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पीओपी के ’जहर’ से मर गईं मछलियां! …मूर्ति विसर्जन का पर्यावरण भुगत रहा खामियाजा

कृत्रिम तालाब बनाने में मीरा-भायंदर मनपा की रूचि नहीं
मनपा ने की पर्यावरण विभाग के आदेश की अनदेखी
प्रेम यादव / मीरा-भायंदर
मीरा-भायंदर महानगरपालिका के सार्वजनिक तालाब में गणेश उत्सव और नवरात्रि के दौरान सरकार द्वारा प्रतिबंधित पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी मूर्तियों का विसर्जन करने से पानी दूषित होकर न केवल हरे रंग का हो गया है, बल्कि उसमें से बदबू आ रही है। इससे तालाब में रहनेवाली मछलियों की मौत हो गई। बड़ी मछलियों के साथ ही छोटी मछलियां भी मरकर तालाब में तैरती नजर आर्इं, जिन्हें मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने बाहर निकाला। इस कारण तालाब के किनारे मरी हुई मछलियों का ढेर लग गया। पर्यावरण प्रेमियों की लगातार नगरपालिका से मांग के बावजूद कि तालाब में मूर्तियों का विसर्जन न हो, इसके बावजूद नगरपालिका के मनमानी रवैये के कारण मछलियों की मौत हो गई। पर्यावरण प्रेमियों ने मुंबई उच्च न्यायालय और पर्यावरण विभाग के आदेशों की अवहेलना करने पर मनपा आयुक्त संजय काटकर के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है।
मुंबई उच्च न्यायालय और पर्यावरण विभाग ने आदेश दिया था कि प्राकृतिक और सार्वजनिक तालाबों में पीओपी से बनी देवी-देवताओं की मूर्तियों का विसर्जन न किया जाए। इसके लिए अलग से कृत्रिम तालाब बनाए जाएं, जिनमें मूर्तियों का विसर्जन हो और उनका मलबा नगरपालिका सही तरीके से उठाकर नष्ट करे। लेकिन मीरा-भायंदर मनपा ने इन आदेशों की अवहेलना करते हुए शाडू मिट्टी की मूर्तियों के साथ ही पीओपी मूर्तियों सहित केमिकल युक्त सामग्री का तालाब में विसर्जन किया, जिससे पानी दूषित हो गया और तालाब में मरी मछलियां तैरने लगीं। पानी से दुर्गंध आने के कारण आसपास रहनेवाले लोगों को परेशानी हो रही है। इसी तरह की स्थिति काशीमीरा के शिवार गार्डन और जरी-मरी तालाब में भी उत्पन्न हुई है। इस मामले में ठाणे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कर पंचनामा कर कार्रवाई की मांग पर्यावरण कार्यकर्ता हर्षद ढगे ने की है।

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