रोहित माहेश्वरी
उत्तर प्रदेश में टमाटर की कीमतें लगातार गिरती जा रही हैं और कई जगहों पर यह २ से ४ रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। लागत भी न निकल पाने से किसानों की हालत बदतर हो चुकी है। बाराबंकी, मिर्जापुर जैसे जिलों में किसान अपनी फसलें या तो औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं या खेतों में ही सड़ने दे रहे हैं। इसी संकट पर आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, यूपी में ‘टमाटर किसानों’ की लागत भी नहीं निकलना बताता है कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की कितनी उपेक्षा करती है। भाजपा की सोच अर्थव्यवस्था हो या राजनीति सबमें बिचौलियोंवाली है। भाजपा किसानों की जमीन और कारोबार पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है, ताकि उनसे मोटा चंदा वसूला जा सके। अखिलेश ने भाजपा द्वारा लाए गए कृषि कानूनों और छुट्टा जानवरों की समस्या का भी जिक्र किया, जिसे किसानों को खेती से दूर करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया। किसानों ने भी सरकार से मांग की है कि टमाटर जैसी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए और बाजारों में सरकारी हस्तक्षेप हो, जिससे उन्हें वाजिब दाम मिल सके।
बसपा में मचा हड़कंप
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कानपुर नगर और कानपुर देहात के तीन पूर्व जिलाध्यक्षों-संजय गौतम, आनंद कुरील और प्रवेंद्र संखवार-को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। संजय गौतम को कुछ दिन पहले ही जिलाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन महज दो दिन बाद ही उन्हें पद से हटा दिया गया। आनंद कुरील भी पूर्व में इस पद पर रह चुके हैं, जबकि प्रवेंद्र संखवार कानपुर देहात इकाई के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार, इन नेताओं को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन लगातार अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते यह कठोर निर्णय लेना पड़ा। बसपा प्रमुख मायावती के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। इन निष्कासनों से पार्टी के अंदर सख्त अनुशासन का संदेश देने की कोशिश जरूर हुई है, लेकिन लगातार हो रहे इस्तीफे और निष्कासन यह भी दर्शाते हैं कि पार्टी संगठनात्मक अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। खासकर कानपुर जैसे अहम जिले में डेढ़ साल में ८ जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस और नेतृत्व को लेकर असंतोष का माहौल है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो पार्टी को आगामी चुनावों में जमीनी स्तर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
प्रयागराज की दरगाह पर भगवा झंडा
प्रयागराज में गाजी मियां की दरगाह एक बार फिर विवाद का केंद्र बन गई, जब महाराज सुहेल देव सम्मान सुरक्षा मंच के कार्यकर्ता दरगाह की छत पर चढ़ गए और भगवा झंडा लहराते हुए `जय श्रीराम’ के नारे लगाने लगे। कार्यकर्ताओं ने दरगाह को हटाने की मांग भी की, जिससे इलाके में तनाव पैâल गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं को वहां से हटाया और स्थिति को नियंत्रण में लिया। फिलहाल, इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में धार्मिक स्थलों को लेकर ऐसे विवाद सामने आ चुके हैं। प्रशासन की ओर से शांति बनाए रखने की अपील की गई है, लेकिन बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं समाज में बेचैनी बढ़ा रही हैं।