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मुंबई में लटकीं पांच हजार परियोजनाएं … ३ लाख परिवारों के सिर से छिनी छत … महारेरा में याचिका करने का हो कानून

– सुनील शिंदे ने विधान परिषद में की मांग
सामना संवाददाता / नागपुर
मुंबई में कई झोपड़पट्टी पुनर्वसन और उपकर प्राप्त इमारतों की पुनर्विकास परियोजनाओं में डेवलपर्स की ओर से गुमराह करने का काम किया गया है। इससे लाखों आम निवासी धोखे के शिकार हुए हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक सुनील शिंदे ने विधान परिषद में विशेष उल्लेख सूचना के जरिए यह मामला उठाया कि मुंबई में करीब पांच हजार पुनर्विकास परियोजनाएं फिलहाल लटकी हुई हैं। इससे इन परियोजनाओं में प्रभावित हुए करीब तीन लाख परिवार बेघर हो गए हैं। इनमें से कुछ परियोजनाएं अधूरी अवस्था में हैं, जबकि कुछ परियोजनाएं शुरू ही नहीं हुई हैं। इससे ये निवासी बड़े आर्थिक संकट में हैं। विधायक सुनील शिंदे ने कल विधान परिषद में मांग की कि कानून में ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि इन निवासियों को डेवलपर्स के खिलाफ महारेरा प्राधिकरण में याचिका करने की अनुमति मिल सके।
झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण और म्हाडा अधिकारियों की मिलीभगत से कई डेवलपर्स ने पात्र निवासियों को पुनर्वसन परियोजनाओं से अयोग्य घोषित कर दिया है इसलिए मताधिकार से वंचित निवासी अपना वाजिब हक पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में प्रचलित कानून में एक प्रावधान करने की आवश्यकता है कि झोपड़पट्टी पुनर्वसन परियोजनाओं और उपकर प्राप्त इमारतों की आवास परियोजनाओं के निवासी डेवलपर्स द्वारा की गई धोखाधड़ी के खिलाफ ‘महारेरा’ प्राधिकरण के पास याचिका दायर कर सकें। विधायक शिंदे ने कहा कि मुंबई और ठाणे में कई स्थानों पर चल रहे पुनर्विकास प्रक्रिया में डेवलपर्स निवासियों को किराया नहीं दे रहे हैं। इतना ही नहीं, इमारतों का पुनर्विकास भी नहीं कर रहे हैं। इस तरह की समस्या लगातार आ रही हैं। कई पुनर्विकास परियोजनाओं के निवासियों के सिर से छत छिन गई है। कई की पीढ़ियां खत्म हो रही हैं। इसके बावजूद लोगों को घर नहीं मिले हैं।

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