– कैग ने उठाए कामकाज पर सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में नव निर्वाचित महायुति सरकार के राज में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) वेंटिलेटर पर पहुंच चुका है। पहले से ही मानव संसाधनों की मार झेल रहे एफडीए के अधिकारी निजी नर्सिंग होम की नियमित जांच नहीं कर पा रहे हैं। आलम यह है कि राज्य में इस तरह के ३० फीसदी अस्पताल बिना लाइसेंस के ही चल रहे हैं। इसे लेकर वैâग ने एफडीए के कामकाज पर सवाल उठाए हैं।
महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर वित्तीय वर्ष २०१६-१७ से २०२१-२२ के लिए ऑडिट रिपोर्ट हाल ही में विधानमंडल में पेश की गई। इस ऑडिट रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में गंभीर त्रुटियों की ओर इशारा किया गया है। महाराष्ट्र नर्सिंग होम पंजीकरण अधिनियम के अनुसार नर्सिंग होम चलाने वालों को पंजीकरण के साथ ही उसका समय-समय पर नवीनीकरण करना अनिवार्य है। इसके तहत हर साल निर्धारित फॉर्म में एफडीए के पास आवेदन करना होता है। हालांकि, वैâग द्वारा निरीक्षण किए गए नौ जिलों में से पांच में, २,९४७ निजी नर्सिंग होम में से ८८४ का पंजीकरण मार्च २०२२ तक नवीनीकृत ही नहीं किया गया था।
एफडीए के कामकाज पर उठाए सवाल
कैग ने कहा है कि एफडीए राज्य में नर्सिंग होम्स के नियमित निरीक्षण के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, इस विभाग के पास पर्याप्त मैनपावर नहीं है। इस कारण राज्य भर के नर्सिंग होम का नियमित निरीक्षण और पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं हो सका। इसके अलावा कैग ने खुद इस बात पर संदेह जताया है कि क्या नर्सिंग होम में स्टाफ, उपकरण, ऑपरेटिंग थिएटर, गहन देखभाल इकाइयों आदि से संबंधित मानदंडों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।