मुख्यपृष्ठस्तंभओकोली के साथ जबरदस्ती!

ओकोली के साथ जबरदस्ती!

मनमोहन सिंह

अब आगे बढ़ते हैं ओकोली की कहानी पर। लागोस में ओकोली की गिरफ्तारी के अगले दिन उसे पुलिस बल के मुख्यालय में पूछताछ के लिए राजधानी अबुजा ले जाया गया, जहां उसे कुछ दिनों के लिए रखा गया था। कितने आश्चर्य की बात है, जिसकी कंपनी स्टार को अनदेखा कर टमाटर प्यूरी बना रही थी, इस कंपनी एरिस्को फूड लिमिटेड का सीईओ एरिक उमेओफिया भी स्टेशन पर पहुंच गया। आकोली के मुताबिक, `माफी मांगने की बजाय वह उस पर चिल्लाने लगा,’ तो वो तुम ही हो जो मेरे ४० साल के व्यवसाय को खत्म करना चाहती हो!’
उसने ओकोली से कहा कि उस शख्स का नाम बताए, जिसके इशारे पर पैसे लेकर ओकोली उसके प्रोडक्ट को बदनाम कर रही है। एरिक ने ओकोली से माफी मांगने की भी मांग की और कहा कि वो अपने सोशल मीडिया और तीन राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक बयान पोस्ट करें। कंपनी ने ओकोली के खिलाफ ५ बिलियन नायरा (३ मिलियन डॉलर से अधिक) के मुआवजे की मांग करते हुए एक सिविल भी दायर किया। ओकोली ने दो बार बयान लिखा, लेकिन दोनों को खारिज कर दिया गया। उससे पहले से तैयार स्वीकारोक्ति बयान की नकल करने को कहा गया। ओकोली अकेली थीं, उनके पास कोई वकील नहीं था। उन्हें उसकी हर बात माननी पड़ी है और तीन दिन बाद वो घर जा पार्इं।
२९ सितंबर, २०२३ को नाइजीरिया की खाद्य और औषधि नियामक एजेंसी, एनएएफडीएसी की रिपोर्ट में कहा गया कि नागिको प्यूरी में शुगर लेवल मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है।
पुलिस ने यह जानते हुए भी कि उक्त जानकारी झूठी है ओकोली पर एरिस्को फूड्स लिमिटेड के खिलाफ लोगों को भड़काने के दो आरोप लगाए हैं और उनसे एक `गो फंड मी’ वैंâपेनिंग पेज को बंद करने के लिए कहा है, जो उनके कानूनी बचाव का समर्थन करने के लिए स्थापित किया गया था। उसके मामले को जनता की सहानुभूति मिली।
हालांकि, इस बीच आकोली के वकील ने एरिस्को फूड्स लिमिटेड और पुलिस के खिलाफ ५०० मिलियन नायरा (३७४,१७५ डॉलर) का मुकदमा दायर किया है। ओकोली के मुताबिक, इस कानूनी तकलीफों के दौरान वह बीमार पड़ गर्इं। उनके दूध पीते बच्चे को भी समय से पहले दूध छुड़ाए जाने के कारण बच्चे को भी तकलीफ हुई, क्योंकि उसकी गिरफ्तारी के कारण वह कई दिनों तक स्तनपान नहीं करा पाई थीं। उसके ऑनलाइन बिजनेस को भी हैक कर लिया गया था। ओकोली बताती हैं कि इस अनुभव ने उन्हें बदल दिया है। अब उनका स्वभाव जीवंत, मिलनसार नहीं रहा। वो अब घर के अंदर और जनता से दूर अकेले रहना पसंद करती हैं। वो चर्च नहीं जातीं, ऑनलाइन प्रेयर करती हैं।
इस साल ९ जनवरी २०२४ को पुलिस ने अदालत की रोक के आदेश के बावजूद उन्हें फिर से गिरफ्तार करने की कोशिश की। उन्होंने उस पर जमानत लेने से इनकार करने का आरोप लगाया और कई घंटों तक दरवाजे पर खड़े रहे। अंतत: ओकोली ने खुद को अंदर बंद कर लिया और कहा कि वो अपने वकील के आने तक उन लोगों से नहीं मिलेंगी।

नाइजीरिया में पत्रकार हो रहे शिकार
ओकोली के मामले ने नाइजीरियाई लोगों और अधिकार समूहों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जो इस बात पर चिंता व्यक्त करते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ऐसी गिरफ्तारियों का क्या मतलब है। इस बीच गलत कामों को उजागर करने की कोशिश करने वाले पत्रकारों को भी कानून का शिकार होना पड़ा है। १ मई को पत्रकार डेनियल ओजुक लागोस के याबा उपनगर में हर्बर्ट मैकाले वे से गुजर रहे थे, जब दोपहर लगभग १ बजे सादे कपड़े में पांच पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने उन्हें रोका। औजुक बताते हैं कि उनमें से एक ने उनकी कमर पकड़ ली और दूसरे ने उनके सामने एके-४७ रख दी। उन्होंने जब वारंट देखने का अनुरोध किया तो उन लोगों ने उन्हें गलत नाम पर जारी एक वारंट दिखाया। औजुक ने जो कुछ मीडिया को बताया उसके अनुसार, `मैंने उनसे कहा कि मैं एक फोन करना चाहता हूं, ताकि किसी को पता चल सके कि मैं कहां हूं लेकिन उन्होंने कहा नहीं। जब मैंने कॉल करने पर जोर दिया तो उन्होंने मुझे झुकाया, मेरे हाथ बांध दिए और मुझे वैन में फेंक दिया और उन्होंने मेरी जेब खाली कर दी, उन लोगों ने मेरा सब कुछ ले लिया।
-क्रमश:

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

 

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