सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी २.० राज में राज्य की आय और व्यय में असंतुलन और सरकारी खजाने पर बढ़ते आर्थिक दबाव के कारण कैग ने राजस्व के स्रोत बढ़ाने की सिफारिश की है। विभिन्न लोकप्रिय योजनाओं के कारण इस वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़ने की संभावना है। वर्तमान में राज्य की कुल आर्थिक स्थिति को देखते हुए राजकोषीय घाटा सीधे दो लाख करोड़ रुपए को पार करने की आशंका जताई जा रही हैै।
उल्लेखनीय है कि बजटीय प्रावधान शत-प्रतिशत घोषित करने पर चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का वित्तीय घाटा लगभग एक लाख दस हजार करोड़ रुपए से बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है इसलिए बजटीय वर्ष के शेष कालावधि के लिए खर्च को नियंत्रित करके इस घाटे को कुछ हद तक पाटने का प्रयास किया जा सकता है। हालांकि, इससे पहले वित्त विभाग ने एक परिपत्र जारी करके खर्च को ७० से ९५ फीसदी तक सीमित रखने के निर्देश दिए हैं। लाडली बहन और शिवभोजन थाली योजनाओं के कारण चालू वित्तीय वर्ष के लिए ६ लाख ६९ हजार करोड़ रुपए का बजट पेश करने के बाद भी शीतकालीन सत्र में एक लाख ३० हजार करोड़ रुपए की पूरक मांगों से सरकार को धन जुटाना पड़ा। सरकार ने १२ फरवरी तक ८ लाख २३ हजार करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधानों में से ६ लाख १८ हजार करोड़ रुपए वितरित किए हैं। इस प्रकार वास्तव में ३ लाख ८६ हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं यानी बजटीय प्रावधानों का ४६.८१ फीसदी खर्च किया गया है।
वित्तीय घाटा
इस साल लगभग पांच लाख दस हजार करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति की संभावना है, लेकिन खर्च में २० फीसदी कटौती करने पर ही वित्तीय घाटे को कम करते हुए आय और व्यय के बीच का अंतर कम किया जा सकता है। इसी के साथ ही बजटीय वर्ष की शेष कालावधि के लिए वर्तमान में खर्च को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए इस शेष कालावधि के लिए बजट का ८० से ८५ फीसदी तक सीमित रखने का प्रयास चल रहा है।
विधायक निधि को छूट
वित्त विभाग ने ओवरटाइम भत्ता, टेलीफोन, पानी के बिल, व्यावसायिक सेवाओं पर खर्च में २० फीसदी की कटौती की है, लेकिन जिला वार्षिक योजना, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुदान और विधायक विकास निधि को छूट दी गई है।