सामना संवाददाता / मुंबई
सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों से सबसे ज्यादा खतरा पैदल चलनेवाले राहगीरों को होता है। अब तक कई मामलों में रफ्तार से चल रहे वाहन राहगीरों को रौंदते चले जाते हैं। हालांकि, राहगीरों को बचाने और सड़क पार करने के लिए जेब्रा क्रॉसिंग बनाया जाता है। लेकिन शहर में अधिकांश सिग्नलों पर बनी जेब्रा क्रॉसिंग की धारियां मिट जाती हैं। ऐसे में बढ़ते ट्रैफिक की वजह से पैदल चल रहे राहगीरों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है। ऐसे में सवाल यह है कि पैदल यात्री सड़क वैâसे पार करेंगे। उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्थान में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में ३० प्रतिशत मौतें पैदल चलने वालों की होती हैं। कुछ महानगरों में तो यह अनुपात ६० प्रतिशत तक है। मुंबई ट्रैफिक नियंत्रण शाखा और ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोप्स इनिशिएटिव फॉर ग्लोबल रोड सेफ्टी की मुंबई सड़क सुरक्षा वार्षिक रिपोर्ट २०२० के अनुसार, मुंबई में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में ४२ प्रतिशत पैदल यात्री हैं।
बता दें कि मुंबई के कुछ हिस्सों में चौड़ी सड़कें हैं, लेकिन उन्हें पार करना खतरनाक है। ऐसे में पैदल चलने वालों को तेज रफ्तार वाहनों से बचते हुए जान हथेली पर रखकर सड़क पार करनी पड़ती है। मोटर चालक खुली सड़कों, महामार्गों पर तेजी से गाड़ी चलाते हैं। इसलिए शहर के नागरिक सड़कों पर नहीं चल सकते। मुंबई की जनसंख्या, प्रति किलोमीटर जनसंख्या घनत्व, वाहनों की संख्या, प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में वाहनों की संख्या, व्यस्त सड़कें आदि को ध्यान में रखते हुए कुछ दुर्घटनाओं में पैदल चलने वालों की लापरवाही भी उनकी जान ले लेती है। इसमें फुटपाथ के आकार, ऊंचाई और ढलान का उल्लेख है।
इस तरह किया
जाना चाहिए डिजाइन
राहगीरों का कहना है कि फुटपाथों को वरिष्ठ नागरिकों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, विकलांगों, बच्चों की सुविधा के हिसाब से डिजाइन किया जाना चाहिए। जहां भी आवश्यक हो वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीटें होनी चाहिए। दोनों खंभों के बीच छोटे बच्चों, उनकी गाड़ियों और व्हीलचेयरों को लाने-ले जाने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। पेड़, कूड़ा-कचरा, पोस्ट बॉक्स, होर्डिंग्स, फेरीवाले, ठेले आदि जैसी कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। वाहन चालक जेब्रा क्रॉसिंग पर वाहन रोकते हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लापरवाह वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने से इस तरह के हादसे रुकेंगे। जानकारी के मुताबिक, इस साल नवंबर तक कुल २,३१९ हादसे हुए हैं। इसमें २९९ लोगों की मौत हुई है, जबकि २,४४४ लोग घायल हुए हैं। दूसरी तरफ पिछले साल कुल २,५३३ सड़क हादसों में ३८४ लोगों की जान गई थी। इसी के साथ ही २,६१७ लोग घायल हुए थे।