मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर प्रदेश से : शराब के ठेकों पर ऑफर

उत्तर प्रदेश से : शराब के ठेकों पर ऑफर

रोहित माहेश्वरी

उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है, लेकिन सरकार ने इस गर्मी को कुछ ठंडा करने का अनोखा उपाय खोज लिया है। प्रदेश के कई जिलों में शराब की दुकानों पर ‘एक खरीदो, एक प्रâी’ का ऑफर दिया जा रहा है। मानो जनता से कहा जा रहा हो-`दुख भुलाओ, जश्न मनाओ!’ इस योजना पर सियासी हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए कहा, `नवरात्रि के पावन समय में योगी जी ने जनता के लिए पार्टी टाइम रख दिया है। अब घर में व्रत रखो या ठेके पर जश्न मनाओ, यह जनता की मर्जी!’ वहीं आम आदमी पार्टी ने इसे ‘संस्कृति पर हमला’ करार देते हुए वाराणसी में एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और कहा कि सरकार खुद ही जनता को मदहोश करने पर तुली हुई है।
पोस्टर से गायब योगी
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आठ साल पूरे होने पर एक भव्य पोस्टर जारी किया, जिसमें अयोध्या और महाकुंभ की झलकियां तो थीं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर नदारद थी। इस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, `काम की तरह तस्वीर भी गायब है, अब उन्हें ससम्मान वापस चले जाना चाहिए।’ पोस्टर में ८ के आकार में दर्शाए गए विकास कार्यों को भाजपा अपनी उपलब्धि बता रही है, लेकिन विपक्ष इसे सरकार की नाकामी करार दे रहा है। भाजपा ने अखिलेश के बयान को `हताशा’ बताया, जबकि सियासी गलियारों में इसे आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा नेता की पिटाई से मचा हड़कंप
बरेली में भाजपा नेता अजय गुप्ता की सड़क पर पिटाई हो गई और खास बात यह कि मारने वाला कोई और नहीं, बल्कि आरपीएफ का जवान निकला। एक मामूली ओवरटेक के विवाद ने ऐसा तूल पकड़ा कि नेता जी की हनक धरी की धरी रह गई। देखते ही देखते लात-घूंसों की बारिश हो गई और घटना का वीडियो वायरल होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया। आमतौर पर सत्ता की धौंस दिखाने वाले नेता जी इस बार कानून के रखवालों के सामने बेबस नजर आए। प्रशासन अब मामले की लीपापोती में जुटा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सत्ता का अहंकार हर जगह नहीं चलता?
सांसद के घर पर हमला, सरकार की चुप्पी
आगरा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने खुलेआम हमला किया। घर के बाहर तोड़-फोड़, पथराव और पुलिस पर हमला सब कुछ हुआ, लेकिन सरकार तमाशबीन बनी रही। सत्ता के संरक्षण में पल रहे उपद्रवियों ने कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं। गजब की बात यह है कि यह सब उस राज्य में हुआ, जहां सरकार `माफिया राज खत्म’ करने का दावा करती है। जब गुंडागर्दी विपक्ष के नेताओं पर होती है तो सरकार चुप रहती है, लेकिन अगर कोई आम नागरिक सवाल उठा दे तो बुलडोजर तुरंत चल पड़ता है। रामजी लाल सुमन ने साफ कहा कि अगर सरकार सुरक्षा नहीं दे सकती तो उन्हें खुद निपटने की छूट दे। सवाल यह है कि क्या अब लोकतंत्र में आवाज उठाने वालों को अपनी सुरक्षा का इंतजाम खुद करना होगा?

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