कि आत्महत्या करने वाले किसानों के वारिसों को सरकार से मिलने वाली मदद के लिए प्रशासनिक कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने लाडली बहन योजना शुरू की थी। आरोप लग रहे हैं कि इस योजना के लिए अन्य विभागों के फंड में कटौती की जा रही है। इस साल के बजट में लाडली बहन योजना के लिए ३६ हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। दूसरी तरफ मराठवाड़ा में कुल ३३७ आत्महत्या करने वाले किसानों के वारिसों की मदद रुकी हुई है। इन परिवारों की मदद के लिए २ करोड़ ९७ लाख रुपए की जरूरत है। इसके लिए विभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रस्ताव भी भेजा गया, लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। इसी तरह छत्रपति संभाजी नगर में ५५ किसान परिवारों को ३९ लाख, जालना में २१ परिवारों को २० लाख, नांदेड़ में १०१ परिवारों को ९५ लाख, बीड में ६० परिवारों को ५७ लाख, लातूर में ३७ परिवारों को २५ लाख, धाराशिव में ६३ परिवारों को ५९ लाख रुपए सरकार की ओर से नहीं मिला है।
आदिवासी और समाज कल्याण विभाग को भी फटका
यह स्पष्ट हो चुका है कि वित्त विभाग द्वारा अन्य विभागों के फंड को लाडली बहन योजना की ओर मोड़ा गया है। सामाजिक न्याय विभाग के ३ हजार करोड़ रुपए और आदिवासी विभाग के कुल ४ हजार करोड़ रुपए के फंड को वित्त विभाग द्वारा मोड़ा गया है। इसके कारण समाज कल्याण और आदिवासी विभाग की कई योजनाओं को कटौती का सामना करना पड़ सकता है।
कई योजनाओं में होगी कटौती
समाज कल्याण और आदिवासी विभाग ़के करीब सात हजार करोड़ रुपए के फंड को वित्त विभाग द्वारा इस योजना की ओर मोड़ा गया है। इसके चलते इन दोनों विभागों की ओर से वित्त मंत्री अजीत पवार के पैâसले पर नाराजगी जताई जा रही है। वित्त विभाग के इस पैâसले के कारण समाज कल्याण और आदिवासी विकास विभाग की कई योजनाओं को कटौती का सामना करना पड़ेगा।